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रांची में दिया गया रणेंद्र को दसवां इफको श्रीलाल शुक्ल स्मृति साहित्य सम्मान

राँची के आर्यभट्ट सभागार में 31 जनवरी को प्रसिद्ध साहित्यकार एवं रामदयाल मुंडा जनजाति शोध संस्थान के निदेशक रणेंद्र को दसवें इफको श्रीलाल शुक्ल स्मृति साहित्य सम्मान, 2020 से सम्मानित किया गया।यह सम्मान ग्रामीण परिवेश और किसानों पर आधारित लेखन को समर्पित है।सम्मान में एक प्रतीक चिन्ह,  रजत पट्टिका, प्रशस्ति पत्र एवं ग्यारह लाख का चेक भी प्रदान किया गया।

इफको हमेशा आयोजन दिल्ली में करता रहा है। पहली बार लेखक के शहर राँची में आयोजित किया गया।प्रशासनिक सेवा अधिकारी साहित्यकार रणेंद्र की प्रकाशित कृतियां हैं-  ग्लोबल गांव के देवता, गायब होता देश, गूँगी रुलाई का कोरस(उपन्यास), छप्पन छुरी बहत्तर पेंच, रात बाकी और कहानियाँ (कहानी संग्रह)।थोड़ा सा स्त्री होना चाहता हूँ(कविता संग्रह)। उन्होंने  झारखंड एन्साइलोपीडिया और पंचायती राज हाशिये से हुकूमत तक का संपादन किया है।

समारोह का संचालन राजसभा टीवी के चर्चित कार्यक्रम “गुफ्तगू” के प्रस्तोता और निर्माता मो. इरफान ने किया। समारोह में कुलपति सत्यनारायण मुंडा, डॉ. रविभुषण, डॉ. प्रेम कुमार मणि, डॉ. अशोक प्रियर्दशी, प्रो रविभूषण, इफको के प्रबंध निदेशक आर.के.सिंह सभागार में  झारखंड और देश भर से आये अतिथि और साहित्यप्रेमी उपस्थित रहे।

इफको के प्रबंध निदेशक डॉ उदय शंकर अवस्थी ने  सम्मान चयन समिति के अध्यक्ष नित्यानंद तिवारी तथा अन्य सदस्यों को साहित्यकार रणेंद्र के चयन के लिए आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि रणेंद्र जी  गहरे समाजिक सरोकार के लेखक हैं। अपनी लेखनी में उन्होंने आदिवासी समाज के विसंगतियों को कुशलता से उतारा है। झारखंड उनकी कर्मस्थली रही है। वे आदिवासी समुदाय की सामाजिक -सांस्कृतिक खूबियों से बखूबी परिचित रहे हैं। उनका पहला उपन्यास ‘ ग्लोबल गांव का देवता ‘ साहित्य जगत में काफी चर्चित रहा है। इस उपन्यास में उन्होंने उपेक्षित असुर समुदाय के जनजीवन के संर्घष और पीड़ा का कुशल चित्रण किया है। उनका दूसरा ‘ उपन्यास गायब होता देश ‘ आदिवासी मुंडा समुदाय के जीवन का आख्यान है। मुझे पूरा विश्वास है श्री रणेंद्र की लेखनी इसी तरह समाज को दिशा देती रहेगी। हमें खुशी है कि दुनिया के सबसे बड़े सहकारी संस्थान इफको को दसवें श्री लाल शुक्ल स्मृति सम्मान प्रदान करने का अवसर मिला।

समिति अध्यक्ष नित्यानंद तिवारी ने प्रेमचंद , रेणु और श्रीलाल शुक्ल से लेकर रणेंद्र के कथा संसार का उल्लेख करते हुये ग्लोबल गांव के देवता का एक अंश  का पाठ किया। उन्होंने कार्पोरेट जगत की कारगुजारियों और किसान आंदोलन का जिक्र करते हुये कहा कि ‘ मैला आंचल ‘ के बाद ‘ ग्लोबल गांव का देवता ‘ किसान और आदिवासी समाज का सबसे महत्वपूर्ण उपन्यास है।

इसी क्रम में दयामणि बारला, डॉ. रविभूषण , डॉ. प्रेम कुमार मणि ने भी अपने उदबोधन में साहित्यकार रणेंद्र का आदिवासी जीवन के लिए किए गये साहित्यिक अवदानों का उल्लेख किया।

स्वागत भाषण रांची इफको के विपणन  प्रबंध निदेशक आर.के सिंह ने दिया। इफको की समिति ने किस प्रकार श्री रणेंद्र का चयन किया उसका उल्लेख किया।उसके बाद ‘ श्री लाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान एक सफर ‘  की छोटी सी क्लिप दिखाई गई।

सम्मान समारोह के बाद श्री लाल शुक्ल का नाटक ‘ सुखांत ‘ दिखाया गया। उसके बाद नीलोत्पल मृणाल एवं चंदन तिवारी ने अपनी प्रस्तुति दी।

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