माही
पिछले 4 महीने से लगातार उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के खिरियाबाग़ में प्रस्तावित मंदूरी अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे के लिये ज़मीन अधिग्रहण के विरोध में स्थानीय लोग रातों-दिन धरने पर बैठे हुये हैं। आजमगढ़ डीएम संग तीन बेनतीजा बैठकें हो चुकी हैं। स्थानीय लोग कह रहे हैं कि वो अपनी ज़मीन किसी भी क़ीमत पर नहीं देंगे।
वहीं दूसरी ओर 3 फरवरी को अमर उजाला के फ्रंट पेज पर योगी आदित्यनाथ की तस्वीर के साथ हेडलाइन छपती है- “ प्रेदेश में निवेश का हर करार ज़मीन पर उतरेगा: योगी।” इस ख़बर को पेज नंबर 7 पर और स्पष्ट हेडलाइन –“ निवेशकों को सुरक्षा, ज़मीन, मैनपावर चाहिए…सब मिलेगा” के साथ पूरे पेज पर छापा गया है। अमर उजाला के वाराणसी संस्करण में 15 जनवरी को सुरक्षा एजेंसिंयों के हवाले से ख़बर छपा कि खिरियाबाग आंदोलन अर्बन नक्सलियों के शह और सहयोग से चल रहा है जो बनारस में सक्रिय हैं। अख़बार ने लिखा कि सुरक्षा एजेंसियों को पता चला है कि ऐसे नक्सलियों की संख्या 130 है और उनकी पैठ बनारस विश्वविद्यालय में हो चुकी है।
वहीं 21 नवंबर को आजमगढ़ से भाजपा सांसद दिनेश लाल निरहुआ ने खिरियाबाग़ आंदोलनकारियों पर कहा कि अपने तीन महीने की खोज में उन्होंने आज़मगढ़ के पिछड़ेपन का कारण खोजा है आजमगढ़ के लोगों की मनबढ़ई। निरहुआ ने आगे कहा कि आजमगढ़ को आगे बढ़ाना है तो पहले मनबढ़ई खत्म करना होगा और मनबढ़ई खत्म करने का एक ही उपाय है कि या तो मनबढ़ को जेल के अंदर नहीं तो सीधा ऊपर। ज़्यादा मनबढ़ है तो घुटने पर मारकर घुटना तोड़ दो।
आखिर क्या है मंदुरी एयरोपोर्ट प्रोजेक्ट, क्यों कर रहे हैं लोग विरोध?
मंदुरी हवाई पट्टी का विस्तार यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्राथमिकता वाली परियोजनाओं में से एक है। रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम के तहत यहां से फिलहाल 32 सीटर प्लेन उड़ाने की योजना है। आजमगढ़ के मंदुरी बल्देव गांव में पहले से ही हवाई पट्टी है। 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी आजमगढ़ आए थे तो उन्होंने यहां एयरपोर्ट की घोषणा की थी, और अगस्त 2018 में इसके विस्तार कार्य का शिलान्यास किया था। मंदुरी एयरपोर्ट का भविष्य में और विस्तार कर इसे नेशनल अथवा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के रूप में विकसित करने की योजना है। आजमगढ़ के मंदुरी एयरपोर्ट के विस्तारीकरण का एक ओर किसान जबर्दस्त विरोध कर रहे हैं, दूसरी ओर बिग चार्टर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी इस एयरपोर्ट से अगले महीने लखनऊ के लिए विमान सेवा शुरू करने जा रहा है।
प्रशासन ने एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के लिए दूसरे फेज में करीब 670 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करने की योजना है। पहले फेज में 360 एकड़ जमीन का सर्वे कर लिया गया है, जबकि दूसरे फेज में 310 एकड़ जमीन का सर्वे बाकी है। दूसरे फेज में 310 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया जाना जाना है। शासन की ओर से जिला प्रशासन को उपलब्ध कराई गई सूची में सौरा, साती, कंधरापुर, मधुबन और कुआ देवपट्टटी बाहर हो गए है। इनके स्थान पर मंदुरी, जमुआ हरिराम, गदनपुर हिच्छन पट्टी, कादीपुर, हसनपुर, जोलहा जमुआ और जिगिना कर्मनपुर गांव विस्तारीकरण में आ रहा है। योगी सरकार ने फिलहाल जिन गांवों के किसानों की जमीन अधिग्रहित करने की योजना बनाई है उसमें गदनपुर हिच्छनपट्टी, कुंवा देवचंद पट्टी, कंधरापुर, मधुबन, बलदेव मंदुरी, सांती, सऊरा गांव शामिल हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन बगैर जमीन की पैमाइश किए ही अधिग्रहित करने के लिए नापजोख करा रहा है। वो अपनी ज़मीन किसी कीमत पर नहीं देंगे। हजारों किसानों को विस्थापन और आजीविका खोने के डर सता रहा है। किसानों का कहना है कि अधिग्रहण के लिए 80 प्रतिशत किसानों की सहमति कानून का भी सरकार पालन नहीं कर रही है और जबरिया जमीन हथिया लेना चाह रही है।
खिरियाबाग़ आंदोलन के नेता राजीव यादव के अपहरण की नाकाम कोशिश
दो फरवरी को मंदूरी हवाई अड्डे आजमगढ़ के खिरियाबाग़ आंदोलन नेता राजीव यादव का एक बार फिर अपहरण करने की कोशिश की गई। राजीव यादव आजमगढ़ के जिलाधिकारी से तीसरे दौर की वार्ता के बाद आंदोलनस्थल वापिस लौट रहे थे। किसान नेता राजीव यादव और वीरेंद्र यादव पौने तीन बजे के करीब भवर नाथ के पास पंहुचे तो चार मोटरसाइकिल और दो चार पहिया वाहन सवार लोगों ने जबरन किसान नेताओं की बाइक रूकवा ली। हाथ में असलहा लिए अपराधियों ने कहा कि तुम लोग किसान नेता हो रूक जाओ नहीं तो मार देंगे। अपराधी दोनों को जबरन उठाने का प्रयास कर ही रहे थे कि वार्ता में शामिल अन्य किसानों की गाड़ी पीछे से वहां पंहुच गई। महिलाओं ने जब किसान नेताओं को बचाने की कोशिश की तो उसमें हाथापाई भी हुई वो लोग गाली देते हुए भाग निकले। इससे पूर्व किसान नेता राजीव यादव और अन्य अधिवक्ता विनोद यादव का 24 दिसंबर को वाराणसी में एसटीएफ क्राइम ब्रांच ने अपहरण करके मारपीट किया था। खिरियाबाग आंदोलन के किसान नेता राजीव यादव ने कहा कि अगर उनके साथ कोई अप्रिय घटना होती है तो उसकी सम्पूर्ण ज़िम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी। जिलाधिकारी से वार्ता के बाद जिस तरीके से किसान नेताओं के अपहरण की कोशिश की गई वह एक ख़तरनाक साजिश की तरफ इशारा करता है।
खिरियाबाग़ आन्दोलन की शुरुआत से राजीव यादव प्रशासन के निशाने पर हैं। उन्हें सीधे टारगेट करने और हानि पहुंचाने की कोशिश एसटीएफ द्वारा दो बार की जा चुकी है। ये एक डराने और डराकर पीछे हटने की रणनीति की तहत हो सकती है। 24 दिसंबर के बाद ये दूसरी वार्ता थी जिसमें राजीव यादव बाहर गये थे। और बीच में वो कभी बाहर नहीं निकले। तो वो डीएम वार्ता में भी न जायें ऐसी कोशिश की जा रही है। राजीव कहते हैं कि जब सब कुछ प्रसासन ही करवा रहा है तो कम से कम हम ये तो मान सकते हैं कि अगर डीएम ने बातचीत के लिये बुलाया है तो प्रशासन हमें नुकसान नहीं पहुंचायेगा और वार्ता करने देगा पर ऐसा नहीं है। प्रशासन दो स्तर पर खेल रहा है।
सर्वे पर सवाल से बौखलाया है प्रशासन
राजीव यादव बताते हैं मुख्य मामला अब सर्वे का है। इन्होंने पहले एक सर्वे किया फिर दूसरा सर्वे किया। दूसरा सर्वे इन्होंने भूमि अधिग्रहण क़ानून के ख़िलाफ़ जाकर किया है। जिस पर हमने सवाल पूछा तो ये लोग फँस गये। असल में जो मामला शासन के अधीन विचाराधीन था उस पर इन्होंने शपथपत्र देना शुरु कर दिया। उसमें भी फँस गये ये। अब ये कह रहे हैं कि कि पिछला छोड़ दीजिये। हम कह रहे हैं कि पिछला कैसे छोड़ दें वो तो हमारा आरोप है। पिछले के आधार पर ही तो आप हमारे अधिकारों को दमन कर रहे हैं। राजीव यादव बताते हैं कि उनकी इस बात पर डीएम उखड़ गये कि आप लोग ताव दिखा रहे हैं। हम लोगों ने कहा कि क्या ताव दिखा रहे हैं। हम आरोप लगा रहे हैं आप के ऊपर तो उन्होंने कहा कि डीएम साहेब गये थे आप लोगों ने मुर्दाबाद के नारे लगाये। राजीव यादव आगे बताते हैं कि डीएम कह रहे हैं कि उन्होंने शासन को लिखकर भेज दिया है आप लोग ज़मीन नहीं देना चाहते तो वह आपकी ज़मीन नहीं लेगें। इस पर जब राजीव यादव ने कहा कि लिखित में दे दीजिये कि आप हमारी ज़मीनें नहीं लेंगे तो डीएम ने कहा कि ऐसे कैसे लिखित में दें देंगे।
ज़मीन क़ब्ज़ाने के लिये आधी रात पुलिस का हमला
मंदुरी हवाई अड्डे के विस्तार के लिए सगड़ी तहसील के उप जिलाधिकारी राजीव रतन सिंह की अगुवाई में मूल्यांकन टीम 13 अक्टूबर 2022 को आधी रात जमुआ हरिराम पहुंची। उपजिलाधिकारी के साथ दो ट्रकों में भरकर पीएसी के जवान और ज़मीन पर क़ब्जा लेने के लिए तहसील के कर्मचारी भी साथ पहुंचे। जब बगैर नोटिस दिए सगड़ी के एसडीएम और तहसीलदार भारी फोर्स के साथ आधी रात में सर्वे शुरू किया तो ग्रामीणों ने विरोध किया। बाद में किसानों पर रासुका लगाने की धमकी देते हुए मार-पीट शुरू कर दी। हसनपुरा गांव के निवासी व जमीन मकान बचाओ संयुक्त मोर्चा संयोजक राम नयन यादव ने बताते हैं कि एसडीएम राजीव रतन सिंह और उनके साथ आए कर्मचारियों ने पहले गांववालों को धमकी दी, फिर गाली-गलौज और मारपीट शुरू कर दी। महिलाओं और बच्चों के साथ अभद्रता की। ग्रामीणों ने विरोध किया तो पुलिस और पीएसी के जवानों ने लोगों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटना शुरू कर दिया। सावित्री और सुनीता को बुरी तरह पीटा गया। रात करीब दो बजे शौच करने निकले कपिल यादव और उनके पोते संजीव की जमकर पिटाई की गई। कपिल का हाथ फैक्चर हो गया। उनके पैरों में गंभीर चोट आई है। प्रशासनिक अफसरों ने बाद में चार लोगों को थाने लाकर हवालात में बंद कर दिया गया।”
ज़मीन घर बचाने की मुहिम में सारी जातियों के लोग एक साथ हैं
जमुआ गाँव की सुनीता भारती बताती हैं कि पूरे आठ गांवों की इतनी घनी आबादी है कि सब उजड़ जायेंगे तो जाएंगे कहां। इसीलिये धरना दे रहे हैं। अकेले जमुआ गाँव में 4 हजार घर हैं। सुनीता बताती हैं कि ज़मीन बचाने के इस आंन्दोलन में सारी जातियों के लोग एक साथ हैं। ठाकुर, ब्राह्मण, भुमिहार, चमार, निषाद, यादव, पासवान सभी जातियों के लोगों की ज़मीने हैं और कोई अपनी ज़मीन नहीं देना चाहता है। राजनीतिक रूप से सवर्ण जातियां भाजपा के साथ खड़ी हैं तो क्या ज़मीन के मामले में वो भाजपा के ख़िलाफ़ हैं इस सवाल पर सुनीता बताती हैं कि हाँ ज़मीन तो सबका जा रहा है ना। ऐसा तो है नहीं कि कोई कहे कि हमारी सरकार है तो हमारी ज़मीन नहीं उजाड़ेगी। लोग कह रहे हैं कि हमें ऐसा विकास नहीं चाहिये। जब हम यहां बचेंगे ही नहीं अपनी ज़मीन पर तो हमारा विकास क्या होगा।
सुनीता आगे बताती हैं कि सारी जातियों के लोग एकता बनाकर आन्दोलन में आते हैं और आन्दोलन चला रहे हैं। डीएम के साथ वार्तालाप की बात पर सुनीता कहती हैं कि नहीं वहां से कोई निष्कर्ष नहीं निकला। सुनीता बनाती हैं कि चार दिन पहले आजमगढ़ से डीएम के साथ बैठक के बाद जब वह लोग वापिस लौट रहे थे तो भवर नाथ में राजीव यादव और उनके भाई को एसटीएफ के लोगों ने पकड़ने और मारने की कोशिश किया। सुनीता बताती हैं कि उनके साथ पीछे आ रही महिलाओं ने जब पहुंचकर काउंटर किया तब वो लोग भागे हैं। सुनीता बताती हैं कि उन्होंने थाने पर दरखास्त दिया, घटना का वीडियो दिया, गाड़ी का नंबर दिया तो 5 फऱवरी को दरोगा आया और बोला कि उन्हें नहीं पता है। वो लोग कह रहे हैं कि आप लोग झूठे इल्जाम लगा रहे हैं। लेकिन जब वो उन्हीं के आदमी हैं तो वो हमारी बात क्यों सुनेंगे।
सुनीता कहती हैं कि वो लोग बहुत शान्तिपूर्ण तरीके से आन्दोलन चला रही हैं लेकिन सरकार और प्रशासन तरह तरह के हथकंडे अपना रही हैं उन्हें डराने और ज़मीन छोड़कर भागने के लिये। लेकिन वह लोग हटेंगे नहीं। सुनीता बताती हैं कि अक्टूबर में बिना नोटिफिकेशन के आधी रात में पुलिस ज़मीन नापने चली आई। नक्शा भी बदल दिया। सुनीता बताती हैं कि एसडीएम ने कहा कि ये लड़की ज़्यादा बोल रही है तो इसे गाड़ी में बिठाओ ले चलो। और उन्हें गाड़ी में बिठा लिया गया।
जब सरकार के पास हवाईजहाज ही नहीं तो क्यों बना रही एयरोपर्ट
खिरियाबाग़ में सरकार ज़मीन के कई गुना ज़्यादा पैसे देने की बात कर रही है लेकिन लोग अपनी ज़मीन किसी भी क़ीमत पर नहीं देना चाहते। हसनपुर गाँव के राम नयन यादव कहते हैं कि- “कोई रेट हो कितने गुना हो वो अपनी ज़मीनें नहीं देंगे। हमें सिर्फ़ एक बात कहनी हैं कि हम अपनी ज़मीन अपना मकान नहीं देंगे। और दूसरी बात यह है कि एयरपोर्ट जो बना हुआ है सरकार उतना चलाना चाहे तो चलाये लेकिन उसके विस्तारीकरण का जो मास्टरप्लान है उसे वो रद्द करे।” आखिर सरकार क्यों एयरपोर्ट का विस्तार चाहती है इस पर राम नयन जी कहते हैं कि शायद भारत सरकार के पास अपनी कोई जहाज ही नहीं रह गई है तो जब सरकार के पास कोई हवाईजहाज ही नहीं है तो उसे एयरपोर्ट की आवश्यकता क्यों रह गई है। इससे साफ जाहिर होता है कि एयरपोर्ट विस्तारीकरण के नाम पर सरकार उऩसे उनकी ज़मीनें छीनकर पूंजीपतियों के हवाले करेगी। वो प्रतिप्रश्न करते हैं कि गरीब किसान मज़दूरों को ये उजाड़कर आखिर क्या हासिल करना चाहते हैं। इतने लोगों को बेघर, विस्थापित करके क्या करेगें हमें किस खाईं में फेंकना चाहते हैं।
सरकार के पास बेघर लोगों के लिये ज़मीन नहीं
राम नयन यादव अपने द्वारा किये गये 25 साल पहले के आंदोलन को याद करते हुये कहते हैं कि एक बार उन लोगों ने आन्दोलन किया था इस मांग को लेकर कि जो लोग बेघर हैं और इधर उधर भटक रहे हैं खानाबदोश लोग सरकार उन्हें ज़मीन देकर बसा दे। इस मांग पर सरकार ने उन लोगों से कहा था कि सरकार के पास ज़मीन नहीं है किसी को देने के लिये। वो आगे पूछते हैं कि आखिर जब आज सरकार हम जैसे 40 हजार लोगों को उजाड़ने जा रही है हम उजड़ जायेंगे तो कहां जायेंगे किस ज़मीन पर बसेंगे। सरकार चंद पूंजीपतियों की खुशहाली लिये 40 हजार घरों को बर्बादी की ओर धकेल रही है।
कोरोनाकाल का जिक्र करते हुये राम नयन जी कहते हैं कि कोरोना के समय देश के कोने कोने में लोग जो परदेश गये थे उन्हें सवारियां नहीं मिली तो पैदल ही घर के चल दिये। तो उनको एक भरोसा था कि गांव में उनका घर है ज़मीन है। वहाँ चलकर वो जी खा लेंगे। लेकिन जब हमारे पास कुछ नहीं रहेगा तो हम लोगों के पास भीख मांगने, चोरी छिनैती करने के सिवाय और कोई रास्ता नहीं बचेगा। तो ये लोग क्राइम फैलाना चाहते हैं। बेरोज़गारी फैलाना चाहते हैं। तभी तो लोगों को दर दर की ठोकर खाने, खानाबदोश जिंदगी जीने के लिये मज़बूर कर रहे हैं। लेकिन हम लोग अभी वो जिन्दग़ी जीने के लिये तैयार नहीं हैं। राम नयन जी जोर देते हैं कि छोटी बड़ी हर जाति के लोगों की रजामंदी है इस बात पर कि वह अपने मकान अपनी ज़मीन नहीं देंगे।