लखनऊ, 31 मई। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) की राज्य इकाई ने कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा की हार का स्वागत किया है। पार्टी ने कहा कि प्रदेश में गोरखपुर व फूलपुर के बाद भाजपा की लगातार दूसरी हार इस बात का संकेत है कि इसका पानी उतारने लगा है और 2019 में ना मोदी ना ही योगी पार्टी की नैया पार लगा पाएंगे।
गुरुवार को यहां जारी विज्ञप्ति में पार्टी ने कहा कि कैराना में मुख्यमंत्री योगी द्वारा चुनाव प्रचार में साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण कराने की कोशिश का दांव उल्टा पड़ गया। मुजफ्फरनगर दंगे, कथित पलायन और जिन्ना का उल्लेख कर ध्रुवीकरण की कोशिश की थी, जिसे मतदाताओं ने खारिज कर दिया। यहाँ तक कि चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद मतदान की पूर्व संध्या पर कैराना लोकसभा सीट से लगते बागपत में एक्सप्रेस वे का उदघाटन कराने के बहाने प्रधानमंत्री मोदी की सभा कराने की तरकीब भी काम न आई।
पार्टी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के बाहर भी अन्य राज्यों के उपचुनाव परिणाम भाजपा के लिए नकारात्मक संदेश देते हैं। यहां तक कि बिहार, पंजाब आदि राज्यों में भाजपा के साथ गठबंधन करने वाले दलों के प्रत्याशी भी हार का मजा चखने को बाध्य हुए हैं। यह दिखाता है कि मोदी-योगी सरकार की नीतियों से जनता का भरोसा उठ चुका है और इनकी वादाखिलाफी व महंगाई से लोग परेशान हैं।
उपचुनाव परिणामों का यह भी संदेश है कि जनता ठोस नतीजे न कि कोरी जुमलेबाजी चाहती है। आखिर ऐसा क्यों है कि कर्जमाफी की घोषणा के बावजूद कर्ज से परेशान किसान आत्महत्या कर रहे हैं। प्रति वर्ष देश में दो करोड़ और यूपी में 70 लाख रोजगार देने की मोदी-योगी की घोषणा के बावजूद रोजगार मांग रहे युवा सरकार की लाठियां खा रहे हैं या फिर उन्हें पकौड़ा बेचने या पान की दुकान खोल लेने की सलाह भाजपा नेताओं द्वारा दी जाती है।
कहा कि अच्छे दिन लाने के वादे के बावजूद ऐसा क्यों है कि देश गुजरे चार सालों में विश्व भूख सूचकांक में और निचले पायदान पर खिसक कर आम देशवासी की हालत के बद से बदतर होने की गवाही देता है। मोदी-योगी की सरकार को इसका जवाब देना होगा अन्यथा अब भाजपा को अपने बुरे दिनों के लिए तैयार रहना होगा।