समकालीन जनमत
कोसी नदी (फाइल फोटो-मनोज सिंह )
ख़बर

कोशी नव निर्माण मंच ने सीएम को पत्र लिखा -कोशी पीड़ित विकास प्राधिकरण को खोजिए और सक्रिय करिए

सुपौल (बिहार)। कोशी नव निर्माण मंच ने मुख्यमंत्री सहित कई मंत्रियों, विधायकों, विपक्षी नेताओं को पत्र लिख कर कोशी तटबन्ध के बीच के लोग बाढ़ व कटाव की त्रासदी झेल रहे लॉगिन के कल्याणार्थ बने कोशी पीड़ित विकास प्राधिकरण को फिर से सक्रिय  व प्रभावी बनाने की मांग की है।

मंच के अध्यक्ष संदीप व जिला अध्यक्ष इंद्र नारायण सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में कोशी की बाढ़ की पीड़ा झेलने के दर्द की बातों को उठाते हुए इन लोगों केलिए बने कोशी पीड़ित विकास प्राधिकार के गायब होने की बात लिखी है। साथ ही उसे पुनः सक्रिय कर प्रभावी बनाने का मुद्दा उठाया है। पत्र को प्रतिलिपि राज्य के मुख्य सचिव व कैबिनेट विभाग के प्रधान सचिव को भी भेजी गयी है

कोशी क्षेत्र के मंत्रियों जैसे बिजेन्द्र प्रसाद यादव, नीरज कुमार सिंह बबलू, शीला मंडल को पत्र भेजकर गायब प्राधिकर को खोजवाने में मदद करने या उसके लिए मानसून सत्र में सवाल उठाने की बात भी कही है। साथ ही निर्मली, पिपरा, महिषी के विधायकों को पत्र भेजकर सदन में सवाल उठाने का निवेदन किया गया है।

मंच ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव , कांग्रेस के विधान सभा के नेता, विधान पार्षद प्रेम चन्द्र मिश्रा, भाकपा माले के विधायक दल के नेता महबूब आलम को भी पत्र लिखकर यह मुद्दा विधान सभा के मानसून सत्र में उठाने का आग्रह किया है।

मंच के संथापक महेन्द्र यादव ने कहा है कि इतने प्रयास के बाद भी कोशी पीड़ित विकास प्राधिकार को सरकार व विपक्षी विधायक नही खोजवा पाते है तो मानसून सत्र के बाद मंच उस मुद्दे पर पटना उच्च न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाएगा।  साथ ही कोशी वासियों को संगठित कर बड़ा आंदोलन खड़ा करेगा।

कोशी नव निर्माण मंच द्वारा मुख्यमंत्री को भेजा गया पत्र 

सेवा में ;

माननीय श्री नीतीश कुमार जी

मुख्यमंत्री बिहार

 

विषय : प्रत्येक वर्ष कोशी तटबंध के बीच बाढ़ व भीषण आपदा झेलने को मजबूर लाखों लोगों के आर्थिक विकास व पुनर्वास की योजना सुनिश्चित कराने के लिए बिहार कैबिनेट द्वारा गठित “कोशी पीड़ित विकास प्राधिकार” जो धरातल पर कहीं मिल पा रहा है उसे पुनः सक्रिय , प्रभावी बनाते हुए उन लोगों की समस्यायों के निराकरण की दिशा में कार्य करने के सम्बन्ध में|

 

महाशय,

      उपरोक्त विषय के आलोक में निवेदन पूर्वक कहना है कि आप कोशी तटबंध  बीच रहने वाले लाखों लोगों की पीड़ा से भली-भांति अवगत होंगे | इन लोगों के यहाँ प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी भीषण बाढ़ कटाव का सामना करना पड़ रहा है। पुनर्वास की विसंगतियों के कारण वहां रहना इनकी विवशता है। इन लोगों के कल्याणार्थ, आर्थिक विकास और पुनर्वास सुनिश्चित कराने के लिए बिहार मंत्री मंडल ने 30 जनवरी 1987 को “कोशी पीड़ित विकास प्राधिकार” का गठन कर, उनके लिए कार्यक्रम तय किए थे, सबसे पहले उस प्राधिकार के श्री लहटन चौधरी जी अध्यक्ष हुए।  यह प्राधिकार कुछ वर्षो तक कार्य किया परन्तु बाद में वह निष्क्रिय हो गया अर्थात कहीं भी उसका कार्यलय नहीं है। हम लोग उसे खोजने की कोशिश किए परन्तु उसका कार्यलय कहीं नही मिला जिसके बाद थक-हार कर उस प्राधिकार के सम्बन्ध में बिहार कैबिनेट से सूचना अधिकार क़ानून के तहत से वर्तमान स्थिति, यदि भंग किया गया तो उसकी जानकारी, खर्च व कार्यों की रिपोर्ट मांगे। वह आवेदन अनेक विभागों में घूमने के बाद अंतिम कार्यालय ने कहा कि कोशी पीड़ित विकास प्राधिकार सम्बन्धित सूचना मेरे पास नही है। जबकि उसमें वर्णित पीड़ित लोगों के कल्याणार्थ कार्यक्रम लागू ही नही हुए।

इतना ही नही उन लोगों की जमीन का बिना पुनर्वासित किए ही नदी की मार्ग और उसके सिल्ट भरने के लिए छोड़ दिया गया।  अब जिस जमीन पर नदी बहती है, बालू भरा है उस जमीन का लगान और 4 तरह का सेस भी वे दूसरे राज्यों में पलायन करके कमाकर लाकर देते हैं। पहले 4 हेक्टेयर तक जमीन का लगान व सेस माफ़ था पर उसे भी वर्तमान दर से वसूली शुरू किया जाता है|। बाढ़ आने के बाद जब लोग खुद ही बर्बाद होते है उस समय  रसीद अप टू डेट कराया जाता है तब जाकर फसल क्षति की बात आती है| हर साल बाढ़ में सैकड़ों लोगों की जाने जाती है अनेक गम्भीर बिमारियों की स्थिति में समय से अस्पताल नही जाने के कारण जान गँवानी पड़ती है।

देश व राज्य कोविड की तीसरी लहर से मुकाबला के लिए तैयारी कर रहा है। उस समय तटबंध के बीच के लाखों लोगों के लिए एक भी उप स्वास्थ्य केंद्र चालू हालात में नहीं है। यहाँ तक की गर्भावती महिलाओं छोटे बच्चों के टीकाकरण के लिए ए एन एम तटबंध के बीच के जाएं इसके लिए स्थानीय प्रशासन से बार-बार निवेदन और विनती करना पड़ता है। तब जाकर एक-दो जगह शुरू हो पाता है| तटबंध बनते समय उन लोगों के घर की जमीन इतना जमीन पुनर्वास में देने का वादा हुआ कुछ लोग पुनर्वास में बसे भी परन्तु आजीविका के अभाव में जब वे गांवों में गये तो उनके अधिकांश पुनर्वास की मिली जमीन पर अवैध कब्जा हो गया। इस तरह पहले कुछ लोग तो पुनर्वास से वंचित थे ही, जिनको मिला उसमें अधिकांश लोग अवैध कब्जे से वंचित हो गये। जिनके कब्जे में है उनके परिवार बढने से वे नये तरह का संकट का सामना कर रहे है। इसलिए नये सिरे पुनर्वास के लिए सर्वे कराकर उन्हें रहने लायक जमीन देना आज भी जरूरी है।

कोशी तटबंध के जमीन नदी का तल प्रत्येक वर्ष उपर उठ रहा है। सरकार वर्तमान में विश्वबैंक से कर्ज लेकर तटबंध की ऊंचाई बढ़ाकर इसका निराकरण मान रही है पर आने वाले समय में गम्भीर त्रासदी के लिए खतरा भी बन रहा है। इसलिए कोशी के समस्या का समाधान ढूढना भी बेहद जरूरी है।  कोशी पर पुल बनाकर जिस कोशी के विकास का दावा सरकार करती है उस विकास में वे लोग शामिल ही नही हो पाते ।उनकी कुर्बानियों पर कोशी के अन्य क्षेत्र की खुशहाली है। उनकी कुर्वानियों को भुला दिया गया। वे लोग इस राज्य और देश के उतने ही नागरिक है जितने की दूसरे लोग है पर उनको विकास का काला पानी क्यों दिया जाता है ?

उनके हितों के लिए बिहार सरकार के कैबिनेट द्वारा 1987 में बनाया गया “कोशी पीड़ित विकास प्राधिकार” रहता तो सरकार के ध्यान आकृष्ट कराते हुए कुछ कार्य करता पर वह भी धरातल पर लापता हो गया है|

अतः कोशी नव निर्माण मंच निवेदन करता है कि  “कोशी पीड़ित विकास प्राधिकार” जो धरातल पर नही मिल रहा है उसे यथाशीघ्र खोजवाते हुए उसे पुनः सक्रिय व प्रभावी बनाया जाए। साथ ही कोशी तटबंध के बीच के लोगों की समस्यायों के निराकरण की दिशा में सरकार संवेदनापूर्वक कार्य करे।

प्रतिलिपि :

  • मुख्य सचिव, बिहार
  • प्रधान सचिव, मंत्रीमंडल सचिवालय विभाग, बिहार  

भवदीय

       

संदीप यादव                                                                     इंद्रनारायण सिंह

अध्यक्ष, कोशी नव निर्माण मंच (कोशी परिषद)        जिला अध्यक्ष, कोशी नव निर्माण मंच सुपौल

मोबाईल-9973868981/7979954265                           मोबाईल-8825167828

 

Related posts

Fearlessly expressing peoples opinion