आरा ( बिहार ). स्थानीय इंद्र लोक भवन में , कला कम्यून, जसम भोजपुर द्वारा आयोजित तीन दिवसीय समकालीन कला कार्यशाला सह प्रदर्शनी के अंतिम दिन शहर के सुधी दर्शकों ने कलाकृतियों को देखा और सराहा।
लोकनाथ का दृश्यचित्र सहज रुप से आकर्षित कर रहा था । डबल सीट के आकार की , शीतलवर्णी छटा से बनी कमलेश कुंदन की कृति आकर्षण का केन्द्र रही । रौशन की ट्रिपल सीट पर बनी अमूर्त कला कृति कृति कौतुहल का केन्द्र रही । राकेश दिवाकर की रेखाओं गति , कोमल मगर ठोस वर्णयोजना तथा परम्परा तथा सत्ता से टकराती स्वतंत्रता की सम्प्रेषणीयता दर्शकों को प्रभावित कर रही थी । राजकुमार सिंह की आकृतियों की गति, चटख वर्णयोजना तथा श्रम और संघर्ष को रुपायित कर रहे थे ।
ओमप्रकाश सिंह की मूर्तियों की सहजता जैसे माध्यम की दक्षता का प्रमाण दे रहे थे । राजीव गुप्ता की दक्ष वर्णयोजना तथा मानवीय द्वंद की भावात्मक अभिव्यक्ति , संवेदनाओं को छू रही थी । संजीव सिन्हा का परिपक्व वर्णयोजना और सरल आकृतियां कलाकार के सुलझे दृष्टि कोण को व्यक्त कर रहे थे । कौशलेश ने अपनी कृतियों में पृष्ठभूमि के अवकाश का दक्ष इस्तेमाल करते हुए रंगो के कम मगर स्टीक प्रयोग से आधुनिक जीवन के जटिलता को व्यक्त किया है । अनीता पांडे के कृतियों के चटख मगर लयात्मक रंग तथा सुडौल आकृतियां बहुत कुछ कह रही थीं । रुपेश कुमार व अभिलाषा कुमारी की कलाकृतियाँ सहज ही आकर्षित कर रही थी । प्रदर्शनी की खूबसुरती भिन्न भिन्न भावभूमि की अनुभूतियों और जटिलताओं की विविध शैली में की गई अभिव्यक्ति थी । इस अवसर सभी भागीदार कलाकारों को फोटोयुक्त प्रमाण पत्र प्रदान किया गया ।
प्रदर्शनी के अंतिम दिन कविता पाठ का आयोजन किया गया । जिसकी अध्यक्षता प्रसिद्ध आलोचक डाॅ रवीन्द्र नाथ राय , जसम के राज्य सचिव सुधीर सुमन और वरीय चित्रकार लोकनाथ सिंह और समाजवादी चिंतक सुशील कुमार ने संयुक्त रुप से किया । कवि सुमन कुमार सिंह ने संचालन किया।
पहले कवि के रुप में कवि गीतकार राजाराम प्रियदर्शी ने भोजपुरी गजल ‘सूरत में का धइल बा ‘ गा कर गोष्ठी को बांध लिया। सुधीर सुमन ने ‘ मेरे हम कदम ‘ का पाठ करते हुए एम एफ हुसैन के रचनाकर्म और संघर्ष को याद किया । उन्होंने कहा कि यह आयोजन , सृजन के जरीए यथास्थिति को तोड़ने की कोशिश है ।
सुनील चौधरी ने ‘ हमें चुनना है संसद ‘ का पाठ किया । सुमन कुमार सिंह ने ‘ घर लौटना ‘ शीर्षक कविता सुनाई। रंगकर्मी अंजनी शर्मा ने ‘ चित्रकारों से कह दो ‘ का पाठ किया। चित्रकार राकेश दिवाकर ने ‘ ज़िंदगी के कैनवास पर ‘ कविता सुनाई । रविशंकर सिंह ने ‘ मत भूलो ‘, ‘ डर ‘ आदि कविताओं का पाठ किया। सुनील ने ‘ मत भूलो ‘ कविता सुनाई ।अरविन्द अनुराग ने ‘ कुछ ठीक नहीं लगता आकाश का यह रंग ‘ का पाठ किया । सुर्यप्रकाश ने ‘ ओ मेरी कविता ‘ सुनाई । स्वयंबरा बक्सी ने भावपूर्ण कविता सुनाई ।
इस अवसर पर इप्टा के सचिव मंडल के सदस्य अंजनी शर्मा, अनीता पांडे, अभिलाषा कुमारी, नीलेश कुमार गोलू , शिक्षक राजेश कुमार, रंगकर्मी अमित मेहता , सुर्यप्रकाश , आनंद कुमार पांडे , आशुतोष पांडे , धनंजय कटकैरा संजय शाश्वत आदि उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन चित्रकार संजीव सिन्हा ने किया।
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