उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर जिले के मड़िहान विधानसभा में पहाड़ी पर चढ़ते हुए पटेहरा गांव है जहां मिट्टी के कच्चे घरो में से एक घर जीरा भारती का है जो पिछले दो दशक से दलितों औऱ आदिवासियों के हक में आवाज़ उठा रही है। इस संघर्ष में कई बार उन्हें गांव के दबंगो की मार झेलनी पड़ी है और प्रशासन द्वारा क़ई फर्जी मुकदमे भी उनके ऊपर लादे गए हैं।
इस विधानसभा चुनाव में जीरा भारती मड़िहान विधानसभा से भकपा (माले) से उम्मीदवार हैं।
गाँव में आदिवासियों की बेदखली के खिलाफ आंदोलन ने बदला जीवन
जीरा भारती का कम्युनिस्ट आंदोलन से जुड़ाव आदिवासियों को उनकी जमीन से बेदखल करने के खिलाफ शुरू हुए आंदोलन के दौरान हुआ। जीरा भर्ती अपने गांव पटेहरा में अपने चार बच्चों के साथ खेत में मजदूरी करके जीवन यापन करती थी। गांव के स्वर्ण सामंती ताकतों ने प्रशासन के साथ मिलकर क़ई सालों से अपनी जमीन पर बसे आदिवासियों को बेदख़ल कर उनकी ज़मीन हड़प का सरकारी अभियान चलाया। ऐसी परिस्थिति में लाल झण्डे पर हंसुआ हथौड़ा के निशान वाली पार्टी के लोग गांव में आये और आदिवासियों के साथ मिलकर गांव में जमीन हड़प के ख़िलाफ़ दीर्घकालिक लंबा धरना दिया। जीरा भारती ने इस धरने में शामिल होकर महिलाओं का नेतृत्व किया। लाल झण्डे और आदिवासियों की बड़ी भागीदारी की ताकत ने स्वर्ण सामन्ती ताकतों और प्रशासन को गांव से बाहर का रास्ता दिखा दिया। इस आंदोलन का उन पर इतना बड़ा असर हुआ कि उन्होंने लाल झण्डे की पार्टी भाकपा (माले) की सदस्यता ले ली और कम्युनिस्ट आंदोलन में शामिल हो गई।
इसके बाद मिर्जापुर में गरीबों, दलितों और आदिवासियों की क़ई लड़ाईयों का नेतृत्व उन्होंने किया।
जानलेवा हमले और फर्जी केस नहीं डिगा सके जीरा भारती का हौसला
पिछले दो दशक में जीरा भारती ने ग्रामीणों के साथ मिलकर न केवल मजदूरी बढ़ाने बल्कि राशन व्यवस्था में कोटेदारों की मनमानी और मनरेगा में भ्र्ष्टाचार के ख़िलाफ़ क़ई लड़ाईयों का नेतृत्व किया। उन्होंने महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा के सवालों को भी वह मज़बूती से उठाया। गरीबों और महिलाओं के हक़ में प्रशासन और दबंगो से सीधे टकराने के कारण जीरा भारती को कई बार अपने ऊपर यौन हमले, जानलेवा हमले झेलने पड़े। कई फर्जी मुक़दमोँ उनके ऊपर दर्ज कराए गए। उनके परिजनों साथ भी दबंगो द्वारा हिंसा की गई और फर्जी मुकदमे लादे गए।
वर्ष 2018 में कोलहा गांव में दलितों पर बर्बर सामंती हमले के जिक्र करते हुए जीरा भारती बताती हैं कि मोदी- योगी राज में भू माफिया अंबिका प्रसाद पांडे ने प्रशासन की मिलीभगत के साथ दलितों की पट्टे देने वाली जमीन व खतैनी की जमीन को अपने व परिवार के सदस्यों के नाम करा लिया। दलित समाज के लोगों ने इसका विरोध किया और कहा कि उनका गांव चकबंदी में है तो उनकी जमीन पर कब्जा नही हो सकता है। लेकिन भू माफियाओं के गुंडों ने निहत्थे आंदोलनरत गांववासियों ( जिसमें कई महिलाएं भी शामिल थी) के ऊपर ट्रैक्टर चढ़ा दिया। महिलाओं की गुंडों ने बर्बर पिटाई भी की। चार महिलाएं बुरी तरह घायल हो गईं। एक गर्भवती महिला का गर्भपात भी हो गया। इस हमले में क़ई बुजर्गों को गम्भीर चोटे भी आईं।
जीरा भारती बताती है कि दलितों पर इतना बड़ा हमला हुआ और उनका मुकदमा भी पुलिस ने दर्ज नहीं किया। एससी- एसटी एक्ट लगाने की बात तो दूर बल्कि उल्टे 39 दलितों पर नामजद व सैकड़ो अज्ञात लोगों के ऊपर फर्जी मुकदमे दर्ज कर दिए गए। वह कहती है कि उ.प्र. में 2017 में योगी सरकार के आने के बाद से गांव में दलितों और आदिवासियों का उत्पीड़न बहुत बढ़ा है और सवर्ण सामंती भू-माफियाओं और प्रशासन का गठजोड़ मजबूत हुआ है।
जीरा भारती ने बताया कि विगत पांच सालों में मिर्जापुर के तमाम इलाको में दलितों और आदिवासियो को उनकी पुश्तैनी जमीन से बेदखल किया जा रहा है। खुद सरकारी अधिकारी कानून की अवेहलना करते हुए भू-माफियाओं के साथ मिलकर गरीबों की जमीन अपने नाम लिखवा रहे हैं।
महिलाओं ने संभाल रखा है चुनाव प्रचार
मड़िहान विधानसभा क्षेत्र में जीरा भारती के चुनावी प्रचार में मुझे उनके साथ क़ई गाँव घूमने का मौका मिला। मिर्जापुर जिले में और अपने विधानसभा क्षेत्र में वह महिलाओं की चर्चित नेता है। गांव की महिलाओं की आंखों में मैने जीरा भारती के लिए सम्मान और समर्पण दोनों देखा। चुनाव प्रचार के लिए महिलाएं धन और अनाज जुटा रही हैं। पटेहरा गांव की आदिवासी महिला रन्नो से जीरा भारती और उनके चुनाव में खड़े होने के सम्बंध में हमने बात की तो उन्होंने बेबाकी से जवाब दिया कि “जीरा भारती हमारे दुख – सुख की साथी हैं। एक पुकार में वह हमारे साथ आकर खड़ी हो जाती हैं, हमारे लिए जेल जाती हैं, पुलिस की मार भी खाती हैं। बाकी नेता तो बरसाती मेढ़क की तरह चुनाव के समय में ही हमारे दरवाज़े बस हाथ जोड़कर खड़े हो जाते हैं। “
रिक्साखुर्द गांव की दलित महिला सुकना ने कहा कि ” हम तो हमेशा से लाल झण्डे की नेता जीरा भारती के साथ ही हैं क्योंकि वह हम महिलाओं की ताकत हैं। हमारी लड़ाई को थाने से लेकर कचहरी तक लड़ती हैं। इसलिए आज हम लोग मिलकर उनके चुनाव प्रचार के लिए पैसे इकट्ठे कर रहे रहे हैं ताकि महिलाओं की आवाज लखनऊ विधानसभा पहुंच सके। “
मड़िहान विधानसभा के बरसैंता गांव की 16 वर्षीय अराधना से चुनाव प्रचार के दौरान मुलाक़ात हुई। डॉक्टर बनने का सपना देखने वाली आराधना कक्षा आठ के बाद आगे की पढ़ाई इसलिए नहीं कर सकी क्योकि उनके गांव मे कोई हाईस्कूल भी नहीं था। आराधना, जीरा भारती के साथ चुनाव प्रचार में साथ-साथ चल रही हैं। वह ‘ मजदूर और महिलाओं की लड़ाई जिंदाबाद ‘ के नारे लगा रही है । आराधना का कहना है कि हमारे गाँव में बहुत सारी लड़कियों की पढ़ाई स्कूल कॉलेज के अभाव में छूट जाती है। मै जीरा भारती के चुनावी कार्यक्रमों में इसलिए शामिल हो रही हूँ ताकि लड़कियों की शिक्षा का सवाल विधानसभा पहुंचे।
मड़िहान विधानसभा क्षेत्र में क़ई राजनैतिक पार्टियो के रसूखदार नेताओं का कारवां क़ई दर्जन गाड़ियों के साथ चुनाव प्रचार कर रहा है। इसके विपरीत जीरा भारती पैदल गांव-गांव जाकर ग्रामीणों से मिल रही हैं और लोग खुद ब खुद उनके चुनावी कारवां में शामिल हो जा रहे हैं। महिलाएं हंसी खुशी उनके लिए गाना गा रही है, नृत्य कर रही है भोजन की व्यवस्था कर रही हैं।
मौजूदा चुनाव में जनता के प्रमुख मुद्दे पर चर्चा करते हुए जीरा भारती कहती हैं कि भाजपा सरकार ने पिछले पाँच वर्ष में विकास के नाम पर गरीब जनता का दमन ही किया है। आदिवासियों के सामने उनके अस्तित्व का संकट तो है ही साथ ही जमीन बेदखली भी बड़े पैमाने पर मौजूद है। इस सरकार में पंचायत स्तर तक लूटतन्त्र व्याप्त है जिसके कारण योजनाओं का कोई लाभ भी ग़रीबो को नही मिल पाता है। सरकार की पाँच किलो मुफ़्त अनाज योजना ग़रीबी का मजाक बनाने वाली है। सबसे बड़ा सवाल तो महिला सुरक्षा का है जिसमे भाजपा सरकार और उसका पुलिस- प्रशासन खुद कटघरे में खड़ा है। उन्होंने कहा कि यदि वह चुनाव जीतती हैं तो गरीबो के हक में अपनी आवाज बुलंद करेंगी क्योंकि लाल झण्डे की ताकत सिर्फ जनता है। संघर्षो के लिए हमें ऊर्जा भी जनता से मिलती है इसलिए हमारी असली पूंजी जनता ही है। मेरा सम्पूर्ण जीवन जनता की लड़ाई के लिए समर्पित है।