शिक्षा का सवाल मार्क्सवाद के भीतर महत्वपूर्ण होते हुए भी बहुधा उपेक्षित रहा है लेकिन क्रमश: इस मामले में भी दोनों के बीच जीवंत संवाद कायम हुआ । इस संवाद में लैटिन अमेरिकी मार्क्सवादियों का योगदान अधिक बुनियादी रहा है । सामाजिक बदलाव और क्रांतिकारी चेतना के प्रसार में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए मार्क्सवाद के समर्थकों ने इसका विवेचन विश्लेषण किया है ।
स्कूली शिक्षा में इस पहलू को उजागर करने के लिए 1999 में कैसेल से डेव हिल और माइक कोल के संपादन में ‘प्रोमोटिंग इक्वलिटी इन सेकंडरी स्कूल्स’ का प्रकाशन हुआ ।
1999 में रौमान & लिटिलफ़ील्ड पब्लिशर्स से मैनुएल कासतेल्स, रामेन फ़्लेचा, पाउलो फ़्रेयरे, हेनरी ए गीरू, डोनाल्डो मसेडो और पाल विलिस की किताब ‘क्रिटिकल एजुकेशन इन द न्यू इनफ़ार्मेशन एज’ का प्रकाशन पीटर मैकलारेन की भूमिका के साथ हुआ । किताब में उपरोक्त सभी लेखकों के एक एक लेख हैं और इन सबको एक साथ बांधने का काम पीटर मैकलारेन की भूमिका के जरिए हुआ है ।
2000 में पीटर मैकलारेन की किताब ‘चेग्वेरा, पाउलो फ़्रेयरे, ऐंड द पेडागागी आफ़ रेवोल्यूशन’ का प्रकाशन रौमन ऐंड लिटिलफ़ील्ड पब्लिशर्स की ओर से हुआ । किताब की भूमिका अनामा रिया अराउजो फ़्रेयरे ने लिखी है ।
पीटर पेरिक्लेस त्रिफ़ोनास के संपादन में रटलेज फ़ाल्मेर से ‘रेवोल्यूशनरी पेडागोगीज: कल्चरल पालिटिक्स, इंस्टीच्यूटिंग एजुकेशन, ऐंड द डिस्कोर्स आफ़ थियरी’ का प्रकाशन 2000 में हुआ लेकिन 2002 में टेलर ऐंड फ़्रांसिस ई-लाइब्रेरी ने इसका इलेक्ट्रानिक संस्करण जारी किया ।
2000 में रटलेज फ़ाल्मेर से माइक कोल के संपादन में ‘एजुकेशन, इक्वलिटी ऐंड ह्यूमन राइट्स: इशूज आफ़ जेंडर,”रेस”, सेक्सुअलिटी, स्पेशल नीड्स ऐंड सोशल क्लास’ का प्रकाशन हुआ ।
पीटर मैकलारेन की किताब ‘क्रिटिकल पेडागोगी ऐंड प्रीडेटरी कल्चर: अपोजीशनल पालिटिक्स इन ए पोस्ट माडर्न एरा’ का प्रकाशन रटलेज से पहली बार 1995 में हुआ था लेकिन 2002 में टेलर & फ़्रांसिस ई-लाइब्रेरी से उसे फिर जारी किया गया है । भूमिका पाउलो फ़्रेयरे ने लिखी है । शिक्षा को राजनीति का सवाल साबित करते हुए लेखक ने विषय प्रवेश लिखा है । इसके बाद किताब तीन भागों में बांटी गई है । पहला भाग शिक्षा, संस्कृति और शरीर के आपसी रिश्तों का विश्लेषण करता है । दूसरे भाग में आलोचनात्मक कर्ता, सीमाई आख्यान और प्रतिरोधी बहुलता जैसे विषयों पर विचार किया गया है । तीसरा भाग उत्तर औपनिवेशिक शिक्षण और भिन्नता की राजनीति का विवेचन करता है ।
शिक्षा का क्षेत्र तमाम किस्म के संघर्षों से आजाद नहीं होता बल्कि उस क्षेत्र में इन संघर्षों का प्रतिबिम्ब होता है । यह बात साबित करते हुए 2002 में स्टाइलस पब्लिशिंग से ली जोन्स के संपादन में और कोर्नेल वेस्ट की भूमिका के साथ ‘मेकिंग इट आन ब्रोकेन प्रामिसेज: लीडिंग अफ़्रीकन अमेरिकन मेल स्कालर्स कनफ़्रन्ट द कल्चर आफ़ हायर एजुकेशन’ का प्रकाशन हुआ ।
2002 में लेक्सिंगटन बुक्स से डेव हिल, पीटर मैकलारेन, माइक कोल और ग्लेन रिकोव्सकी के संपादन में ‘मार्क्सिज्म अगेन्स्ट पोस्टमाडर्निज्म इन एजुकेशनल थियरी’ का प्रकाशन हुआ ।
स्टैनली आरोनोविट्ज़ और हेनरी ए गीरू की किताब ‘एजुकेशन अंडर सीज: द कंजर्वेटिव, लिबरल ऐंड रैडिकल डिबेट ओवर स्कूलिंग’ का प्रकाशन वैसे तो बहुत पहले 1986 में रटलेज से हुआ था लेकिन टेलर ऐंड फ़्रांसिस ई-लाइब्रेरी ने 2003 में उसका इलेक्ट्रानिक संस्करण प्रकाशित किया है ।
2004 में जान्स हापकिन्स यूनिवर्सिटी प्रेस से शीला स्लाटर और गैरी रोड्स की किताब ‘एकेडेमिक कैपिटलिज्म ऐंड द न्यू इकोनामी: मार्केट्स, स्टेट, ऐंड हायर एजुकेशन’ का प्रकाशन हुआ । इसका पेपरबैक संस्करण 2010 में छपा है ।
2004 में बीकन प्रेस से विलियम आयर्स की किताब ‘टीचिंग टुवार्ड फ़्रीडम: मोरल कमिटमेंट ऐंड एथिकल ऐक्शन इन द क्लासरूम’ का प्रकाशन हुआ।
2004 में पालग्रेव मैकमिलन से हेनरी ए गीरू और सुसान सर्ल्स गीरू की किताब ‘टेक बैक हायर एजुकेशन: रेस, यूथ, ऐंड द क्राइसिस आफ़ डेमोक्रेसी इन द पोस्ट-सिविल राइट्स एरा’ का प्रकाशन हुआ । लेखकों की भूमिका के अतिरिक्त किताब को तीन भागों में बांटा गया है । पहला भाग शिक्षण और विश्वविद्यालयी लोकतंत्र के बारे में है । दूसरा भाग उच्चशिक्षा और नस्ल की राजनीति के बारे में है । तीसरा भाग शिक्षा के कारपोरेटीकरण को सामाजिक समझौते के खात्मे के रूप में व्याख्यायित करता है ।
2005 में आरहुस यूनिवर्सिटी प्रेस से मरियाने हेडेगार्ड और सेठ चैकलिन की किताब ‘रैडिकल-लोकल टीचिंग ऐंड लर्निंग: ए कल्चरल-हिस्टारिकल अप्रोच’ का प्रकाशन हुआ ।
2005 में रटलेज से ज्यां अन्योन की किताब ‘रैडिकल पासिबिलिटीज: पब्लिक पालिसी, अर्बन एजुकेशन, ऐंड ए न्यू सोशल मूवमेन्ट’ का प्रकाशन हुआ । लेखक के पिता कम्यूनिस्ट पार्टी के सदस्य रहे थे शायद इसीलिए उन्हें सामाजिक न्याय की प्रतिबद्धता बचपन से ही मिली थी । वे चतुर्दिक व्याप्त नस्ली और वर्गीय उत्पीड़न से लड़ना चाहते थे इसलिए इस सवाल पर संघर्षरत संगठनों में सक्रिय हो गए । साठ के दशक में नस्ली भेदभाव विरोधी आंदोलन और वियतनाम युद्ध विरोधी आंदोलन में भी सक्रिय रहे । इसी भावना के साथ उन्होंने स्कूली शिक्षा में भी हस्तक्षेप किया ।
2005 में टीचर्स कालेज प्रेस से ग्रेगोरी मिची की किताब ‘सी यू ह्वेन वी गेट देयर: टीचिंग फ़ार चेन्ज इन अर्बन स्कूल्स’ का प्रकाशन हुआ । इसकी भूमिका ग्लोरिया लैडसन-बिलिंग्स ने लिखी है । उनका कहना है कि इस किताब के लेखक में कहानी सुनाने की अद्भुत क्षमता है । असल में हमारे स्कूल विद्यार्थी की सृजनात्मकता नष्ट कर देते हैं और उनका लेखन उबाऊ और उलझाऊ हो जाता है । यह किताब उनके शोध प्रबंध पर आधारित है । किताब ऐसे अश्वेत युवा अध्यापकों की कहानी है जो विद्यार्थियों की क्षमता और संभावना में भरोसा रखते हैं । उन अध्यापकों की जीवंत उपस्थिति किताब में महसूस की जा सकती है ।
2006 में बुकमार्क्स पब्लिकेशन से अलेक्स कलीनिकोस की किताब ‘यूनिवर्सिटीज इन ए नियोलिबरल वर्ल्ड’ का प्रकाशन हुआ । किताब की भूमिका अध्यापक आंदोलन और संगठन के एक नेता पाल मैकनी ने लिखी है ।
2006 में बीकन प्रेस से नोलिव एम रूक्स की किताब ‘ह्वाइट मनी/ब्लैक पावर: द सरप्राइजिंग हिस्ट्री आफ़ अफ़्रीकन अमेरिकन स्टडीज ऐंड द क्राइसिस आफ़ रेस इन हायर एजुकेशन’ का प्रकाशन हुआ ।
2007 में पालग्रेव मैकमिलन से एंथनी ग्रीन, ग्लेन रिकोव्स्की और हेलेन रादुन्त्ज के संपादन में ‘रीन्यूइंग डायलाग्स इन मार्क्सिज्म ऐंड एजुकेशन: ओपेनिंग्स’ शीर्षक किताब का प्रकाशन उसी प्रवृत्ति का प्रमाण है जिसके तहत अलग अलग अनुशासनों के प्रसंग में मार्क्सवाद पर विचार हो रहा है । किताब में पांच भाग हैं । पहले भाग में संपादकों की प्रस्तावना के अतिरिक्त एंथनी ग्रीन का पुस्तक की विषयवस्तु पर एक लेख है । दूसरे भाग के लेखों में इस समय को संक्रमणशील मानकर नव उदारवाद, वैश्वीकरण, संकट और शिक्षा के संबंध पर विचार किया गया है । तीसरे भाग में विमर्श, उत्तर आधुनिकता और उत्तर संरचनावाद का विवेचन है । चौथे भाग में अध्यापन, सीखने और शिक्षा नीति में राजनीति, विभाजन और संघर्ष के प्रसंगों का विश्लेषण है । आखिरी पांचवें भाग में शिक्षा के सिद्धांत, व्यवहार और आलोचना में श्रम और पण्यीकरण पर विचार करने वाले लेख संकलित हैं ।
2007 में पीटर लैंग पब्लिशिंग से पीटर मैकलारेन के संपादन में ‘क्रिटिकल पैडागोगी: ह्वेयर आर वी नाउ?’ का प्रकाशन हुआ ।
2007 में रोडोपी प्रकाशन से राबर्ट फ़िशर के संपादन में ऐट द इंटरफ़ेस नामक पुस्तक श्रृंखला के तहत रुडोल्फस ट्वीवेन और स्टीफेन हांट के संपादन में ‘जिप्सी स्कालर्स, माइग्रेंट टीचर्स ऐंड द ग्लोबल एकेडमिक प्रोलेतेरिएत: ऐडजंक्ट लेबर इन हायर एजुकेशन’ शीर्षक किताब का प्रकाशन हुआ ।
2007 में रटलेज से केनेथ जे साल्टमैन के संपादन में ‘स्कूलिंग ऐंड द पालिटिक्स आफ़ डिजास्टर’ का प्रकाशन हुआ । किताब संपादक की भूमिका के अतिरिक्त तीन भागों में विभाजित है । अमेरिका में कटरीना नामक तूफान की तबाही की पृष्ठभूमि में यह किताब अवस्थित है । उस तूफान से जिन इलाकों में तबाही आई थी वे अधिकतर काले लोगों की आबादीवाले क्षेत्र थे इसलिए इस तबाही के इर्द गिर्द राजनीति भी हुई । पहले भाग के चार अध्यायों में इसी राजनीति की सैद्धांतिकी पर विचार किया गया है । दूसरे भाग में छह अध्याय हैं जिनमें तबाही और शिक्षा नीति के आपसी संबंधों की पड़ताल की गई है । तीसरा भाग पांच अध्यायों का है जिनमें तबाही के वैश्विक निहितार्थों को देखने की कोशिश की गई है । लगभग सभी अध्याय एकाधिक लेखकों ने लिखे हैं ।
2007 में स्टेट यूनिवर्सिटी आफ़ न्यूयार्क प्रेस से पैट्रिक जे टीफ़िन और मेरी ई फ़िन के संपादन में ‘टीचर एजुकेशन विथ ऐन अटीच्यूड: प्रीपेयरिंग टीचर्स टु एजुकेट वर्किंग-क्लास स्टूडेंट्स इन देयर कलेक्टिव सेल्फ़-इंटरेस्ट’ का प्रकाशन हुआ ।
2007 में प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी प्रेस से राकेश खुराना की किताब ‘फ़्राम हाइयर एम्स टु हायर्ड हैंड्स: द सोशल ट्रांसफ़ार्मेशन आफ़ अमेरिकन बिजनेस स्कूल्स ऐंड द अनफ़ुलफ़िल्ड प्रामिस आफ़ मैनेजमेन्ट ऐज प्रोफ़ेशन’ का प्रकाशन हुआ ।
2007 में सेन्स पब्लिशर्स से पाउला आलमैन की किताब ‘आन मार्क्स: ऐन इंट्रोडक्शन टु द रेवोल्यूशनरी इंटेलेक्ट आफ़ कार्ल मार्क्स’ का प्रकाशन हुआ । पतली सी इस किताब में पूंजी, चेतना और शिक्षा संबंधी मार्क्स के विचारों का विवेचन किया गया है ।
2007 में बीकन प्रेस से बेवर्ली डैनिएल तातुम की किताब ‘कैन वी टाक एबाउट रेस?: ऐंड अदर कनवर्सेशन्स इन ऐन एरा आफ़ रीसेग्रेगेशन’ का प्रकाशन हुआ ।
2008 में रटलेज से माइक कोल की किताब ‘मार्क्सिज्म ऐंड एजुकेशनल थियरी: ओरिजिन्स ऐंड इशूज’ का प्रकाशन हुआ । किताब मार्क्सवाद के कुछ और अनछुए पहलुओं को उजागर करती है ।
रिचर्ड एडवर्ड्स और रोबिन यू शर की किताब ‘ग्लोबलाइजेशन ऐंड पेडागोगी: स्पेस, प्लेस ऐंड आइडेंटिटी’ का प्रकाशन पहली बार रटलेज से 2000 में हुआ था । उसका दूसरा संस्करण 2008 में छपा है ।
2008 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस से क्रिस्टोफर न्यूफ़ील्ड की किताब ‘अनमेकिंग द पब्लिक यूनिवर्सिटी: द फ़ोर्टी-ईयर एसाल्ट आन द मिडिल क्लास’ का प्रकाशन हुआ । किताब का शीर्षक ही इस तथ्य को रेखांकित करता है कि उच्चशिक्षा पर हमला केवल शिक्षा का सवाल नहीं, बल्कि व्यापक सामाजिक उथल-पुथल का अंग है ।
2008 में रटलेज से जूलियो कमेरोटा और मिशेल फ़ाइन के संपादन में ‘रेवोल्यूशनाइजिंग एजुकेशन: यूथ पार्टीसिपेटरी ऐक्शन रिसर्च इन मोशन’ का प्रकाशन हुआ । यह किताब क्रिटिकल यूथ सिरीज नामक पुस्तक श्रृंखला के तहत छपी है जिसके संपादक ग्रेग दिमित्रियादिस हैं । किताब में सबसे पहले पुस्तक श्रृंखला के संपादक की प्रस्तावना है ।
2008 में न्यूयार्क यूनिवर्सिटी प्रेस से मार्क बास्क्वेट की किताब ‘हाउ द यूनिवर्सिटी वर्क्स: हायर एजुकेशन ऐंड द लो-वेज नेशन’ का प्रकाशन हुआ । किताब की भूमिका कार्ल नेल्सन ने लिखी है ।
2008 में द यूनिवर्सिटी आफ़ अलाबामा प्रेस से कैथरीन कापुत की किताब ‘इनसाइड द टीचिंग मशीन: रेटारिक ऐंड द ग्लोबलाइजेशन आफ़ द यू एस पब्लिक रिसर्च यूनिवर्सिटी’ का प्रकाशन हुआ ।
2008 में पैराडाइम पब्लिशर्स से स्टैनली आरोनोविट्ज़ की किताब ‘अगेंस्ट स्कूलिंग: टुवर्ड ऐन एजुकेशन दैट मैटर्स’ का प्रकाशन हुआ ।
2008 में ग्रीनवुड प्रेस से सान्द्रा मेथिसन और ई वायनी रोस के संपादन में ‘बैटल ग्राउंड: स्कूल्स’ का दो खंडों में प्रकाशन हुआ । पिछली सदी में स्कूलों को लेकर उठनेवाले विवादों का विवेचन इस किताब का मुख्य मकसद है । कुछ मुद्दे पहले से चले आ रहे थे तथा तकनीक के इस्तेमाल संबंधी कुछ विवाद नए हैं । इन मुद्दों को लेकर प्रचंड असहमति का कारण स्कूलों की बहुतायत और उनसे पैदा होनेवाली अपेक्षाएं हैं । किताब में संपादकों ने ऐसे 93 मुद्दों की पहचान की है जिन पर पिछले सौ सालों से अमेरिकी स्कूल प्रणाली में विवाद चल रहे हैं । मुद्दे तो और भी ढेर सारे थे लेकिन संपादकों की नजर में ये ही प्रमुख थे । इनसे जुड़े लेखों के 118 लेखक अपने क्षेत्रों के पुरस्कृत विद्वान हैं ।
2008 में थ्री रिवर्स प्रेस से चार्ल्स मरे की किताब ‘रीयल एजुकेशन: फ़ोर सिम्पल ट्रुथ्स फ़ार ब्रिंगिंग अमेरिका’ज स्कूल्स बैक टु रियलिटी’ का प्रकाशन हुआ ।
2008 में पालग्रेव मैकमिलन से नोआ द लिसावाय की किताब ‘पावर, क्राइसिस, ऐंड एजुकेशन फ़ार लिबरेशन: रीथिंकिंग क्रिटिकल पेडागागी’ का प्रकाशन हुआ ।
2009 में द यूनिवर्सिटी आफ़ शिकागो प्रेस से गाए टचमैन की किताब ‘वान्ना बी यू: इनसाइड द कारपोरेट यूनिवर्सिटी’ का प्रकाशन हुआ । लेखक ने बताया है कि वान्नाबी विश्वविद्यालय के अध्यक्ष लगातार कहते रहे कि उनका विश्वविद्यालय रूपांतरित हो रहा है । इसका मतलब बहुतों को समझ नहीं आता था । वे सात साल अध्यक्ष रहे । इस रूपांतरण का एक लक्षण था कि अध्यापक प्रशासन के लोगों को पहचान नहीं पाते थे । उन्हें छपने-छपाने और परियोजनाओं के लिए अनुदान के जुगाड़ से फ़ुर्सत ही नहीं मिलती थी । दूसरा लक्षण था कि शिक्षण संस्थाओं की रैंक घोषित करने वालों ने इसकी रैंक बढ़ा दी थी जिसके कारण प्रवेश हेतु आवेदन अधिक आने लगे । इसके साथ ही केंद्रीकरण, नौकरशाही और उपभोक्तावाद में भी बढ़ोत्तरी हुई लेकिन उसकी चिंता कोई नहीं करता था ।
2009 में पालग्रेव मैकमिलन से शीला एल मैक्ग्वायर के संपादन में ‘क्रिटिकल पेडागोगी इन अनसर्टेन टाइम्स: होप ऐंड पासिबिलिटीज’ का प्रकाशन हुआ । स्टैनली आरोनोविट्ज़ की भूमिका और संपादक की प्रस्तावना तथा गुस्तावो फ़िशमान के उपसंहार के अतिरिक्त किताब में शामिल दस लेखों को दो भागों में बांटा गया है । पहले भाग के पांच लेख नव-उदारवाद की जनता द्वारा चुकाई जा रही कीमत की तलाश करते हुए लिखे गए हैं । दूसरे भाग के पांच लेख आलोचनात्मक शिक्षण में आशा और संभावना की जांच करते हैं ।
2009 में पालग्रेव मैकमिलन से माइक कोल की किताब ‘क्रिटिकल रेस थियरी ऐंड एजुकेशन: ए मार्क्सिस्ट्स रिस्पान्स’ का प्रकाशन हुआ ।
2009 में रटलेज से डेव हिल और एलेन रोस काम के संपादन में ‘द डेवलपिंग वर्ल्ड ऐंड स्टेट एजुकेशन: नियोलिबरल डेप्रिडेशन ऐंड इगैलिटेरियन अल्टरनेटिव्स’ का प्रकाशन हुआ ।
2010 में पालग्रेव मैकमिलन से फ़ेथ अगस्तीन विलसन की किताब ‘मार्क्सिज्म ऐंड एजुकेशन बीयांड आइडेंटिटी: सेक्सुअलिटी ऐंड स्कूलिंग’ का प्रकाशन हुआ ।
2010 में ही पालग्रेव मैकमिलन से शीला मैक्रीन, पीटर मैकलारेन और डेव हिल के संपादन में ‘रेवोल्यूशनाइजिंग पेडागोगी: एजुकेशन फ़ार सोशल जस्टिस विदिन ऐंड बीयांड ग्लोबल नियो-लिबरलिज्म’ का प्रकाशन हुआ ।
इसी साल 2010 में पालग्रेव मैकमिलन से एंथनी ग्रीन के संपादन में ‘ब्लेयर’स एजुकेशन लीगेसी: थर्टीन ईयर्स आफ़ न्यू लेबर’ का प्रकाशन हुआ । किताब ‘मार्क्सिज्म ऐंड एजुकेशन’ नामक पुस्तक श्रृंखला के तहत प्रकाशित है ।
2010 में सी-सैप: हायर एजुकेशन एकेडेमी सब्जेक्ट नेटवर्क फ़ार सोशियोलाजी, एंत्रोपोलाजी, पालिटिक्स से सारा एम्सलर, जायस ई कनान, स्टीफेन काउडेन, सारा मोत्ता और गुरनाम सिंह के संपादन में ‘ह्वाइ क्रिटिकल पेडागोगी ऐंड पापुलर एजुकेशन मैटर टुडे’ का प्रकाशन हुआ ।
2010 में सेन्स पब्लिशर्स से पाउला आलमान की किताब ‘क्रिटिकल एजुकेशन अगेंस्ट ग्लोबल कैपिटलिज्म: कार्ल मार्क्स ऐंड रेवोल्यूशनरी क्रिटिकल एजुकेशन’ का प्रकाशन हुआ ।
2010 में पालग्रेव मैकमिलन से केनेथ जे साल्टमैन की किताब ‘द गिफ़्ट आफ़ एजुकेशन: पब्लिक एजुकेशन ऐंड वेंचर फिलान्थ्रापी’ का प्रकाशन हुआ ।
2010 में पी एम प्रेस से जूडिथ सुइसा की किताब ‘अनार्किज्म ऐंड एजुकेशन: ए फिलासफिकल पर्सपेक्टिव’ का प्रकाशन हुआ ।
2010 में रटलेज से माइकेल डब्ल्यू एपल, स्टीफेन जे बाल और लुई अर्मान्डो गैन्डिन के संपादन में ‘द रटलेज इंटरनेशनल हैंडबुक आफ़ द सोशियोलाजी आफ़ एजुकेशन’ का प्रकाशन हुआ । संपादकों की भूमिका के अतिरिक्त किताब में सैंतीस लेख संकलित हैं जिन्हें तीन भागों में रखा गया है । पहला भाग परिप्रेक्ष्य और सिद्धांत पर केंद्रित है और इसमें बारह लेख हैं । दूसरा भाग भी बारह लेखों का ही है जिनका विषय सामाजिक प्रक्रियाओं और व्यवहार का विश्लेषण है । तीसरे भाग में तेरह लेख हैं जिनमें विषमताओं और प्रतिरोधों का विवेचन है ।
2010 में कांटीन्यूम से याक़ रांसिए के साथ चार्ल्स बिंगम और गेर्ट जे जे बिएस्ता की किताब ‘याक़ रांसिए: एजुकेशन, ट्रुथ, इमैन्सिपेशन’ का प्रकाशन हुआ ।
2010 में रटलेज से डेबोरा केल्श, डेव हिल और शीला मैक्रीन के संपादन में ‘क्लास इन एजुकेशन: नालेज, पेडागाजी, सब्जेक्टिविटी’ का प्रकाशन हुआ । संपादकों की भूमिका और पीटर मैकलारेन के उपसंहार के साथ किताब में ईसान जुआन जूनियर के प्राक्कथन के अतिरिक्त आठ लेख संकलित हैं ।
2011 में रटलेज से ज्यां अन्योन की किताब ‘मार्क्स ऐंड एजुकेशन’ का प्रकाशन हुआ। किताब मूल रूप से नवमार्क्सवाद की शिक्षा से संलग्नता का विश्लेषण करती है ।
2011 में प्लूटो प्रेस से माइकेल बेली और देस फ़्रीडमैन के संपादन में ‘द एसाल्ट आन यूनिवर्सिटीज: ए मेनिफ़ेस्टो फ़ार रेजिस्टेन्स’ का प्रकाशन हुआ । देस फ़्रीडमैन लिखित भूमिका के अतिरिक्त किताब तीन भागों में बंटी हुई है । पहला भाग विश्वविद्यालय की धारणा में आए बदलावों पर विचार करते हुए तीन लेखों को शामिल करता है । दूसरे भाग में भी तीन ही लेख हैं जिनकी विषयवस्तु वर्तमान चुनौतियां और भविष्य की राह है । तीसरा भाग आलोचनात्मक शिक्षण से जुड़ा हुआ है और इसमें भी तीन ही लेख हैं ।
2011 में स्प्रिंगर से करी स्टीफेन्सन मैलाट की किताब ‘क्रिटिकल पेडागोगी ऐंड काग्नीशन: ऐन इंट्रोडक्शन टु ए पोस्ट फ़ार्मल एजुकेशनल साइकोलाजी’ का प्रकाशन हुआ ।
सैमुएल बोल्स और हर्बर्ट गिनटिस की किताब ‘स्कूलिंग इन कैपिटलिस्ट अमेरिका: एजुकेशनल रिफ़ार्म ऐंड द कंट्राडिक्शंस आफ़ इकोनामिक लाइफ़’ का प्रकाशन पहली बार बेसिक बुक्स से 1976 में हुआ था । 2011 में उसका नया संस्करण हेमार्केट बुक्स से छपा है । नए संस्करण के लिए लेखकों ने भूमिका भी नई लिखी है । इसमें उन्होंने सूचित किया है कि इसके लेखन का प्रयास 1968 में शुरू हुआ था ।
2011 में पालग्रेव मैकमिलन से माइक कोल की किताब ‘रेसिज्म ऐंड एजुकेशन इन द यू के ऐंड यू एस: टुवर्ड्स ए सोशलिस्ट अल्टरनेटिव’ का प्रकाशन हुआ । भूमिका और उपसंहार के अतिरिक्त किताब में छह अध्याय हैं । लेखक का मामना है किताब को शुरू से अंत तक या अलग अलग अध्यायों को स्वतंत्र रूप से भी पढ़ा जा सकता है । इसमें अमेरिका और ब्रिटेन में शिक्षा के साथ नस्लवाद के रिश्ते की विवेचना के बाद समाजवादी विकल्प के रूप में वेनेजुएला की चर्चा की गई है । नस्ल और शिक्षा के घनिष्ठ आपसी रिश्तों का विश्लेषण करने के लिए मार्क्स-एंगेल्स के शास्त्रीय रुख के साथ ग्राम्शी, अल्थूसर और राबर्ट माइल्स जैसे परवर्ती चिंतकों के विचारों का भी सहारा लिया गया है । वैश्विक लोकतांत्रिक समाजवादी विकल्प के निर्माण के लिए लेखक इन विचारकों की बातों को जरूरी समझते हैं । इसी समझ के साथ सबसे पहले उन्होंने मार्क्सवाद और समाजवाद का विवेचन किया है ।
2011 में आक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस से बेन्जामिन गिन्सबर्ग की किताब ‘द फ़ाल आफ़ द फ़ैकल्टी: द राइज आफ़ द आल-ऐडमिनिस्ट्रेटिव यूनिवर्सिटी ऐंड ह्वाइ इट मैटर्स’ का प्रकाशन हुआ । किताब में विश्वविद्यालयों के बदलते चरित्र की छानबीन की गई है जिसमें अध्यापकों के विचारों के मुकाबले प्रशासकों की गिरफ़्त मजबूत होती जा रही है । शिक्षण और अध्यापन लगातार शैक्षिक प्रबंधन के मातहत लाए जा रहे हैं ।
2012 में यूनिवर्सिटी आफ़ कैलिफ़ोर्निया प्रेस से मार्था बियोन्डी की किताब ‘द ब्लैक रेवोल्यूशन आन कैम्पस’ का प्रकाशन हुआ । अमेरिका के उच्च शिक्षा संस्थानों में विद्यार्थी, शिक्षक और अभिभावकों के रूप में काले लोगों का हस्तक्षेप बढ़ा और उसके नतीजे के तौर पर विभिन्न शहरों में हड़ताल, प्रदर्शन और जुलूस-धरने होने लगे । पाठ्यक्रम के बतौर ब्लैक अध्ययन और परिसर के भीतर और बाहर के इस माहौल में घनिष्ठ पारस्परिकता को लेखिका ने किताब में अध्याय दर अध्याय उजागर किया है ।
2012 में पालग्रेव मैकमिलन से पियरे डब्ल्यू ओरेलुस और करी एस मालोट के संपादन में ‘रैडिकल वायसेज फ़ार डेमोक्रेटिक स्कूलिंग: एक्सपोजिंग नियोलिबरल इनइक्वलिटीज’ का प्रकाशन हुआ । पोस्ट कोलोनियल स्टडीज इन एजुकेशन नामक पुस्तक श्रृंखला के तहत यह किताब छपी है । किताब की भूमिका पीटर मैकलारेन ने लिखी है । किताब में आठ साक्षात्कार शामिल हैं जिन्हें दो हिस्सों में बांटा गया है । पहले हिस्से में पीटर मैकलारेन, ब्रैडली जे पोरफ़ीलियो, डेव हिल और नोम चोम्सकी के साक्षात्कार हैं । इसी तरह दूसरे हिस्से में अंतोनिया दारदेर, पेपीलिस त्याना, हेर्मान गार्शिया और शर्ली आर स्टाइनबर्ग के साक्षात्कार हैं ।
2012 में पालग्रेव मैकमिलन से लोरेन मैकलारथ, एन ल्योन्स और रोनाल्डो मुन्क के संपादन में ‘हायर एजुकेशन ऐंड सिविक इंगेजमेंट: कम्पेयरेटिव पर्सपेक्टिव्स’ का प्रकाशन हुआ ।
2012 में एडवर्ड एल्गर से सुसान एल राबर्टसन, कारेन मुंडी, अन्तोनी वेर्जेर और फ़्रान्सीन मेनाशी के संपादन में ‘पब्लिक प्राइवेट प्राइवेट पार्टनरशिप्स इन एजुकेशन: न्यू ऐक्टर्स ऐंड मोड्स आफ़ गवर्नेन्स इन ए ग्लोबलाइजिंग वर्ल्ड’ का प्रकाशन हुआ ।
2012 में हेमार्केट बुक्स से जेफ़ बेल और सारा नाप के संपादन में ‘एजुकेशन ऐंड कैपिटलिज्म: स्ट्रगल्स फ़ार लर्निंग ऐंड लिबरेशन’ का प्रकाशन हुआ ।
2012 में प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी प्रेस से एंड्र्यू डेलबांको की किताब ‘कालेज: ह्वाट इट वाज, इज, ऐंड शुड बी’ का प्रकाशन हुआ ।
2012 में पालग्रेव मैकमिलन से इब्राम एच रोजर्स की किताब ‘द ब्लैक कैम्पस मूवमेन्ट: ब्लैक स्टूडेंट्स ऐंड द रेशियल रीकंस्ट्रक्शन आफ़ हायर एजुकेशन, 1965-1972’ का प्रकाशन हुआ ।
2013 में ज़ीरो बुक्स से डेविड जे ब्लेकर की किताब ‘द फ़ालिंग रेट आफ़ लर्निंग ऐंड द नियोलिबरल एन्डगेम’ का प्रकाशन हुआ ।
2013 में पालग्रेव मैकमिलन से टाम जी ग्रिफ़िथ्स और राबर्ट इमरे की किताब ‘मास एजुकेशन, ग्लोबल कैपिटल, ऐंड द वर्ल्ड: द थियरेटिकल लेन्सेज आफ़ इस्तवान मेज़ारोस ऐंड इमानुएल वालरस्टाइन’ का प्रकाशन हुआ ।
2013 में पालग्रेव मैकमिलन से स्पाइरोस थेमेलिस की किताब ‘सोशल चेन्ज ऐंड एजुकेशन इन ग्रीस: ए स्टडी इन क्लास स्ट्रगल डायनामिक्स’ का प्रकाशन हुआ ।
2013 में प्लूटो प्रेस से एंड्र्यू मैकगेटिगन की किताब ‘द ग्रेट यूनिवर्सिटी गैम्बल: मनी, मार्केट्स ऐंड द फ़्यूचर आफ़ हायर एजुकेशन’ का प्रकाशन हुआ । सभी जानते हैं कि वर्तमान संकट के साथ उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कुछ बुनियादी बदलाव आ रहे हैं । इन बदलावों को बाजार और मुनाफे से सीधे उसके जुड़ाव में लक्षित किया गया है । इसी जुड़ाव के विभिन्न रूपों का विवेचन किताब में फ़ंड जुटाने, बाजारीकरण, निजीकरण और वित्तीकरण संबंधी शीर्षकों के तहत किया गया है । बीस साल तक विश्वविद्यालयों में विद्यार्थी, शिक्षक और कर्मचारी रहने के बाद लेखक को 2010 में कुछेक घटनाओं से दो चार होना पड़ा जिनसे उन्हें उच्च शिक्षा के बारे में आलोचनात्मक तरीके से सोचने की प्रेरणा मिली।
2013 में ब्लूम्सबरी प्रेस से क्रेग स्टीवेन वाइल्डर की किताब ‘एबोनी & आइवी: रेस, स्लेवरी, ऐंड द ट्रबल्ड हिस्ट्री आफ़ अमेरिका’ज यूनिवर्सिटीज’ का प्रकाशन हुआ ।
2013 में अलफ़्रेड ए नाफ़ से डायने रेविच की किताब ‘रेन आफ़ एरर: द होक्स आफ़ द प्राइवेटाइजेशन मूवमेंट ऐंड द डैंजर टु अमेरिका’ज पब्लिक स्कूल्स’ का प्रकाशन हुआ ।
2014 में स्प्रिंगर से रोबिन स्माल की किताब ‘कार्ल मार्क्स: द रेवोल्यूशनरी ऐज एजुकेटर’ का प्रकाशन हुआ । जीवनी होने के साथ ही यह किताब शिक्षा और क्रांति के साहचर्य का प्रस्ताव भी करती है । लेखक का दावा है कि मार्क्स शिक्षा के महत्वपूर्ण चिंतक हैं । शिक्षा दर्शन के प्रसंग में अन्य नए पुराने सभी पश्चिमी विद्वानों की चर्चा होती है लेकिन मार्क्स का नाम नहीं लिया जाता । फिर भी लेखक को शिक्षा के जनक समाज के सबसे बड़े सिद्धांतकार होने के नाते मार्क्स खासकर इस सदी के लिए प्रासंगिक प्रतीत होते हैं । लेकिन मार्क्स की सबसे बड़ी चिंता समाज में बदलाव ले आने की थी । मार्क्स का अधिकांश लेखन मात्र विश्लेषण नहीं बल्कि आलोचना है जिससे पारंपरिक सोच को झटका लगता है और बेहतरी की उम्मीद पैदा होती है । कहना होगा कि मार्क्स खुद ही शिक्षक थे । समाज की समस्याओं को समझने और इसे बेहतर बनानेवालों के लिए वे लिखते थे ।
2014 में हेमार्केट बुक्स से हेनरी ए गीरू की किताब ‘नियोलिबरलिज्म’स वार आन हायर एजुकेशन’ का प्रकाशन हुआ । लेखक की लंबी भूमिका के अलावे किताब सात अध्यायों में विभक्त है जिसमें अंतिम अध्याय लेखक के साथ ही एक साक्षात्कार है ।
2014 में ब्रिल से ब्रेख्त दस्मेट की किताब ‘ए डायलेक्टिकल पेडागागी आफ़ रिवोल्ट: ग्राम्शी, वायगोत्सकी, ऐंड द इजिप्शियन रेवोल्यूशन’ का प्रकाशन हुआ । यह किताब लेखक द्वारा 2012 में घेंट विश्वविद्यालय में किए गए शोध पर आधारित है ।
2014 में सारा सी मोट्टा और माइक कोल की किताब ‘कांस्ट्रक्टिंग ट्वेन्टी-फ़र्स्ट सेन्चुरी सोशलिज्म इन लैटिन अमेरिका: द रोल आफ़ रैडिकल एजुकेशन’ का प्रकाशन हुआ । किताब में संपादकों के ही लिखे हुए लेख संकलित हैं । सारा की भूमिका के अतिरिक्त किताब के तीन भाग हैं जिनमें भी दोनों के लेख हैं । अंत में एक परिशिष्ट है जिसमें उच्च शिक्षा में सुधार के वैकल्पिक प्रोजेक्ट की रूपरेखा खींची गई है ।
2014 में हेमार्केट बुक्स से जोसे लुई विल्सन की किताब ‘दिस इज नाट ए टेस्ट: ए न्यू नैरेटिव आन रेस, क्लास, ऐंड एजुकेशन’ का प्रकाशन हुआ । भूमिका शिकागो टीचर्स यूनियन के अध्यक्ष कारेन लेविस ने लिखी है ।
2015 में सेंट क्लीमेंट ओरिद्सकी यूनिवर्सिटी प्रेस से इरिना कोलेवा, रीसेप एफ़ी, एमिन अतासाय और ज़्द्राव्का ब्लागोएवा कोस्तोवा के संपादन में ‘एजुकेशन इन द 21स्ट सेन्चुरी: थियरी ऐंड प्रैक्टिस’ का प्रकाशन हुआ । लगभग आठ सौ पृष्ठ की इस किताब में संपादकों की भूमिका के अतिरिक्त सत्तावन अध्याय हैं ।
2015 में रटलेज से अंतोनिया दारदर की किताब ‘फ़्रेयरे ऐंड एजुकेशन’ का प्रकाशन हुआ ।
2015 में द न्यू प्रेस से सुसान एंगेल की किताब ‘द एन्ड आफ़ द रेनबो: हाउ एजुकेटिंग फ़ार हैपिनेस (नाट मनी) वुड ट्रान्सफ़ार्म आवर स्कूल्स’ का प्रकाशन हुआ ।
2015 में पालग्रेव मैकमिलन से नोआ द लिसावाय की किताब ‘एजुकेशन ऐंड इमैन्सिपेशन इन द नियोलिबरल एरा: बीइंग, टीचिंग, ऐंड पावर’ का प्रकाशन हुआ।
2016 में पालग्रेव मैकमिलन से लुइ एस विला सानास डि कास्त्रो की किताब ‘क्रिटिकल पेडागागी ऐंड मार्क्स, वायगोत्सकी, ऐंड फ़्रेयरे: फेनोमेनल फ़ार्म्स ऐंड एजुकेशनल ऐक्शन रीसर्च’ का प्रकाशन हुआ । किताब में लेखक की भूमिका के अतिरिक्त तीन हिस्से हैं । पहला हिस्सा मार्क्स, फ़्रायड और शिक्षा का है । दूसरा हिस्सा ज्ञान मीमांसा, आलोचनात्मक शिक्षा और उदार सिद्धांतों का है । तीसरे हिस्से में शिक्षा के ऐक्शन रीसर्च के सिद्धांत और व्यवहार की बात की गई है ।
2016 में पालग्रेव मैकमिलन से रोमियो वी टर्कन, जान ई रिली और लारिसा बुगाइयां के संपादन में ‘(री)डिस्कवरिंग यूनिवर्सिटी आटोनामी: द ग्लोबल मार्केट पैराडाक्स आफ़ स्टेक होल्डर ऐंड एजुकेशनल वैल्यूज इन हायर एजुकेशन’ का प्रकाशन हुआ । किताब में सात भाग हैं । पहला और आखिरी भाग भूमिका और उपसंहार हैं जिन्हें संपादकों ने लिखा है । दूसरा भाग सरकार और विश्वविद्यालय के विविध अंतर्संबंध के बारे में है और इसके तहत चार अध्यायों में विचार किया गया है । तीसरा भाग विश्वविद्यालय और शिक्षकों के अंतर्संबंधों पर केंद्रित है और इसमें तीन अध्याय हैं । चौथा भाग शिक्षकों और विद्यार्थियों के अंतर्संबंधों की पड़ताल दो अध्यायों में करता है । पांचवां भाग विश्वविद्यालय और व्यवसाय के अंतर्संबंधों की तलाश करता है और इसमें भी दो ही अध्याय हैं । छठवें भाग में विश्वविद्यालय और अंतर्राष्ट्रीकरण के आपसी संबंध पर तीन अध्यायों में बात की गई है ।
2016 में विली ब्लैकवेल से कारेन मुंडी, एन्डी ग्रीन, बाब लिंगार्ड और अन्तोनी वेर्जेर के संपादन में ‘द हैंडबुक आफ़ ग्लोबल एजुकेशन पालिसी’ का प्रकाशन हुआ । संपादकों की भूमिका के अलावे किताब में 32 लेख संकलित हैं जिन्हें चार भागों में बांटा गया है । पहला भाग शिक्षा और विश्वनीति के बारे में है । दूसरा भाग शिक्षा संबंधी मुद्दों और चुनौतियों के बारे में है । तीसरा भाग शिक्षा में विश्वनीति के कर्ता तत्वों के बारे में है । चौथा भाग विश्व शिक्षानीति के अध्ययन की आलोचनात्मक दिशाओं के बारे में है । सभी भागों में संकलित लेखों से पहले किसी एक संपादक की ओर से उस भाग की प्रस्तावना प्रस्तुत की गई है ।
2016 में प्लूटो प्रेस से हेनरी हेलेर की किताब ‘द कैपिटलिस्ट यूनिवर्सिटी: द ट्रांसफ़ार्मेशन आफ़ हायर एजुकेशन इन द यूनाइटेड स्टेट्स सिन्स 1945’ का प्रकाशन हुआ । लेखक का कहना है कि दूसरे विश्वयुद्ध के बाद अमेरिका में विश्वविद्यालय की साख निजी कारपोरेट घरानों और सेना जितनी हो गई । असल में निजी कारपोरेट घरानों के अनुदान प्रायोजित शोध परियोजनाओं के जरिए शुद्ध व्यावसायिक गतिविधियों से वे जुड़ भी गए । इसके साथ ही सेना और सी आई ए से उनके जुड़ाव ने उन्हें अमेरिकी सरकार के उपकरण में बदल दिया । ग्राम्शी की भाषा में, वे सहमति बनाने वाले सरकारी संस्थानों में बदल गए । किताब में 1945 के बाद से अमेरिकी पूंजीवादी राजनीतिक अर्थतंत्र के साथ उनके रिश्तों का आलोचनात्मक परीक्षण किया गया है । इस किताब का एक अन्य मकसद उच्च शिक्षा में, खासकर मानविकी और समाज विज्ञानों में अमेरिकी विद्वानों की उपलब्धियों का यथोचित लेखा जोखा प्रस्तुत करना भी है ।
अमेरिकी पूंजीवाद द्वारा उत्पादित संपदा ने इस दौरान उच्च शिक्षा में हासिल उपलब्धियों के लिए भौतिक आधार मुहैया कराया लेकिन उसी के चलते इसकी सीमाएं भी बनीं । इन सीमाओं ने शोध तथा शिक्षण में लगातार मार्क्सवाद विरोध तथा संस्कृति और समाज की ऐतिहासिक समझ के प्रति अरुचि के साथ ही उदारवाद, पूंजीवाद और अमेरिकी साम्राज्यवाद के पोषण का रूप ग्रहण किया । साठ के दशक के विद्रोहों के चलते उच्च शिक्षा की वैचारिकी को उजागर तो किया लेकिन उसे बुनियादी रूप से बदलने में नाकाम रहे ।
2016 में यूनिवर्सिटी आफ़ टोरन्टो प्रेस से मैगी बेर्ग और बार्बरा के सीबर की किताब ‘द स्लो प्रोफ़ेसर: चैलेंजिंग द कल्चर आफ़ स्पीड इन द एकेडमी’ का प्रकाशन हुआ ।
2017 में पालग्रेव मैकमिलन से माइक कोल की किताब ‘न्यू डेवलपमेंट्स इन क्रिटिकल रेस थियरी ऐंड एजुकेशन: रीविजिटिंग रेशियलाइज्ड कैपिटलिज्म ऐंड सोशलिज्म इन आस्टरिटी’ का प्रकाशन हुआ । यह किताब कोल की ही 2009 में इसी विषय पर पालग्रेव मैकमिलन से ही प्रकाशित एक किताब की अगली कड़ी के बतौर लिखी गई है । ‘क्रिटिकल रेस थियरी ऐंड एजुकेशन: ए मार्क्सिस्ट रिस्पान्स’ शीर्षक उस किताब का भी दूसरा संस्करण इसी साल प्रकाशित हुआ है ।
2017 में द न्यू प्रेस से ट्रेसी मैकमिलन काटम की किताब ‘लोअर एड: द ट्रबलिंग राइज आफ़ फ़ार-प्राफ़िट कालेजेज इन द न्यू इकोनामी’ का प्रकाशन हुआ ।
2018 में हेमार्केट बुक्स से वाइनी आउ की किताब ‘ए मार्क्सिस्ट एजुकेशन: लर्निंग टु चेन्ज द वर्ल्ड’ का प्रकाशन हुआ । लेखक का कहना है कि अमेरिका के नव साम्राज्यवाद का केंद्र होने से इस तरह की किताब के लिखे जाने से कुछ होने वाला नहीं था । व्यवस्था बहुत मेहनत से बचपन से ही पाठ्यक्रम के सहारे लोगों को अनुकूलित करती है । हाल फिलहाल तो ट्रम्प की जीत के बाद वाम विरोध का बुखार और अधिक चढ़ गया है और मैकार्थी युग की वापसी जैसा अनुभव हो रहा है । दूसरी बात कि मार्क्सवादी मित्रों में शिक्षा के बारे में ढेर सारे भ्रम फैले हुए हैं । लेखक आजीवन शिक्षा से जुड़े रहे इसलिए अपना कर्तव्य समझकर अपने अनुभवों के आधार पर उन्होंने यह किताब लिखी । उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि शिक्षा के क्षेत्र में जारी वर्तमान नवउदारवादी बदलावों का प्रचंड विरोध असल में समूची पूंजीवादी व्यवस्था का ही विरोध है । न्याय और समता के मूल्यों पर आधारित शिक्षा व्यवस्था की बात बुनियादी तौर पर पूंजीवाद का ही विरोध है । हमारी मौजूदा शिक्षा व्यवस्था मूल रूप से अन्याय और विषमता पर आधारित है जो पूंजीवादी समाज की विशेषता होते हैं ।
2018 में पैन्थियन बुक्स से जस्टिन ड्राइवर की किताब ‘द स्कूलहाउस गेट: पब्लिक एजुकेशन, द सुप्रीम कोर्ट, ऐंड द बैटल फ़ार द अमेरिकन माइंड’ का प्रकाशन हुआ । लेखक ने 1940 के एक विवाह समारोह से बात शुरू की है जिसमें शामिल एक जज के स्कूल संबंधी फैसले पर इतनी उत्तेजक बहस हुई कि उन्होंने आगे से कानूनी मामलों पर बहस न करने की कसम खा ली । फैसला स्कूल में अमेरिकी झंडे को सलामी देने के बारे में था ।
2018 में वनवर्ल्ड से राबर्ट वेर्काइक की किताब ‘पाश ब्याएज: हाउ द इंग्लिश पब्लिक स्कूल्स रूइन ब्रिटेन’ का प्रकाशन हुआ ।
2018 में बीकन प्रेस से विलियम आयर्स, क्रिस्टल लौरा और रिक आयर्स की किताब ‘“यू कान’ट फ़ायर द बैड वन्स!”: ऐंड 18 अदर मिथ्स एबाउट टीचर्स, टीचर्स’ यूनियन्स, ऐंड पब्लिक एजुकेशन’ का प्रकाशन हुआ ।
2018 में पालग्रेव मैकमिलन से रिचर्ड हाल की किताब ‘द एलियनेटेड एकेडमिक: द स्ट्रगल फ़ार आटोनामी इनसाइड द यूनिवर्सिटी’ का प्रकाशन हुआ । यह किताब मार्क्सिज्म ऐंड एजुकेशन नामक पुस्तक श्रृंखला के तहत छपी है । इसके संपादक का कहना है कि मार्क्स के जन्म की दो सौवीं सालगिरह, उनके ग्रंथ कैपिटल के प्रकाशन के डेढ़ सौवें साल और 1968 के पचासवें साल इस किताब का प्रकाशन हुआ है । मार्क्स ने अपने समय के बारे में कहा था कि जो कुछ ठोस है वह हवा में घुल जाता है लेकिन उनकी यह बात हमारे समय के लिए अधिक सही है ।
2019 में द यूनिवर्सिटी आफ़ जार्जिया प्रेस से लेस्ली एम हैरिस, जेम्स टी कैम्पबेल और अलफ़्रेड एल ब्राफी के संपादन में ‘स्लेवरी ऐंड द यूनिवर्सिटी: हिस्ट्रीज ऐंड लीगेसीज’ का प्रकाशन हुआ । संपादकों की प्रस्तावना और एवेलिन ब्रूक्स हिगिनबाथम के उपसंहार के अतिरिक्त किताब के सोलह अध्याय दो भागों में संयोजित हैं । पहले भाग में गुलामी के समर्थन और विरोध में चिंतन और कर्म का विश्लेषण करने वाले दस अध्याय हैं । दूसरे भाग के छह अध्यायों में विश्वविद्यालयों में गुलामी के स्मरण और विस्मरण पर विचार किया गया है । किताब में शामिल अधिकतर लेख 2011 में इसी विषय पर आयोजित तीन दिनों की संगोष्ठी में पढ़े गए पर्चों के आधार पर तैयार किए गए हैं । उन दिनों में अलग अलग संस्थाओं में इस विषय पर काम करने वाले अध्येताओं ने अपने हर्ष, जीत और निराशा पर विचार किया था ।
उत्तरी कैरोलाइना विश्वविद्यालय के मुख्य चौराहे पर दक्षिणी अमेरिका के प्रांतों की मुक्ति के लिए लड़ने वाले योद्धाओं हेतु समर्पित एक मूर्ति लगी है क्योंकि उनमें चालीस प्रतिशत योद्धा इसी विश्वविद्यालय के विद्यार्थी थे । बीसवीं सदी के पहले दशक में अनगिनत शिक्षा संस्थानों में इस तरह के स्मारक बनाए गए । इस तरह अमेरिकी गृहयुद्ध को न केवल लड़ाई के मैदान में बल्कि शिक्षा जगत में भी यादगार घटना समझा गया । यह गृहयुद्ध तो गौरवगाथा में शामिल हुआ लेकिन इससे जुड़ी गुलामी को उतनी जगह प्राप्त नहीं हुई । हाल के दिनों में एक और स्मारक उसी जगह पर बनाया गया है । यह स्मारक इस प्रांत के गुमनाम संस्थापकों की याद में निर्मित है । इस स्मारक के निर्माण के साथ ही पुस्तकालय की ओर से गुलामी और विश्वविद्यालय का निर्माण नामक प्रदर्शनी भी आयोजित की गई जिसमें विश्वविद्यालय के साथ गुलामी के रिश्तों को उजागर किया गया था । दोनों स्मारक एक ही जगह पर होने के बावजूद अलग मूल्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं । विश्वविद्यालयों के साथ गुलामी के रिश्तों को लेकर इस समय काफी बहसें हो रही हैं । अधिकतर विश्वविद्यालय अपने अतीत के उन पन्नों को खोलकर देख रहे हैं जिनमें या तो गुलामों के मालिकान उनकी स्थापना से जुड़े थे या इनके प्रमुख लोग गुलामी के समर्थक रहे थे ।
2019 में पालग्रेव मैकमिलन से डोरोथी बोत्रेल और कैथरीन मनतुंगा के संपादन में दो खंडों में ‘रेजिस्टिंग नियोलिबरलिज्म इन हायर एजुकेशन’ का प्रकाशन हुआ । पहले खंड का उपशीर्षक ‘सीइंग थ्रू द क्रैक्स’ है । दूसरे खंड का उपशीर्षक ‘प्राइसिंग ओपेन द क्रैक्स’ है । ये किताबें ‘पालग्रेव क्रिटिकल यूनिवर्सिटी स्टडीज’ नामक श्रृंखला के तहत छपी हैं । दुनिया भर के विश्वविद्यालय भारी बदलावों से गुजर रहे हैं । ये बदलाव बिना किसी बहस मुबाहिसे के इन पर राजनीतिक आकाओं की ओर से थोपे जा रहे हैं । पुस्तक श्रृंखला का मकसद इनको समझना और हस्तक्षेप करने की तैयारी है ।
2019 में ज़ेड बुक्स से राएविन कोनेल की किताब ‘द गुड यूनिवर्सिटी: ह्वाट यूनिवर्सिटीज ऐक्चुअली डू ऐंड ह्वाइ इट’स टाइम फ़ार रैडिकल चेन्ज’ का प्रकाशन हुआ । लेखिका का कहना है कि यह किताब विश्वविद्यालयों के काम, उनके कामगार, उनके चमकीले अतीत और वर्तमान समस्याओं तथा भविष्य के लिए अच्छे विश्वविद्यालयों के बारे में है । एक विशेष घटना के चलते इसे लिखने की तात्कालिक प्रेरणा मिली । 2013 में सिडनी मे कुछ विवाद हुआ । अनुदान में कटौती हुई और सेवा शर्तों में से शैक्षणिक स्वतंत्रता को हटा लिया गया । यूनियन ने हड़ताल का फैसला किया । काफी दिनों तक समझौता वार्ता में मोल तोल चला । बीच बीच में धरने भी हुए । तीखा सांस्कृतिक प्रतिवाद चलता रहा जिसके तहत वीडियो बनाकर प्रसारित किए गए, खुली चिट्ठी लिखी गई, उत्सव के दिन यूनियन के गुब्बारे उड़ाए गए और लचीलापन का मजाक उड़ाने के लिए छद्म योग का मुजाहिरा किया गया । इस बार तो यूनियन ने सचमुच डटकर मुकाबला किया लेकिन विगत अनेक वर्षों से कामगार रक्षात्मक तरीके से लड़ते रहे थे ।
(प्रो. गोपाल प्रधान अम्बेडकर विश्वविद्यालय में पढ़ाते हैं । तस्वीरें गूगल से साभार ।)