इलाहाबाद. कुंभ मेला क्षेत्र में मंगलवार की रात सफाईकर्मियों की बस्ती में एक और सफाई कर्मी की ठंड लगने से मौत हो गई. मृत सफाईकर्मी का नाम जगुआ है और वह बाँदा जिले के अतर्रा तहसील,थाना भिसंडा के बिलगाँव का रहने वाला था.
58 वर्षीय जगदेव की मौत का कारण ठंड बताया जा रहा है. मृतक जगुआ के बेटे हरिलाल ने बताया कि हमें यहाँ लाया गया है लेकिन हमारे रहने की कोई सुविधा नहीं की गयी है. एक टेंट में दस से ज्यादा लोग रह रहे हैं. जगह न होने के कारण रात को वो ठण्ड में बाहर ही सो गए थे जिससे उनको ठण्ड लग गयी और उनकी मृत्यु हो गयी.
जगदेव के पहले ननकाई की ठंड लगाने से मौत हो गई थी. सफाई कर्मियों के मुताबिक आब तक उनके चार साथियों की मौत हो गई है.
मेला क्षेत्र में एक बजबजाता हुआ नाला बहता है जिसमें टॉयलेट का गंदा पानी और मल गिरता है, जहाँ मिनट भर भी खड़ा नहीं हुआ जा सकता है। इसी नाले के ठीक बगल में एक बस्ती बसा दी गयी है। ये सफाईकर्मियों की बस्ती है। सफाईकर्मी इसे अपनी बस्ती ही कहते हैं।
इस बस्ती से अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है । जिसमें एक 21 साल का नौजवान लड़का ननकाई भी था। अब तक ननकाई के घर वालों को न तो कोई मुआवजा मिला है न ही मेला प्राधिकरण का कोई अधिकारी उनसे बातचीत ही कर रहा है । ये सारी मौतें मेला प्राधिकरण की लापरवाही से हुई हैं।
अभी पिछले दिनों एक साधु ने मात्र बाल्टी के छू जाने भर से एक वृद्ध सफाई कर्मी आशादीन को मारकर उनका हाथ तोड़ दिया था। अब तक इस मामले में कोई एफआईआर तक नहीं हुई है जबकि कमिश्नर, मेला प्राधिकरण को इस संबंध में पत्र लिखा जा चुका है, एक्टू के जिला सचिव कमल उसरी कमिशनर से मिल भी चुके हैं। लेकिन आश्वासन के सिवाय अब तक कुछ मिला नहीं और न ही इसकी उम्मीद दिखती है। आशादीन सिर्फ इस आस में यहाँ हैं कि उनको उनका पैसा मिल जाये तो वो अपने गाँव चले जायेंगे।
गोलू नाम के सफाईकर्मी ने बताया कि वह महीने भर से काम कर रहा है लेकिन उसे या उसके साथियों को दस्ताने, जूते, मास्क वगैरह नहीं दिए गए हैं.
अन्य जिलों के सफाईकर्मी यहाँ ठेकेदार द्वारा लाये गये हैं। इसमें अधिकतर मध्यप्रदेश के सतना, सीधी, छाता, कटनी और उत्तर प्रदेश के बाँदा, महोबा, औराई के हैं। इनकी संख्या तीस हजार के करीब है जिनके कंधे पर पूरे कुंभ की सफाई का जिम्मा है लेकिन इनको रहने की कोई व्यवस्था नहीं है।
हरिलाल के ठीक बगल में अनिल का टेंट है। अनिल भी बाँदा जिले से ही आये हैं। उनका कहना है कि हमें आये दो महीने होने हो गए हैं लेकिन अब तक हमें एक रुपया भी नहीं मिला। अगर किसी की तबियत खराब हो जाये तो हम क्या करेंगे।
राधे जिनकी उम्र 21 साल है, ने गुस्से में कहा -” एक टेंट में दस-दस लोग सो रहे हैं। कपड़े का टेंट है। रात में ओस का पानी टपकता है। रात में बच्चे ठिठुरते रहते हैं और प्रशासन ने इसके लिए कोई व्यवस्था नहीं की है। जमीन पर बिछे तिरपाल पर हम सो रहे हैं। नाले के किनारे होने के कारण जमीन की नमी के कारण बहुत ठण्ड लगती है।”
सफाईकर्मचारियों में बहुत गुस्सा है। कानपपुर के गोलू से जब हमने बातचीत की तो उन्होंने बताया कि जूते, दस्ताने और मास्क की बात छोड़ दीजिए हमें सोने के लिए पुआल और आग के लिए लकड़ी दे दें वही बड़ी बात है। इसके लिए हमलोग कब से कह रहे हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
ये स्थिति है “दिव्य कुंभ” की तैयारी में लगे सफाईकर्मियों की। महीनों से वेतन नहीं दिया गया है। भंडारे में जो कुछ बचा खुचा मिल जा रहा है उसे खाकर अपनी ड्यूटी कर रहे हैं। हद तो ये है कि पिछले माघ मेले में आये बहुत से सफाईकर्मियों को पिछले साल का पैसा अब तक नहीं मिला है। 285 रूपये उनको रोजाना मिलना है। पिछले कई दिनों से मौत की ख़बरें आ रही हैं बावजूद इसके जिला प्रशासन, मेला प्राधिकरण हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।