नई दिल्ली. भाकपा माले ने आज दिल्ली, मुम्बई, रांची, हैदराबाद आदि स्थानों पर सामाजिक व मानवाधिकार कार्यकर्ताओं , लेखकों की गिरफ्तारी और उनके घर पर छापों की कार्रवाई को अघोषित आपातकाल बताया है।
भाकपा माले की सेंट्रल कमेटी के सदस्य प्रभात कुमार ने आज जारी एक बयान में कहा कि आज जिस तरह से कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारियां की गई हैं, बहुत से कार्यकर्ताओं, लेखकों और असहमति रखने वालों के घरों में छापे डाले जा रहे हैं, यह पूरी तरह से कुख्यात आपातकाल की याद दिला रहा है.
उन्होंने कहा कि आज गिरफ्तार होने वालों में जानी मानी कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज भी हैं, जो एक वकील हैं और आजीवन छत्तीसगढ़ के सबसे उत्पीडि़त समुदायों के अधिकारों की रक्षा के लिए काम करती रही हैं. उनके अतिरिक्त वर्नोंन गौंजाल्वेस, गौतम नवलखा, वरवरा राव एवं कई अन्य प्रसिद्ध हस्तियों को गिरफ्तार किया गया है. मुम्बई, दिल्ली, रांची, गोवा और हैदराबाद में कई कार्यकर्ताओं के घरों में छापेमारी की गई है. सुधा भारद्वाज को आईपीसी की धाराओं 153ए, 505, 117 और 120 और यूएपीए (अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट) कई अन्य धाराओं में गिरफ्तार किया गया है.
ये गिरफ्तारियां और छापेमारी पुणे पुलिस द्वारा भीमा-कोरेगांव मामले में बताई गई हैं, जिसमें कई दलित व नारीवादी कार्यकर्ता और एडवोकेट पहले भी गिरफ्तार किये गये हैं. भीमा-कोरेगांव में हुए बिल्कुल ही शांतिपूर्ण कार्यक्रम को आतंकवादी कार्यवाही बताने की कोशिशें निहायत ही आधारहीन और भर्त्सना के योग्य हैं.
भाकपा माले ने कहा कि यह बहुत ही चिन्ता का विषय है कि केन्द्र और महाराष्ट्र में भाजपा की सरकारें अधिकारों के लिए संघर्षरत कार्यकर्ताओं को आतंकवाद के आरोपों में विभिन्न दमनकारी कानूनों के तहत गिरफ्तार कर रही हैं, जबकि दलितों के प्रति हिंसा कर रहे, आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त, असहमति की आवाज उठाने वालों की हत्यायें करने वाले सनातन संस्था और शिव प्रतिष्ठान जैसे असली आतंकवादी संगठनों को वर्तमान प्रधानमंत्री समेत तमाम भाजपा नेता ‘राष्ट्रवादी’ बता रहे हैं.
भाकपा माले ने कहा कि जैसे-जैसे संसद के आगामी चुनाव निकट आ रहे हैं, इन गिरफ्तारियों और छापेमारियों के माध्यम से असहमति रखने एवं विरोध में बोलने वाले सभी लोगों को ‘देशद्रोही’ बता कर डराने-घमकाने की कोशिशें हो रही हैं. मोदी राज के अघोषित आपातकाल में अधिकारों के लिए संघर्षरत कार्यकर्ताओं और असहमति के स्वरों को या तो मार दिया जा रहा है, अथवा छापेमारियों व गिरफ्तारियों के बाद उन्हें जेलों में डाला जा रहा है. हम इसकी घोर भर्त्सना करते हैं और सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा, वर्नोन गौंजाल्वेस, वरवरा राव व अन्य सभी आज गिरफ्तार लोगों की तत्काल रिहाई की मांग करते हैं.
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