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बदलाव की लड़ाई को आगे बढ़ाने के संकल्प के साथ काॅ. बृजबिहारी पांडेय को अंतिम विदाई

पटना। सैंकड़ों की तादाद में माले कार्यकर्ताओं ने 27 अगस्त को अपने प्रिय नेता काॅ. बृजबिहारी पांडेय को तनी मुठियों और बदलाव की लड़ाई को आगे बढ़ाने के संकल्प के साथ अंतिम विदाई दी. अपराह्न 3 बजे छज्जूबाग स्थित विधायक दल कार्यालय से उनकी अंतिम यात्रा आरंभ हुई, जो शहर के विभिन्न मार्गों से गुजरते हुए बांस घाट तक पहुंची.
उनकी अंतिम यात्रा में माले महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य सहित पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता और उत्तरप्रदेश, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, झारखंड आदि राज्यों से उनके साथ काम करने वाले पार्टी नेता-कार्यकर्ता भी शामिल हुए. इसके पूर्व विधायक दल कार्यालय में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई, जिसमें महागठबंधन के नेता भी शामिल हुए. महागठबंधन के नेताओं में बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष व राजद नेता श्री उदयनारायण चौधरी, वृषण पटेल; सीपीआई के विजय नारायण मिश्र व गजनफर नबाव; सीपीएम के अरूण कुमार मिश्रा व रामपरी; मखदुमपुर से राजद विधायक सतीश दास, फारवर्ड ब्लाॅक के अमेरिका महतो; एसयूसीआईसी के सूर्यंकर जितेन्द्र, पटना टिस्स के पुष्पेन्द्र, महेन्द्र सुमन, चिकित्सक पीएनपीपाल, पूर्व विधायक रमेश कुशवाहा, आदि लोगों ने उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी.
पार्टी नेताओं में वरिष्ठ पार्टी नेता स्वदेश भट्टाचार्य, नंदकिशोर प्रसाद, यूपी के पार्टी प्रभारी रामजी राय, पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ पार्टी नेता कार्तिक पाल, झारखंड भाकपा-माले के राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद, बगोदर विधायक विनोद सिंह, मनोज भक्त, केंद्रीय कंट्रोल कमीशन की सदस्य उमा गुप्ता, काॅ. बृजबिहारी पांडेय की पत्नी व ऐपवा की नेता विभा गुप्ता, उनकी बेटियों अदिति व रिया, उनके परिजनों, भाकपा-माले वर्धमान जिला सचिव सुरेन्द्र सिंह, आईआरपीएफ के किशानु, खेग्रामस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीराम चौधरी, राज्य सचिव कुणाल, अमर, धीरेन्द्र झा, मीना तिवारी, शशि यादव, मधु, केडी यादव, पवन शर्मा, आरएन ठाकुर, संतोष सहर, अलीम अख्तर, पीएस महाराज सहित पार्टी के सभी केंद्रीय कमिटी, राज्य कमिटी के नेताओं, पार्टी विधायकों और कई जिला सचिवों ने श्रद्धांजलि दी.
श्रद्धांजलि सभा में माले महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि 2020-21 का दौर हमारे लिए बेहद दुखद रहा है, हमने बहुत सारे साथियों को खो दिया है. कुछ दिन पहले काॅ. अरिवंद कुमार व काॅ. रामजतन शर्मा हमसे बिछड़ गए और आज हम यहां काॅ. बीबी पांडेय को अंतिम विदाई देने के लिए जमा हुए हैं. काॅ. बीबी पांडेय ने पिछले करीब 50 साल से देश के बहुत सारे इलाकों में और बहुत सारे मोर्चों पर काम किया. वे जहां भी रहे, जिस काम में भी रहे, उसे उन्होंने बेहद जिम्मेवारी के साथ निभाया. काॅ. विनोद मिश्र के साथ, जो उनके बचपन के साथी रहे, काॅलेज की पढ़ाई के दौरान ही वे पार्टी के संपर्क में आए. उन दोनों की पढ़ाई जनता की मुक्ति के मुहिम में तब्दील हो गई. उनमें से एक काॅ. डीपी बख्शी को हमने 2018 में ही खो दिया. पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर के इलाके के कई छात्र और औद्योगिक मजदूर भी इस मुहिम से जुड़ गए और आगे चलकर उन्होंने भाकपा-माले के पुनर्गठन में अहम भूमिका निभाई.
पार्टी को आगे बढ़ाना, पार्टी कामकाज को विस्तार देना और पार्टी को संचालित करना यह सारा काम उन लोगों ने किया. उन्होंने पार्टी के प्रकाशनों को गति देने में बड़ी भूमिका निभाई. लाल झंडा, लिबरेशन, जनमत और जनसंस्कृति मंच में उनकी सक्रियता लगातार बनी रही और उनकी बौद्धिकता उभरकर सामने आई. लेकिन बौद्धिकता के साथ अक्सर पार्टी अनुशासन का तालमेल नहीं रह पाता. काॅ. बीबी पांडेय बौद्धिक होने के साथ-साथ पार्टी के एक समर्पित व अनुशासनप्रिय सिपाही भी थे. यही वह गुण था जिसकी बदौलत वे पार्टी के केंद्रीय कंट्रोल कमीशन के चेयरमैन थे. अत्यंत धीरज, कभी गुस्सा न करना, हमेशा धीमी आवाज में बात करना और पार्टी के अनुशासन व विचारधारा व राजनीति को हमेशा आगे बढ़ाना, ये वो गुण हैं जो हम उनसे सीख सकते हैं. वे हमारे रोल माॅडल थे. उन्होंने पार्टी और पार्टी के बाहरी दायरे में भी छात्रों के लिए शिक्षक की भूमिका निभाई और उन्हें माक्र्सवाद पर अमल करना सिखाया.

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