राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत मथुरा जेल में बंद बीआरडी मेडिकल कालेज के निलम्बित बाल रोग चिकित्सक डॉ कफील खान ने एक बार फिर जेल से खत लिखा है. इस ख़त में उन्होंने देश में कोविड-19 के बढ़ते प्रसार पर चिंता जताते हुए प्रतिदिन दस लाख टेस्ट किये जाने का सुझाव दिया है.उन्होंने दुःख जताया है कि इस चुनौतीपूर्ण समय में वह जेल में हैं और लोगों को स्वास्थ्य सेवा नहीं दे पा रहे हैं.
डॉ कफील खान ने यह पात्र ईद के पहले लिखा था जिसे उनके परिवारीजनों ने मिडिया के लिए जारी किया है. हिन्दी और अंग्रेजी में लिखे इस पात्र में उन्होंने उम्मीद जतायी है कि अदालत उनके उनके ऊपर रासुका लगाये जाने की चुनौती देने वाली याचिका पर जल्द सुनवाई शुरू करेगी.
डॉ कफील खान का पूरा पत्र इस प्रकार है-
जैसा मुझे अनुमान था कि जाँच बढ़ने के साथ कोविड-19 पाजिटिव के आंकड़े बढ़ते जाएंगे क्योंकि हम स्टेज थ्री यानि कम्युनिटी ट्रांसफर के फेज में प्रवेश कर चुके हैं. मेरा अपना अनुभव कहता है कि इस वक्त जितने कोविड-19 के आंकड़े अपने देश के हैं, उसका दस गुना अभी भी खोजा नहीं जा सका है.
आज जब देश हॉस्पिटल, बेड, डॉक्टर, नर्स, पीपीई किट्स, उपकरण से जूझ रहा है तो मुझे जेल की दीवारों के बीच ‘ हेल्थ फॉर आल ‘ कैम्पेन की बहुत जरूरत महसूस हो रही है.
बीआरडी आक्सीजन हादसे के बाद भारत भ्रमण के दौरान मुझे ये अहसास हुआ कि हमारी पूरी स्वास्थ्य प्रणाली ही बुरी तरह चरमराई हुई है. तभी ये दृढ़ निश्चय कर लिया था कि इस टूटी हुई स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने में जिंदगी लगा दूँगा. हमने 25 लोगों की टीम बनायी जिसमें सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता, प्रोफेशनल , चिकित्सक, हेल्थ एक्टिविस्ट, सामाजिक कार्यकर्ता थे. टीम ने 6 महीने की कड़ी मेहनत से डब्ल्यूएचओ, वर्ल्ड बैंक, यूनिसेफ, नेशनल हेल्थ पालिसी से आंकड़े जूटा कर करीब 110 पन्नों का प्रस्ताव तैयार किया. इस प्रस्ताव को हमने 13 राज्यों में ‘ डॉ कफील कहाँ मिशन स्माइल फ़ौंडेशन के द्वारा लांच किया.
हमने ये प्रस्ताव स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को भी दिया जिसमें बताया गया था कि किस तरह हमारी प्राथमिक स्वास्थ्य व्यवस्था जिससे किसी गांव के गरीब व्यक्ति का पहला संपर्क होता है, सफेद हाथी की तरह सिर्फ फाइलों में जीवित है, खासकर उत्तर भारत के राज्यों में। भारत जीडीपी का 1% से से भी कम स्वास्थ्य पर खर्च करता है. अस्सी फीसदी डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं. वर्ष 2019 में हर घंटे में 100 बच्चों की असमय मौत हुई. पांच लाख लोग टीबी से मर जा रहे हैं.
हमारी प्रमुख मांग थी कि भारत को स्वास्थ्य पर जीडीपी का तीन फीसदी खर्च करना होगा. स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार बनाने के लिए संसद से राइट टू हेल्थ केयर कानून पास किया जाय ताकि बिना किसी जाति, धर्म, गरीबी , जेंडर भेदभाव के सभी का मुफ्त इलाज उसके घर के दो-तीन किलोमीटर के दायरे में हो जाय. .
काश सरकार ने हमारी सुनी होती तो आज हम इन परिस्थितियों से न जूझ रहे होते.
मैंने कोविड-19 के बारे में 27 जनवरी को अपने फेसबुक पेज से ( DRKAFEELKHAN@Facebook.com, DRKAFEELKHANOFFICIAL@Youtube.com) पर आगाह कर किया था कि जब भारत में एक भी केस नहीं था. मुझे ये अहसास था कि जिस तरह की हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था है, हमें अभी से तैयारी करनी होगी. पर अफसोस दो दिन बाद ही यानी 29 जनवरी को मुझे जेल भेज दिया गया. कोर्ट से बेल मिलने के बाद रासुका लगा दिया गया हालांकि कोर्ट ने माना कि मेरा कोई अपराध इतना गंभीर नहीं बनता.
मैंने 19 मार्च को को प्रधानमंत्री को लिखे खत में भी यह बात कही थी कोविड-19 से लड़ने के लिए हमें सामाजिक दूरी, सघन टेस्टिंग, आइसोलेशन, इलाज और जागरूकता का सूत्र अपनाना होगा पर अफसोस कि तीसरे लॉकडाउन के बाद भी टेस्टिंग पैमाने पर भारत अभी भी सबसे नीचे है. कम से कम 10 लाख टेस्ट रोज जब तक नहीं होंगे हमें कोविड-19 मरीजों का सही आँकड़ा नहीं मिल पाएगा.
सबसे दर्दनाक बात ये है कोविड-19 के चक्कर में बाकी बीमारियों के इलाज में बहुत लापरवाही हो रही है. आज भी 100 बच्चे हर घंटे करीब दम तोड़ रहे, 1300 लोग रोज टीबी से मर रहे हैं . ये खबरें जरूर आपने सुनी-देखी होंगी – ‘ बुखार से अधेड़ की मौत ‘, ‘ इलाज के लिए भटकते रहे स्वजन, बालक की मौत ‘ , ‘ गर्भवती इलाज के लिए भटकती रही-जच्चा बच्चा मौत ‘ ।
मैं फिर भी कुछ विन्दुओं की तरफ ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ-
1.-लॉक डाउन अस्थायी है और सिर्फ इसलिए लगाया जाता है ताकि आप आने वाली विपदा के लिए तैयार जाएं .
2. टेस्ट. टेस्ट और टेस्ट
3.आइसोलेशन और इलाज
4.आरटी-पीसीआर पर रोज दस लाख टेस्ट ताकि सभी अलाक्षणिक सुपर स्प्रेडर चिन्हित हों और उन्हें आइसोलेट किया जाए.
5.प्रत्येक मौत चाहे जिस किसी कारण हो कोविड-19 टेस्ट अवश्य किया जाय. कोरोना वारियर का का हर हप्ते टेस्ट.हो.
6. डूब रही अर्थव्यवस्था पर ध्यान दिया जाय
7. गरीबों, मजदूरों, असहायों के हाथ में जार महीने कम से कम आठ रुपया दिया जाय.
रमजान का पाक महीना चल रहा है, हर रोज रोजा खोलते वक्त अल्लाह से यही दुआ करता हूँ कि जल्द ही मेरे देश को इस महामारी से बचा ले और एक की भी मौत न हो. रामायण रोज सुबह और रात देख रहे हैं. उत्तर रामायण में महर्षि बाल्मीकि जी श्री राम से कहते हैं राजा को राजहठ नहीं करना चाहिए तो फिर से इस पत्र के माध्यम से उम्मीद करता हूँ कि मुझे जेल रखने का राजहठ छोड़ कर राजधर्म का पालन किया जायेगा.
मैं इन सैकड़ों कैदियों के बीच और लाखों मक्खियों और हजारों मच्छरों के बीच बस तड़पता हूँ कि कैसे हाई कोर्ट मेरे केस की जल्दी सुनवाई करे और मैं रिहा होकर फिर से मरीज़ों की जिंदगी बचाने के काम में लग जाऊं, मुजफ्फपुर ही चला जाऊं जहाँ बच्चे चमकी बीमारी से मर रहे हैं.
आखिर में मैं उन सब 135 करोड़ हिंदुस्तानियों का शुक्रिया अदा करता हूँ जो रोज मेरे लिए दुआ, प्रार्थना करते हैं. मुझे न्यायालय पर यकीन है.मुझे उम्मीद है कि जल्द ही गलत, अलोकतांत्रिक, झूठा व द्वेष में थोपा गया रासुका हटा दिया जायेगा और मैं फिर से आज़ाद हो आपके बीच बच्चों का इलाज करता हुआ दिखूंगा .
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