जन संस्कृति मंच के लंबे समय तक अध्यक्ष रहे हिंदी के मूर्धन्य आलोचक मैनेजर पांडेय का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया है।
आज जसम समेत सारा साहित्यिक-सांस्कृतिक समाज शोकाकुल है।
मैनेजर पांडेय साहित्य में प्रतिरोध के उभरते नए स्वरों का रचनात्मक स्वागत करने को तत्पर रहने वाली आलोचना की सबसे मजबूत आवाज़ थे।
भक्ति कविता, प्रगतिशील आंदोलन, साहित्य के समाजशास्त्र , मार्क्सवादी आलोचना की सैद्धांतिकी, उपन्यास की सैद्धांतिकी आदि क्षेत्रों में में मैनेजर पांडेय में मौलिक अवदान की व्यापक चर्चा हुई हैं। साहित्य और आलोचना की सामाजिकता और वर्ग संघर्ष की दृष्टि को स्थापित करने वाले मैनेजर पांडेय का लेखन हिंदी आलोचना की राह को लंबे समय तक प्रकाशित करता रहेगा।
जन संस्कृति मंच प्रोफ़ेसर मैनेजर पांडेय को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनकी विरासत का विकास करने का संकल्प लेता है।
साथ ही हम इस शोक की घड़ी में जन संस्कृति मंच के आज के कार्यक्रम ‘ तीसरे वीरेन डंगवाल स्मृति व्याख्यान’ को स्थगित करने की घोषणा करते हैं। नई तारीख की घोषणा की जाएगी।