अलीगढ़ . इण्डिया फॉर सोशल जस्टिस (आईएसजे) की टीम ने 8 मई को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का दौरा किया.इस टीम में जगदीश सौरभ, लक्ष्मण यादव, शैलेश यादव, अहमर खान और तारिक अनवर थे.
टीम के सदस्यों ने कहा कि ब्राम्हणवादी, मनुवादी और फासिस्ट ताकतों से शिक्षा, रोजगार और विश्वविद्यालयों को बचाने की इस मुहिम में अलीगढ़ ने ज़ोरदार समर्थन दिया.
एमयू छात्रसंघ अध्यक्ष मशकूर उस्मानी सहित छात्रसंघ के अन्य पदाधिकारियों और छात्रों-प्रोफेसरों ने बहुत स्पष्ट शब्दों में कहा कि हालिया प्रकरण हिन्दू-मुस्लिम या जिन्ना विवाद नहीं बल्कि मनुवादियों द्वारा विश्वविद्यालयों को बर्बाद करने की कोशिश है. क्योंकि यही वो जगहें हैं जहाँ से सत्ता की तानाशाही के खिलाफ आवाज़ बुलंद होती है. सत्ता के गलियारे में बैठे धूर्त और मक्कार लोग विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे नौजवानों से डरते हैं.
कैम्पस में 27 और 15 वर्ष से पढ़ा रहे दो प्रोफेसरों ने बताया कि हमें आज तक उस तस्वीर के बारे में पता नहीं चला जिस पर विवाद खड़ा किया गया है. मीडिया जिस तरह से मुद्दे को तूल दे रही है, वह शर्मनाक है. हम तो उस गुंडई, तानाशाही और पुलिस-प्रशासन की बर्बरता के खिलाफ लड़ रहे हैं, जो हम पर किया गया. चुनाव आने वाले हैं और जेएनयू, हैदराबाद के बाद एमयू उसी तानाशाही और गुंडई का अगला शिकार है.
टीम ने विश्वविद्यालय के पूरे कैम्पस और छात्रावासों का दौरा किया और सैकड़ों लोगों से इस मुद्दे पर विस्तार से बात की. वहां के हर छात्र, चाहे वह मुस्लिम हो, या फिर दलित, बैकवर्ड, सबने एक सुर में पूरे भारत के युवाओं की एकता के ज़रिये सामाजिक न्याय और संसाधनों में हिस्सेदारी के सवाल को ही अपना पहला और अंतिम सवाल बताया.
मौलाना आजाद लाइब्रेरी के सामने और मुख्य द्वार के सामने इकठ्ठा सैकड़ों लोगों ने फंड कट, सीट कट का विरोध, बैकलॉग पूरा करने, आरक्षण विरोधी रोस्टर वापस करने, स्थायी नियुक्तियाँ और शिक्षा के बजट बढ़ाने की मांग पर अपना ज़ोरदार समर्थन दिया.
इस कठिन समय में अलीगढ़ के नागरिक कैम्पस में नाश्ता, खाना-पानी बिलकुल मुफ्त में उपलब्ध करवा रहे हैं. यहाँ तक कि रिक्शे वाले कैम्पस आने वाली लड़कियों से किराया भी नहीं ले रहे. मेहमाननवाजी और गंगा जमुनी तहज़ीब की ऐसी मिसाल शायद कहीं और न मिले.
कैम्पस के बाहर बड़ी मात्रा में पुलिस बल मौजूद है. गुंडों द्वारा माहौल खराब करने की हर तरह की कोशिश की जा रही है. शाम को हज़ारों की संख्या में छात्र-छात्राओं ने मानव-श्रृंखला के ज़रिये अपना प्रतिरोध जताया.
छात्रों की तात्कालिक मांगें हैं, 2 मई को पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी की मौजूदगी में यूनिवर्सिटी के छात्रों और सुरक्षाकर्मियों के साथ मारपीट और उत्पात के आरोपियों को गिरफ्तार किया जाये. बिना किसी अल्टीमेटम के शांति से विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर उच्च अधिकारीयों के आदेश पर पुलिस द्वारा बर्बरता से पिटाई की गयी. यह सब ऑन कैमरा हुआ. इसके दोषियों को तत्काल गिरफ्तार किया जाये. इसके लिए मुख्य आरोपी एसपी सिटी पर कड़ा एक्शन लिया जाये और उच्च न्यायलय के जजों की टीम की निगहबानी में अपराधियों और साजिशकर्ताओं की हाई लेवल ज्यूडीशियल जांच कराई जाये.
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