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 जन संस्कृति मंच की बिलासपुर ईकाई गठित , मुदित मिश्रा अध्यक्ष और निहाल सोनी सचिव बने  

बिलासपुर. भिलाई-दुर्ग और रायपुर के बाद जन संस्कृति मंच की बिलासपुर ईकाई भी गठित कर दी गई है. रविवार को देश के प्रसिद्ध मार्क्सवादी चिंतक राजेश्वर सक्सेना के आवास पर आयोजित की गई एक महत्वपूर्ण बैठक में मुदित मिश्रा को संगठन का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है जबकि सचिव पद की जिम्मेदारी निहाल सोनी को सौंपी गई है. संगठन के संरक्षक मंडल में प्रोफेसर राजेश्वर सक्सेना, नंद कश्यप और मधुकर गोरख को शामिल किया गया है.

देश के नामचीन आलोचक सियाराम शर्मा और जसम के वरिष्ठ सदस्य राजकुमार सोनी की मौजूदगी में बिलासपुर के जन संस्कृति मंंच में कोषाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी योगेन्द्र साहू को सौंपी गई हैं, जबकि उपाध्यक्ष पर आदित्य सोनी, गौरव गुलहरे और मीना सोनी का चयन किया गया है. संगठन में श्रेयांश बुधिया, शिवानी और उपासना बंजारे को सह-सचिव नियुक्त किया गया है. मीडिया प्रभारी मोहम्मद सईद और आईटी के कामकाज की जिम्मेदारी श्रुति व विवेक को दी गई है.

कार्यकारिणी में सत्यम रावत, धनराज, वर्षा कश्यप, युवराज, प्रिया पाण्डेय, शिवम, विधी रावत, सौरभ कश्यप, आकाश चौहान, प्रतिभा पाण्डेय और आदर्श को शामिल किया गया है. कान्हा और नीरज सोनी सहित कई युवाओं को सदस्य बनाया गया है.

इस दौरान नई ईकाई के गठन को सदस्यों ने बेहद आवश्यक पहल बताया. संस्था के संरक्षक राजेश्वर सक्सेना ने कहा कि इस अंधेरे समय में मुठभेड़ के लिए लेखक और प्रतिबद्ध संस्कृतिकर्मियों से लैस संगठन की सख्त आवश्यकता थीं. उन्होंने कहा कि वे लंबे समय से जसम से जुड़े लेखकों और संस्कृतिकर्मियों के कामकाज को देखते हुए यह महसूस करते हैं कि यह समय एकजुटता के साथ खड़े रहने का है. उन्होंने कहा कि जसम की बिलासपुर ईकाई में युवा साथियों के जुड़ाव से वे भी बेहद उर्जित हुए हैं.

संरक्षक नंद कश्यप ने कहा कि विभाजनकारी शक्तियों ने सबको छिन्न-भिन्न कर रखा है बावजूद इसके प्रतिरोध की शक्ति को और अधिक मजबूत करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि लिखने-पढ़ने वाले लोग अपने रचनात्मक हस्तक्षेप से बहुत कुछ बदल सकते हैं. संस्कृति कर्मी मधुकर गोरख ने कहा कि फासीवादी ताकतों से मुकाबले के लिए वे सदैव तैयार रहते हैं और आगे भी तैयार रहेंगे.

बैठक के प्रारंभ में आलोचक सियाराम शर्मा ने जसम का इतिहास बताया और कहा कि जब-जब नई कोपले फूटती हैं तो एक वृक्ष विशाल और सुंदर होने लगता है. उन्होंने इस बात का भरोसा जताया कि युवा साथी अपनी रचनात्मक सक्रियता से जड़ता को तोड़ने में कामयाब होंगे.

संस्कृतिकर्मी और पत्रकार राजकुमार सोनी ने कहा कि विध्वंसकारी शक्तियों ने भले लिखने-पढ़ने और बोलने वालों के भीतर भय का वातावरण निर्मित कर दिया है, लेकिन जो लोग भी यह सोच रहे हैं कि सब कुछ खत्म हो जाने वाला है तो वे गलतफहमी में हैं. उन्होंने बताया छत्तीसगढ़ के बहुत से युवा लेखकों और संस्कृतिकर्मियों ने जसम के साथ जुड़ाव की मंशा जाहिर की है. जल्द ही धमतरी, बस्तर, अंबिकापुर, कवर्धा और राजनांदगांव में जन संस्कृति मंंच की नई ईकाई गठित कर दी जाएंगी.

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