ज़ेर-ए-बहस ‘ हवा में रहेगी मेरे ख़यालों की बिजली ’डॉ हरिओमOctober 1, 2020October 2, 2020 by डॉ हरिओमOctober 1, 2020October 2, 202002337 ‘ आज जब यह पक्तियां लिखी जा रही हैं तो पूरा देश शहीद-ए-आज़म भगत सिंह को उनके जन्मदिन के अवसर पर याद कर रहा...
साहित्य-संस्कृति प्रतिरोध साहित्य का मूल स्वर है जो समाज निर्माण का स्वप्न लेकर चलता हैडॉ हरिओमSeptember 2, 2019September 3, 2019 by डॉ हरिओमSeptember 2, 2019September 3, 201904601 साहित्य को समाज का दर्पण कहा जाता रहा है. मतलब समाज जैसा है उसे वैसा ही दिखाने वाला लेखन साहित्य है. बचपन से हम...