Tuesday, October 3, 2023
Homeस्मृति‘ स्मृतियों के आइने में अरुण पांडेय ’ का विमोचन

‘ स्मृतियों के आइने में अरुण पांडेय ’ का विमोचन

नई दिल्ली। गांधी शांति प्रतिष्ठान के खचाखच भरे हाल में वरिष्ठ पत्रकारों, मीडिया कर्मियों, राजनीतिक व सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं, प्रोफेसरों, वकीलों तथा विभिन्न क्षेत्र में कार्यरत लोगों की उपस्थिति में 29 अक्टूबर को  ‘‘स्मृतियों के आईने में अरुण पांडेय’’ पुस्तक का लोकार्पण हुआ। इस पुस्तक का संपादन इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अरुण कुमार पांडेय के साथ कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष करने वाली और प्रगतिशील छात्र संगठन (पीएसओ) की अगुआ, इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र यूनियन की वाइस प्रेसिडेंट रह चुकी महिला ऐक्टिविस्ट कुमुदिनी पति ने किया है। इस अवसर पर अनेक प्रतिष्ठित पत्रकारों व शुभचिंतकों ने अरुण पांडेय से संबंधित अपने जीवन के अनुभव व स्मृतियों को साझा करते हुए उनको श्रद्धा सुमन अर्पित किया।

कार्यक्रम में अरुण कुमार को वैचारिक रूप से दृढ़ और जुझारू पत्रकार के रूप में याद किया गया। इस अवसर पर उनके छात्र जीवन से परिचित पीएसओ के संस्थापक सदस्य वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, आईआईएमसी के प्रोफेसर आनंद प्रधान, संतोष भारती, अजीत अंजुम, पुण्य प्रसून बाजपेई, सुनील बजाज, अरुण त्रिपाठी, राम कृपाल सिंह, दिलीप चौबे, प्रशांत, अमिताभ आदि अनेक पत्रकारों ने अरुण के साथ बिताए अपने पलों व अनुभवों को साझा किया।

संतोष भारती ने कहा कि वे टीवी चैनलों में काम करते हुए संतुष्ट व खुश नहीं थे। पत्रकारिता से अलग कुछ करने की उनकी प्रबल इच्छा थी। अजीत अंजुम ने उनके साथ बिताए समय को याद करते हुए कहा कि उनमें कहीं भी किसी के साथ भी घुल मिल जाने और अपने लक्ष्य की बात निकाल लेने की अद्भुत समझ व कला थी। उन्हें आंदोलन की बड़ी गहरी व स्पष्ट समझ थी। पुण्य प्रसून बाजपाई ने आज के दौर में अरुण जैसे पत्रकार की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि उनमें हस्तक्षेप जैसे विशेषांक में तमाम धाराओं के विचारों की बहस चलाकर समाज को स्पष्ट नजरिया देने की अपनी बात भी बहुत सलीके से रखने का हुनर था। आनंद प्रधान ने छात्र जीवन के दिनों को याद कर उनको एक सफल संगठन तथा बेहद जुनूनी साथी के रूप में याद किया। वरिष्ठ पत्रकार राम कृपाल ने कहा हमने कभी भी अरुण को उदास या निराश होते नहीं देता। वह हमेशा उत्साह से भरे व मुस्कुराते दिखते थे।

दिलीप चौबे ने कहा कि छात्र नेता से पत्रकारिता तक का उनका सफर एक मिसाल है। उन्होंने कहा कि ‘ हस्तक्षेप ‘ को उन्होंने गढ़ा था। साथ ही साथ कई और लोगों को भी उन्होंने गढ़ा। उनमें अपनी वैचारिकी पर मजबूती से खडे रहकर दूसरों से संवाद करने, समन्वय बनाने व विस्तार देने की अद्भुत क्षमता थी। बाबरी मस्जिद ध्वंस के बाद प्रभाष जोशी के साथ उन्होंने देश भर में यात्राएं करके लोगों को देश पर मंडरा रहे खतरे से आगाह किया। नवउदारवाद के खिलाफ हर आंदोलन में अरुण हमेशा दृढ़ता से खडे मिलते थे। वह हमेशा कुछ नया करने व बदलने को तत्पर रहते थे। कार्यक्रम में विमल झा, फरहत रिजवी आदि अनेक साथियों ने उनको याद किया। लोगों ने कहा कि अरुण पांडेय  ‘‘अजातशत्रु’’ थे। वह आंदोलन से ही पैदा हुए और किसान आंदोलन के साथ ही मरे। अतः वह शहीद किसानों की तरह हमारे लिए शहीद हैं।

कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार प्रेम प्रकाश ने किया। उन्होंने अरुण पांडेय की शहादत के साथ इस समय जेल में बंद राजनैतिक बंदियों का भी जिक्र किया तथा वहां मौजूद तमाम बौद्धिक मित्रों से भारतीय कृषि के विकास के वैकल्पिक मॉडल को तैयार करने व सामने रखने की अपील की।

कार्यक्रम की औपचारिक अध्यक्षता वरिष्ठ कामरेड व अनुवादक अवधेश कुमार सिंह ने की। उन्होंने कहा कि नक्सलबाड़ी किसान विद्रोह ने समाज में जो एक नई चेतना जगाई थी वह कविता, कहानी, साहित्य, पत्रकारिता सब में उसकी छाप थी और अरुण भी उसी धारा को आगे बढ़ा रहे थे। वह भी उसी आंदोलन के सहयोद्ध थे। इस अवसर पर भाकपा (माल)े के वरिष्ठ नेता राजेंद्र प्रथौली, कामरेड विभा गुप्ता, शोभा सिंह, वरिष्ठ पत्रकार व कवि अजय सिंह, रंगकर्मी राजेश अभय, कृष्ण सिंह, संजय काक, पंकज श्रीवास्तव, ओम प्रकाश पाल, मनोज सिंह, मुकुल सरल, अरुण पांडे की पत्नी सुनीता पांडे (पुतुल) पुतुल की अन्य बहने, अरुण पांडे की पुत्री गौरी, दामाद यस, पुत्र तन्मय तथा अनेक संबंधी भी मौजूद । बलिया में जन्मे इलाहाबाद में पढ़े व छात्र राजनीति करते हुए लखनऊ से दिल्ली तक के अनेक मित्र, दोस्त, सहयोद्धा व हमसफर सभी अरुण को श्रद्धांजलि देने आए थे। अरुण एक ऐसे छात्र आंदोलन की पैदाइश थे जिसने उन्हें कुर्बानी और बलिदान का फलसफा दिया। उन्होंने जो कुछ समाज से लिया उससे अधिक समाज को लौटाने का प्रयास किया। उनके अंदर जीवन के अन्तिम सांस तक एक एक्टिविस्ट जिंदा रहा।

प्रस्तुति : अवधेश कुमार सिंह

RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments