मुजफ्फरपुर। चास-वास-जीवन बचाओ बागमती संघर्ष मोर्चा के नेतृत्व में गायघाट प्रखंड कार्यालय पर आज सैकड़ों लोगों ने धरना देकर बागमती तटबंध के लिए सरकार द्वारा गठित रिव्यू कमेटी की रिपोर्ट आने तक तटबंध निर्माण पर रोक लगाने की मांग की। इस संबंध में मुख्यमंत्री के नाम प्रखंड विकास पदाधिकारी को मोर्चा के संयोजक जितेंद्र यादव के नेतृत्व में पांच सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल ने पांच सूत्री मांग-पत्र भी प्रस्तुत किया जिसमें ठाकुर देवेन्द्र कुमार, नवल किशोर सिंह, जगन्नाथ पासवान, मोनाजिर हसन व संजीव कुमार शामिल थे। सरकार से यह भी मांग की गई कि रिव्यू कमेटी की रिपोर्ट आने से पहले तटबंध निर्माण के लिए किसी भी तरह के नये टेंडर को रद्द किया जाए तथा रिव्यू कमेटी के कार्यकाल का विस्तार किया जाये।
इस दौरान धरना स्थल सभा का भी आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता ठाकुर देवेन्द्र कुमार और संचालन जितेंद्र यादव ने किया। सभा को गंगा मुक्ति आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक अनिल प्रकाश, चर्चित समाजिक कार्यकर्ता व बुद्धिजीवी डॉ हरेंद्र कुमार, प्रो अवधेश कुमार, शाहिद कमाल, रमेश पंकज, पत्रकार ब्रह्मानंद ठाकुर, पुष्पराज, ग्राम समिति के नेता आनंद पटेल, लोक कलाकार सुनील कुमार, पीयूसीएल के अंकित आनंद, पूर्व मुखिया राम प्रमोद मिश्र, बाबा आम्टे संगठन के राम बाबू, महेश चौधरी, राम सज्जन राय,जगन्नाथ पासवान, रामएकबाल राय, दिनेश सहनी, रामलोचन सिंह, राजा हुसैन, राजू कुमार, मो. अखलाक, प्रणय कुमार, मोनाजिर हसन, प्रेमसागर दास, यूपी के जेपी आंदोलन कार्यकर्ता राम धीरज, वरिष्ठ पत्रकार दिनेश तथा ज्योति कुमारी ने संबोधित किया।
इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि सरकार विनाशकारी बागमती तटबंध निर्माण की समीक्षा करने के गठित रिव्यू कमेटी के प्रति गंभीर नहीं है। जनआंदोलन के दबाव में नीतीश सरकार ने 4 साल पहले पचास साल पूर्व की तटबंध निर्माण परियोजना की समीक्षा हेतु रिव्यू कमेटी का गठन किया था जिसमें प्रसिद्ध नदी विशेषज्ञ दिनेश मिश्र और भूवैज्ञानिक डॉ राजीव सिन्हा सहित कई पर्यावरणविद व नदी विशेषज्ञ शामिल हैं। इस कमेटी की अवधि को फिर से जनआंदोलन के दबाव में पिछले साल बढ़ा कर 31 दिसम्बर 2020 कर दिया गया था लेकिन रिव्यू कमेटी को कारगर बनाने हेतु आजतक किसी तरह का संसाधन मुहैया नहीं कराया गया। रिव्यू कमेटी की अधिसूचना के बाद इसके अध्यक्ष सेवा निवृत्त मुख्य अभियंता उमाशंकर सिंह द्वारा एक बैठक के अलावे फिर से बैठक भी नहीं बुलाई गई। सरकार का यह रूख कहीं से उचित नहीं है। सभी वक्ताओं ने फिर से रिव्यू कमेटी का विस्तार तथा उसे अधिकार संपन्न करने पर जोर दिया।