नई दिल्ली। इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज में छात्रसंघ बहाली,कुलपति की अवैध नियुक्ति तथा 400% बढ़े हुए शुल्क के विरोध में पिछले 97 दिनों से आमरण अनशन कर रहे छात्रों के समर्थन में 12 दिसम्बर को दिल्ली में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का घेराव किया। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्र-छात्राओं के समर्थन में डीयू, जेएनयू के छात्र भी आए।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में आंदोलनरत नाराज छात्रों ने इस मौके पर कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय में लोकतंत्र खत्म हो चुका है। एक तरफ देश अभी भयंकर कोरोना महामारी से उबरने का प्रयास कर रह था। इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन कोरोना के समय की फीस को लौटाने के विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के आदेश को मानने के बजाए 400% शुल्क कि बढ़ोतरी कर दी। विश्विद्यालय में लगभग तीन महीने से छात्र भूख हड़ताल पर बैठे हैं लेकिन विश्विद्यालय प्रशासन मांगो पर विचार करने के बजाय छात्र छात्राओं को निष्कासित करने में लगी हुई हैं।
आइसा के कार्यकारी राष्ट्रीय महासचिव प्रसेनजीत कुमार ने सभा को सम्बोधित करते हुए अलग अलग विश्विद्यालयों में हो रही फ़ीस बढ़ोतरी का कारण ‘ नई शिक्षा नीति 2020’ को बताया और लगातार कैम्पस में लोकतंत्र को ख़त्म करने की सरकार की साज़िश के ख़िलाफ़ संघर्ष तेज करने का आह्वान किया।
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से आंदोलनरत छात्रों में से नीरज सम्राट ने कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय कि कुलपति की नियुक्ति अवैध है और उनको तत्काल उनके पद से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग बर्खास्त करे। कुलपति की बर्खास्तगी को लेकर छात्रों ने विश्वविद्यालय के 36000 छात्र- छात्राओं के हस्ताक्षर रूपी समर्थन को भी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को सौंपा और उनकी तत्काल बर्खास्तगी की मांग की।
छात्रों का एक डेलिगेशन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सचिव से मिला और इलाहाबाद विश्वविद्यालय में 400% शुल्क वृद्धि कुलपति की अवैध नियुक्ति और छात्रसंघ बहाली के मुद्दों को लेकर यूजीसी के सचिव को अवगत कराया। सचिव ने आश्वासन दिया छात्रों की समस्याओं का जल्द से जल्द निस्तारण के लिए पहल करेंगे।
इस मौके पर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्र-छात्राओं सहित डीयू, जेएनयू के छात्र समर्थन में उतरे। राहुल पटेल, हरेंद्र, मुबाशिर हारून, छात्र आरजेडी की नेता कंचन यादव, मुलायम सिंह यादव, विजय पाल, सूरजभान, गौरव गौड, राहुल सरोज, अतीक अहमद, सिद्धार्थ गोलू इत्यादि उपस्थित थे।