नई दिल्ली. भाकपा-माले ने लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार को सत्ता से बाहर करने और संघ गिरोह के फासीवादी हमले से भारत को बचाने के लिए जबर्दस्त अभियान चलाने का ऐलान किया है. पार्टी ने कहा है कि वह कुछ चुनिन्दा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी और बाकी सीटों पर वाम व अन्य विपक्षी प्रत्याशियों का समर्थन करेगी ताकि भाजपा व राजग के प्रत्याशियों की हार सुनिश्चित की जा सके।
पार्टी की पोलित ब्यूरो द्वारा 7 मार्च को जारी एक बयान में यह बात कही गई है. पार्टी का मूल बयान यह है-
कहा गया है कि भाकपा-माले की पोलित ब्यूरो पुलवामा हमले और उसके बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को आगामी चुनाव में वोटों के लिए भुनाने की भाजपा व मोदी सरकार की कोशिशों की आलोचना करती है। पुलवामा हमले और बालाकोट हवाई हमले पर उठने वाले सवालों को लोगों को देशद्रोही कह कर दबाया नहीं जा सकता। यह मोदी सरकार की जबर्दस्त विफलता का उदाहरण है। साथ ही मोदी सरकार बेरोजगारी, खेती-किसानी की तबाही, आर्थिक तबाही, सांप्रदायिक हिंसा और संविधान पर हमले के मामलों में भी अव्वल रही है।
पोलित ब्यूरो प्रधानमंत्री मोदी द्वारा विकलांग लोगों का अपमान करने की आलोचना करती है। अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी के ‘डिस्लेक्सिया’ पीड़ित होने की बात कहकर उसका मज़ाक उड़ाने की मोदी की कोशिश असल में डिस्लेक्सिया से पीड़ित लोगों को शर्मिंदा करने और उनका मज़ाक उड़ाने की कोशिश है। पोलित ब्यूरो ने प्रधानमंत्री के इस वक्तव्य पर उनसे बिना शर्त माफी की मांग की।
भाकपा-माले ने आधार मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटने की मंशा से मोदी सरकार द्वारा आधार कानून में संशोधन के लिए पारित अध्यादेश की आलोचना की। यह अध्यादेश निजी कंपनियों को आधार डाटा तक पहुँच बनाने की इजाजत देता है जबकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में निजी कंपनियों द्वारा किसी से भी आधार की जानकारी हासिल करने को गैर-कानूनी करार दिया था। भाकपा-माले ने SC/ST/OBC आरक्षण और संविधान को बचाने के लिए 13 प्वाइंट रोस्टर प्रणाली के खिलाफ सफल बंद बुलाने वालों को बधाई दी। आरक्षण पर हमला, संविधान और भारत के नागरिकों के लिए सामाजिक न्याय की गारंटी करने की संवैधानिक प्रतिबद्धता पर हमला है। भारत की जनता मोदी सरकार द्वारा सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता व लोकतन्त्र की संवैधानिक प्रतिबद्धता पर लगातार हमले का मुक़ाबला करने के लिए तैयार है।
भाकपा-माले सुप्रीम कोर्ट में मोदी सरकार द्वारा वन अधिकार कानून का बचाव न करने की भर्त्सना करती है। इसके चलते एक ऐसा आदेश पारित हुआ जिससे लगभग 20 लाख आदिवासी और जंगल में रहने वाले अन्य समुदायों को विस्थापन झेलना पड़ेगा। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगा दी है लेकिन जंगल में रहने वालों पर विस्थापन का संभावित खतरा अभी भी मंडरा रहा है। भाकपा-माले वन अधिकार कानून की रक्षा और इसे ठीक ढंग से लागू किए जाने की गारंटी करने के लिए चौकन्ने रहने व प्रतिवाद के लिए तैयार रहने का आह्वान करती है।
भाकपा-माले जलियाँवाला बाग में अंग्रेजी शासकों द्वारा किए गए भीषण जन-संहार के सौ साल बीतने पर भारत की जनता से जलियाँवाला बाग के शहीदों को श्रद्धांजलि देने की अपील करती है। अकारण ही निहत्थी जनता की पुलिस गोलीबारी द्वारा हत्या की शर्मनाक प्रथा आज भी जारी है। हाल के वर्षों में मंदसौर (मध्य प्रदेश) में किसानों पर गोलीबारी और तमिलनाडु के तूतीकोरिन में स्टरलाइट विरोधी आंदोलनकारियों पर गोलीबारी इसके कुछ उदाहरण हैं। भाकपा-माले आजाद भारत में पुलिस नृशंसता और दानवीय क़ानूनों को समाप्त करने की मांग के साथ जलियाँवाला बाग के सौ साल मनाएगी।