23 मार्च 2024,ओरा, आजमगढ़
फासीवादी प्रतिरोध के महानायक भगतसिंह – शहीद-ए-आजम भगत सिंह और साथियों के शहादत दिवस पर शहीद-ए-आजम भगतसिंह लाइब्रेरी तहबरपुर और जन संस्कृति मंच, आजमगढ़ ने ओरा गांव में शहीद दिवस समारोह का आयोजन किया। सबसे पहले लोगों ने शहीद-ए-आजम भगत सिंह और उनके साथियों के फोटो पर माल्यार्पण किया। इसके बाद ‘स्वतंत्रता संग्राम, आज का समय: संदर्भ भगत सिंह’ विषय पर परिचर्चा हुई। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए भाकपा-माले राज्य स्थाई समिति सदस्य कामरेड ओमप्रकाश सिंह ने कहा कि 1857 से शुरू होकर 1947तक 90 सालों तक कम्पनी राज और जमींदारों के खिलाफ चले संघर्ष या उसके पिछले संघर्षों में जाएं तो इसी गठजोड़ के खिलाफ हूलों, संथालों का संघर्ष हुआ भगतसिंह और उनके साथी भी इन संघर्षों से प्रेरणा लेते हुए ब्रिटिश साम्राज्य और उसके गठजोड़ से मुक्ति इतना ही नहीं आगे चलकर ऐसे भारत का निर्माण हो जहां मानव का मानव द्वारा शोषण समाप्त हो जाए यानी हर प्रकार से शोषण विहीन समाज की स्थापना की बात करते थे । इसीलिए भगतसिंह आज फासीवादी दौर में भी युवाओं के महानायक बने हुए हैं।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए किसान महासभा के प्रदेश अध्यक्ष और राजनैतिक विश्लेषक जयप्रकाश नारायण ने कहा कि हमारा देश पूरी तरह से कारपोरेट हिन्दुत्व के चंगुल में फंस चुका है । भगत सिंह का विचार आज भी कारपोरेट हिन्दुत्व गठजोड़ से मुक्ति के लिए युवाओं का प्रेरणास्रोत हैं। इसीलिए उस दौर में दुनिया की सबसे ताकतवर हुकुमत कहीं जाने वाली ब्रिटिश हुकूमत को भगतसिंह और उनके साथियों को समय से बारह घंटे पहले फांसी देना पड़ा। भगतसिंह कहते थे कि गुलाम को गुलाम होने का एहसास करा दिया जाए तो मुक्ति का रास्ता वह उसी दिन से तलाशना शुरू कर देगा। भगतसिंह और उनका विचार आज भी फांसीवादी दौर मुक्ति का पथ-प्रदर्शक बना हुआ है। कार्यक्रम को द्वारिका प्रसाद, केसरी नारायण ने सम्बोधित किया कार्यक्रम की अध्यक्षता दीपनारायण उपाध्याय एवं संचालन जन संस्कृति मंच के जिला संयोजक व कथाकार हेमंत कुमार ने किया कार्यक्रम में भाकपा-माले जिला प्रभारी कामरेड विनोद सिंह जन संस्कृति मंच के ब्रिजेश नारायण, जमुना प्रसाद प्रजापति, कामरेड राम केवल, अशोक राय, संजय राय सउर्यभआन वर्मा,सुरेश राय , रमाकांत यादव, सुरेन्द्र, श्याम लाल, हरिश्चन्द्र यादव, विजय बहादुर, चन्द्रमन राय सहित कार्यक्रम में हर समाज के लोग उपस्थित रहे।
विनोद सिंह