गिरफ्तारी के बाद प्रसिद्ध मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा का संदेश
यह समूचा केस इस कायर और प्रतिशोधी सरकार द्वारा राजनीतिक असहमति के खिलाफ़ की गई राजनीतिक साजिश है जो भीमा कोरेगांव के असली दोषियों को बचाने के लिए जी जान लगा रही है और इस तरह से उसने अपने उन घोटालों और नाकामियों की ओर से ध्यान बंटाने का काम किया है, जो कश्मीर से लेकर केरल तक फैली हुई हैं। एक राजनीतिक मुकदमे को राजनीतिक तरीके से ही लड़ा जाना चाहिए और मैं इस अवसर का स्वागत करता हूं। मुझे कुछ नहीं करना है। अपने सियासी आकाओं की शह पर काम कर रही महाराष्ट्र पुलिस का असल काम है कि वह मेरे खिलाफ और मेरे संग गिरफ्तार हुए साथियों के खिलाफ अपना केस साबित करे। हमने पीयूडीआर में रहते हुए बीते चालीस साल के दौरान सामूहिक रूप से निडर होकर लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी है और मैं, पीयूडीआर का हिस्सा होने के नाते ऐसे कई मुकदमे कवर कर चुका हूं। अब मैं खुद किनारे खड़े रह कर एक ऐसे ही सियासी मुकदमे का गवाह बनने जा रहा हूं।”
तू जिंदा है तो जिंदगी की जीत पर यकीन कर, अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला जमीन पर ये गम के और चार दिन सितम के और चार दिन ये दिन भी जाएंगे गुजर गुज़र गए हज़ार दिन तू जिंदा है..…
गौतम नवलखा
29 अगस्त, 2018