जन संस्कृति मंच ने ‘ नया ज्ञानोदय ‘ को बंद करने और वहां कार्य कर रहे कर्मचारियों की छंटनी का विरोध किया है.
जन संस्कृति मंच द्वारा आज जारी बयान में कहा गया है कि भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित मासिक पत्रिका ‘ नया ज्ञानोदय ‘ के बंद होने की सूचना मिल रही है. जैसा की हम जानते है कि एक न्यास होने के नाते ‘भारतीय ज्ञानपीठ ‘ एवं ‘ ज्ञानपीठ ट्रस्ट ‘ को अनेक प्रकार के छूट, लाभ और आर्थिक मदद सरकार से मिलती रही है. साथ ही , ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित पुस्तकों की सरकारी खरीद से लेकर पत्रिका को सरकारी विज्ञापनों और केंद्रीय हिंदी संस्थान आदि संस्थाओं से मदद भी मिलती रही है. ऐसी स्थिति में इस संस्था का कमज़ोर प्रबंधन के चलते इस पत्रिका को न चला पाना संचालकों की दुरभिसंधियों का एक विस्तार सा लगता जिसने कभी हिंदी की श्रेष्ठ साहित्यिक पत्रिकाओं (धर्मयुग, दिनमान, पराग आदि) का गला घोंटा था.
जन संस्कृति मंच ऐसे मनमाने निर्णयों का विरोध करता है. यदि इस पत्रिका के प्रकाशन के बंद होने के कारण संस्था के किसी भी कर्मचारी को किसी प्रकार के आर्थिक नुकसान या छंटनी का सामना करना पड़ता है तो जन संस्कृति मंच अन्य सभी प्रगतिशील और जन पक्षधर साहित्यिक सांस्कृतिक संगठनों के साथ मिल कर इस का व्यापक और पुरजोर विरोध करेगा.
जन संस्कृति मंच, रचनाकारों, पाठकों और विवेक संपंन्न आम नागरिकों से अपील करता है कि ‘ भारतीय ज्ञानपीठ’ के ऐसे एकतरफा निर्णय का विरोध करें और इस ट्रस्ट के कर्मचारियों पर संचालकों द्वारा किसी भी प्रकार के अन्यायपूर्ण कदमों के विरोध में आवाज़ उठायें.