समकालीन जनमत
जनमत

मुजफ्फरपुर बालिका गृह रेप कांड :बिहारी समाज पहले दिन से आंदोलित है

कुमार परवेज

मुजफ्फरपुर बालिका गृह रेप कांड को मीडिया में अब जगह मिल रही है क्योंकि इसे अब दबाया नहीं जा सकता. दबाने के बहुत प्रयास हुए थे, लेकिन बिहारी समाज ने ऐसा होने नहीं दिया. घटना की जानकारी के पहले दिन से ही वह लड़ रहा है, पता नहीं रवीश कुमार ने ने अपने लेख में ऐसा क्यों लिखा कि सांस्थानिक यौन उत्पीड़न की ऐसी वीभत्स घटना पर बिहारी समाज सोता रहा.

नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं है.

मुजफ्फरपुर के अखबारों में 2 जून को यह घटना सामने आई. उसके तुरंत बाद 8 जून को ऐपवा के राज्यस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने घटनास्थल का दौरा किया और मामले की सच्चाई जानी. लेकिन जाहिर सी बात है इस रिपोर्ट को मीडिया द्वारा कोई तवज्जो नहीं दिया गया. केवल ‘ कशिश न्यूज ’  ने इसे अपना विषय बनाया था.

फिर ऐपवा ने इस विषय को लेकर पूरे राज्य में गोलबंदी की और 22 जून को पटना में हजारों महिलाओं ने धावा बोला. फिर भी मीडिया खामोश रहा. मीडिया में बहुत जगह नहीं मिली. ऐसा लगा मामले को दबाने की पूरी कोशिश हो रही है.

6 जुलाई को पटना में महिला संगठनों की बैठक हुई. 13 को उन्होंने प्रेस को सम्बोधित किया, फिर भी मीडिया का वही हाल !

महिलाओं ने इस मसले पर नीतीश की चुपी के खिलाफ मुख्यमंत्री के नाम खुला पत्र लिखा. ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी ने अखबारों से बात की, खुली चिट्ठी को छापने का आग्रह किया, लेकिन मीडिया पर शायद ही इसका असर पड़ा हो!

19 जुलाई को चिलचिलाती धूप में काले कपड़े पहनकर महिलाओं ने पटना में प्रदर्शन किया. मुख्यमंत्री ने कोई नोटिस नहीं लिया. अखबारों के किसी कोने में खबर छापकर हजारों महिलाओं की आवाज दबाने का प्रयास किया गया.

विधानसभा सत्र के पहले दिन ही माले विधायकों ने प्रतिवाद किया, कहीं कोई खबर नहीं बनी. फिर इस सवाल पर कार्य स्थगन प्रस्ताव लाया गया. काफी ना नुकुर के बाद विपक्षी पार्टियों ने इस पर सहमति दी..

इन आंदोलनों का ही लगातार दवाब था कि अंततः सरकर को झुकना पड़ा और इसकी सीबीआई जांच की अनुशंसा करनी पड़ी.

अब तो मामला सबके सामने है. मंत्री मंजू वर्मा की बर्खास्तगी, उनके पति की गिरफ्तारी, टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज की रिपोर्ट सार्वजनिक करने, मुजफ्फरपुर सहित सभी रिमांड होमों की उच्च न्यायालय के निर्देशन में सीबीआई जाँच की मांग पर 2 अगस्त को बिहार बन्द भी है.

ऐसे सत्ता प्रायोजित जघन्य अपराध की बिहार के समाज ने कभी अनदेखी नहीं की, वह पहले दिन से आंदोलित है, जरूर कॉरपोरेट मीडिया को यह सब नहीं दिखता.

[author] [author_image timthumb=’on’][/author_image] [author_info] कुमार परवेज भाकपा माले के युवा नेता हैं और पटना में रहते हैं [/author_info] [/author]

Related posts

Fearlessly expressing peoples opinion