नई दिल्ली. धारा 377 को असंवैधानिक घोषित कर समाप्त करने और समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले का भाकपा (माले) ने स्वागत किया है.
भाकपा माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने एक बयान में कहा कि इस ऐतिहासिक फैसले का श्रेय एलजीबीटीक्यूआईए कार्यकर्ताओं, व्यक्तियों, संगठनों और वकीलों की समर्पित टीम को जाता है. यह उनकी दृढ़ता ही है जिसके परिणामस्वरूप उच्चतम न्यायालय ने अंततः सुरेश कुमार कौशल मामले में अपनी ऐतिहासिक गलती को सही किया, जिसमें समलैंगिकता को अपराध माना गया था. आज सुप्रीम कोर्ट ने एलजीबीटीक्यूआईए लोगों के अधिकारों को कायम रखने के लिए कहा कि “बहुमतवादी विचार और लोकप्रिय नैतिकता संवैधानिक अधिकारों को निर्देशित नहीं कर सकती है. हमें पूर्वाग्रह को खत्म करना है, समावेशिता अपनानी चाहिए और और समान अधिकार सुनिश्चित करना है.
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उन्होंने कहा कि यह सिद्धांत कि बहुसंख्यक लोकप्रिय नैतिकता के बजाय संवैधानिक नैतिकता को सार्वजनिक नीति का मार्गदर्शन करना चाहिए’, न केवल एलजीबीटीक्यूआईए अधिकारों के मामले में बल्कि ऐसे तमाम कानूनों और भीड़तंत्र के हिंसक कृत्यों के खिलाफ लागू किया जाना चाहिए जो कि आहार, पोशाक, साथी की पसंद आदि व्यक्तिगत निर्णयों के मामलों में हस्तक्षेप करते हैं.
दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि अब धारा 377 की छाया हटा दी गई है तो हम भारत में एलजीबीटीक्यूआई लोगों के लिए पूर्ण संभव समानता और गरिमा को हासिल करने और विस्तार करने के लिए संघर्ष की उम्मीद करते हैं.