देश के 11 करोड़ मजदूरों की संख्या वाली कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ई.एस.आई.) के 60 हजार करोड़ रुपये अनिल अंबानी की रिलायंस म्यूचुअल फंड को देने के निर्णय ई.एस.आई. की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में हुआ है। इस परिषद में केवल वामपंथ के प्रतिनिधि ने इसका विरोध किया और कई गम्भीर सवाल उठाकर सरकार को कटघरे में खड़ा किया।
ई.एस.आई. कारपोरेशन की कमिश्नर संध्या शुक्ला द्वारा रखी गई रिपोर्ट पर वामपंथी प्रतिनिधि ने सर्वाजनिक क्षेत्र के वित्तीय संस्थाओं को दरकिनार कर रिलायंस म्यूचुअल फंड को फंड मेनेजर बनाये जाने का कड़ा विरोध किया। सुश्री संध्या शुक्ला ने कहा कि रिलायंस को फंड मैनेजर बनाये जाने का सेबी एवं आर.बी.आई. ने भी अनुमोदन कर दिया है।
ई.एस. आई. की इस बैठक में कई सदस्यों ने भारी भरकम राशि के इस फंड का संचालन में एक से अधिक फंड मैनेजर रखने पर बल दिया लेकिन इसमें अब और बदलाव का संकेत नही है। ई.एस.आई. समिति के उपाध्यक्ष एवं केन्द्रीय उद्योग सचिव हीरालाल समरिया भी इस बैठक में मौजूद थे।
रिलाइन्स को फंड मैनेजर बनाने के साथ फंड की देखभाल के लिये विदेशी बैंक-स्टंन्डेर्ड चार्टेड बैंक-को भी चुन लिया गया है। यह सभी निर्णय 18 सितम्बर 2018 को केन्द्रीय उद्योग राज्य मंत्री सुरेश गंगवार की अध्यक्षता में सम्पन्न बैठक में लिया गया।
केन्द्र सरकार और प्रधानमंत्री मोदी के दबाव में लिये गये इस निर्णय से दिवालिया होने के संकट की स्थिति से गुजर रहे अनिल अम्बानी को ई.एस.आई. कारपोरेशन का 60,000 करोड़ रुपये मिलना मोदी सरकार की ओर से रफाल ठेके के बाद दूसरी बड़ी मदद के रूप में देखा जा रहा है।
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