लखनऊ। जन संस्कृति मंच (जसम) की ओर से छह जनवरी को डॉ हेमन्त कुमार के कविता संग्रह ‘ कटघरे के भीतर ‘ तथा पूनम श्रीवास्तव के कविता संग्रह ‘ कुछ दिल की ग़ज़लें कुछ मन के गीत ‘ का विमोचन सामुदायिक केंद्र, बी सी सी ग्रीन्स (नौबस्ता कला, देवा रोड) में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जाने माने कवि व साहित्यकार शैलेश पंडित ने की। संचालन जसम लखनऊ के सचिव कथाकार फरजाना महदी ने किया। विमोचन करने वाले अन्य रचनाकार थे कौशल किशोर, चन्द्रेश्वर और वीरेंद्र सारंग।
इस मौके पर डॉ हेमन्त कुमार और पूनम श्रीवास्तव ने सद्य प्रकाशित संग्रह से अनेक कविताएं सुनाईं। हेमन्त कुमार ‘ सपने दर सपने ‘ में कहते हैं ‘ हम भी दौड़ाते हैं रेल / कभी एक्सप्रेस कभी सुपरफास्ट / कभी लोकल / अपने कुनबे के सपनों को / नन्ही सी ढोल में बंद करके।—- सबके सपनों का बोझ / भूख से कुलबुलाती अंतड़ियां / अलस्सुबह खींच ले जाती हैं हमें / भारतीय रेल की पटारियों पर।’ एक अन्य कविता में वे ‘सवाल’ करते हैं — ‘सवाल यह नहीं / कि हरियाली कब तक रहेगी/ इस धरती पर/उससे भी कहीं ज्यादा जरूरी है/यह जानना कि/हरियाली के साथ साथ/कितनी दूर तक/चलने की हमारी मंशा है’।
पूनम श्रीवास्तव ने ग़ज़ल और गीत सुनाकर उपस्थित श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। वे कहती हैं – ‘हिम्मत न हारिए कोशिश तो कीजिए /सफलता आपके कदम चूम लेगी/हार को जीत में बदल के दिखाइए /राहें आपकी खुद ही बदल जाएंगी’। ‘बारिश में’ गीत में कहती हैं — ‘बारिश में माटी की /सोंधी सी खुशबू से /भीज उठा तन /बहक गया मन’।
दोनों संग्रहों पर हुई परिचर्चा की शुरुआत कवि व साहित्यकार वीरेंद्र सारंग ने की । उनका कहना था कि कविता के लिए भाव जरूरी तत्व है। पूनम जी की कविता में यह मिलता है। गजल लिखना कठिन है। उसमें मीटर आदि का ध्यान रखना होता है। वहीं, डॉ हेमन्त कुमार की कविताओं पर बोलते हुए कहा कि ये प्रकृति प्रेमी हैं। वहां हो रहे सृजन पर इनकी सूक्ष्म दृष्टि है। इन सबको वे कविता में रचते हैं। बाल कविताओं पर इन्होंने बहुत लिखा है। यह संग्रह 16 साल बाद आया है। हमारी कामना है कि अगला संग्रह जल्दी आए।
कवि व आलोचक चन्द्रेश्वर का कहना था कि कविता की यात्रा वेदना से संवेदना की ओर होती है। ‘कटघरे के भीतर’ कविता संग्रह में वरिष्ठ कवि डॉ. हेमंत कुमार की कविताएं संवेदना और विचार के महीन धागों से बुनी गई एक सजग-सचेत कवि की कविताएं हैं जिनमें अपने समय की पदचाप सुनाई देती है। वहीं, वरिष्ठ लेखिका एवं कवयित्री पूनम श्रीवास्तव की काव्य पुस्तक ‘कुछ दिल की ग़ज़लें कुछ मन के गीत’ में एक स्त्री के निजी जीवन से लेकर सामाजिक जीवन के सरोकारों तक को अभिव्यक्ति मिली है। इनके यहां काव्य शिल्प का वैविध्य पाठकों को सहज ही आकर्षित करने वाला है।
कवि -संस्कृतिकर्मी कौशल किशोर ने कहा कि हेमंत कुमार की कविता जीवन पर आए संकट से रुबरु कराती हैं। प्रकृति, पर्यावरण, औरतें , बच्चे, बचपन, आम जीवन आज कटघरे के भीतर है। जंगल खत्म किया जा रहा है और कंक्रीट का जंगल उगाया जा रहा है। इसे सभ्यता-विकास कहा जा रहा है। दरअसल यह ‘विनाश की दारूण कथा’ है। हेमंत जी की कविताएं इसे लेकर हमें सजग करती हैं। वहीं, पूनम श्रीवास्तव के गीतों-गजलों में जीवन की अनुभूति है। इसमें अनेक रंग है। वे मन में उमड़ने वाले भावनाओं को व्यक्त करती हैं। इसमें सुख है तो दुःख भी है। सार रूप में कह सकते हैं कि दोनों कवियों की काव्य यात्रा निजी अनुभूति से सामाजिक अनुभूति की ओर है।
अध्यक्षीय संबोधन में शैलेश पंडित ने कहा कि हेमंत कुमार अपनी कविताओं में सवाल ही नहीं उठाते हैं बल्कि उनके संघर्ष और सपनों को भी सामने ले आते हैं जो आम आदमी का गन्तव्य है। हमारी जिंदगी के विविध आयाम को कविता स्पर्श करती है। वहीं पूनम श्रीवास्तव की कविताएं बयान की तरह है। घरेलू महिला होकर भी उन्होंने रचा है। उसमें अंदर से बाहर की दुनिया है। आगे अभ्यास से काव्य कला में परिमार्जन होगा।
कार्यक्रम के आरंभ में श्री शैलेश सिंह ( अध्यक्ष, बी सी सी ग्रीन्स रेजिडेंट्स सोसायटी) ने अतिथियों और उपस्थित साहित्यकारों का स्वागत किया तथा दोनों कवियों को इस संग्रह के लिए बधाई दी।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में कविता पाठ का आयोजन हुआ। उमेश पंकज, अखिलेश श्रीवास्तव चमन, इंदू पाण्डेय, विमल किशोर, अनिल अविश्रांत, भगवान स्वरूप कटियार और मधुसूदन मगन ने अपनी कविताएं सुनाईं।
कार्यक्रम कड़ाके की ठंड में कविता की गर्मी पैदा करने वाला था। ठंड को मात देकर अच्छी खासी संख्या में साहित्य प्रेमी जुटे। कुछ तो 30 किलोमीटर की दूरी से आए। सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया जसम, लखनऊ के सह सचिव राकेश कुमार सैनी ने जो ककोरी से आए थे।
इस अवसर पर असगर मेहदी, शहजाद रिजवी, अशोक चन्द्र, बंधु कुशावर्ती, डॉ अजीत प्रियदर्शी, डॉ जाकिर अली रजनीश, आशीष सिंह, प्रभात त्रिपाठी, अमरेन्द्र सहाय अमर, मेराज आलम, आदियोग, शांतम निधि, संगीता, बेबी सिंह, अभिषेक वाजपेई, शिखा दूबे, अरुण कुमार सिंह, प्रदीप, ओमकार दुबे, चंद्रमणि कुमार, मंजू श्रीवास्तव, कुमार गौरव, शिवानी सिंह आदि की उपस्थिति रही।