( तस्वीरनामा की चौथी कड़ी में प्रसिद्ध चित्रकार अशोक भौमिक महान चित्रकार सादेकैन के एक ऐसे नायब चित्र के बारे में बता रहे हैं जो बेहद परिचित वस्तुओं के माध्यम से एक नितांत अपरिचित दृश्य रचती है. )
हमारे देश के कला इतिहास में ऐसे तमाम चित्र हैं, जिसमे हमें देव- देविओं की कथाओं के चित्र मिलते हैं और जिन्हें हम परिचित सन्दर्भों के चलते तुरन्त पहचान भी लेते हैं, पर ऐसे चित्र बहुत कम हैं जहाँ आम-जन, उनके दैनंदिन जीवन के कार्यकलाप और उनकी संस्कृति दिखती है.
उत्तर प्रदेश के अमरोहा में जन्मे महान चित्रकार सादेकैन ( सैयद सादेकैन अहमद नक़वी ) का यह चित्र एक ऐसा ही नायाब चित्र है. इस चित्र में किसी परिचित कथा का चित्रण नहीं है, फिर भी इस चित्र को देखते हुए एक-एक चीज़ हमारे सामने खुलने लगती है और हम चित्रकार द्वारा बनाई एक ऐसी दुनिया में प्रवेश करते हैं , जो चित्रकार के अपने यथार्थ और सृजनशीलता से हमारा परिचय करता है. इस चित्र को देखने के पहले क्या हमने कभी कल्पना की थी, कि किसी रसोई से आती पकवानों की खुशबू जैसे तीन नीली औरतें हवा में तैरती दिख सकती हैं ?
सादेकैन हमें अपनी रचना के एक ऐसी नायाब दुनिया में आने के लिए न्योतते हैं, जहाँ मांगलिक अवसरों में, दरवाज़ों पर लटकाने के लिए बने पुष्प-हारों के स्थान पर एक लाल डोरे से मूली , शलगम, गाजर, गोभी ,करेले , भिंडी, लौकी आदि को फूलों जैसे पिरोया गया हो। जहाँ माथे पर लाल बिंदी लगाए ठेठ भारतीय औरतें अपने हाथों में भोजन की थालियों को लिए , आसमानी परियों जैसे उड़ रहीं हो. जहाँ फूलों वाले गुलदस्ते में विशालकाय मटर की फलियाँ हैं तो गेहूँ की हरी-सुनहरी बालियाँ भी. रसोई के दो अंगीठियों में एक पर हाँडी चढ़ी है तो दूसरे पर कढ़ाई. फर्श पर चक्की और पानी का लोटा भी दिख रहा है .
इस चित्र में चित्रकार ने , तीन साधारण औरतों और रसोई के बेहद परिचित वस्तुओं के माध्यम से एक नितांत अपरिचित दृश्य की रचना की है. चित्र को गौर से देखने पर हम तीन औरतों के छः हाथों के रहस्य में भी उलझ जाते हैं. पहली औरत का जहाँ एक ही हाथ दिख रहा है. वहीं तीसरी औरत के तीन हाथ होने का भ्रम होता है. चित्र की संरचना एक म्यूरल या भित्तिचित्र जैसी है, जहाँ कोई भी चीज अधूरी नहीं है.
इस चित्र में सादेकैन ने रंगों को इस संतुलन के साथ प्रयोग किया है की यह चित्र नीले एकवर्णी (मोनोक्रोमेटिक) चित्र होने का आभास देता है. सादेकैन ने यह चित्र किसी धारदार नुकीले औज़ार से खुरच कर बनी बारीक सफ़ेद रेखाओं के जाल से बनाया है (क्रॉस हैचिंग) जिसके चलते, यह चित्र सपाट होने के साथ साथ कई स्थान पर आवश्यक उभार और गहराई भी लिये हुए है.
विषय, संरचना और रंग संयोजन से बने ऐसे अभिनव चित्र पूरे विश्व में हमें कम ही देखने को मिलते हैं, जहाँ चित्र अपनी विशेषताओं को खुद-ब-खुद दर्शकों के सामने उद्घाटित करते हों. यह चित्र अपनी तमाम जटिलताओं के बावजूद भी हमें सहज,सरल और आकर्षक लगता है , यही चित्रकार और चित्र की सबसे बड़ी सफलता है.