पटना. बिहार के प्रगतिशील-जनवादी साहित्यिक-सांस्कृतिक संगठनों ने एएन सिन्हा इंस्टीच्यूट आॅफ सोशल स्टडीज, पटना में आयोजित सेमिनार ‘इंटरजेशनेल मोबिलिटी आॅफ कास्ट’ के दौरान भाजपा के एमएलसी संजय पासवान द्वारा एएन सिन्हा इंस्टीच्यूट के पूर्व निदेशक डाॅ. डी.एम. दिवाकर के प्रति जातिसूचक शब्दों और गालियों के इस्तेमाल की तीखी भर्त्सना की है।
भर्त्सना करने वालों में जन संस्कृति मंच के राज्य सचिव सुधीर सुमन और जसम पटना के संयोजक राजेश कमल, प्रेरणा,जनवादी सांस्कृतिक मोर्चा के हसन इमाम, जनवादी लेखक संघ के राज्य अध्यक्ष डाॅ. नीरज सिंह और राज्य सचिव विनीताभ, प्रगतिशील लेखक संघ के राज्य महासचिव डाॅ. रवींद्रनाथ राय और हिरावल के सचिव संतोष झा प्रमुख हैं।
प्रगतिशील-जनवादी संगठनों ने यह भी कहा है कि केंद्र से लेकर कई राज्यों में प्रत्यक्ष तौर पर भाजपा-आरएसएस की सरकारें कायम होने के बाद दलितों का उत्पीड़न और उन पर हिंसक हमलों की घटनाएं काफी बढ़ी हुई हैं। अन्याय, दमन-उत्पीड़न और हिंसा पर आधारित वर्ण-व्यवस्था को भाजपा-आरएसएस मजबूत बना रही है। यह उनके फासीवादी अभियान की जरूरत है। संजय पासवान जैसे नेता भी उनके इस फासीवादी रणनीति के अनुरूप काम कर रहे हैं। देश के दूसरे लोकतांत्रिक और सामाजिक शोघ संस्थानों की तरह ये एएन सिन्हा इंस्टीच्यूट आॅफ सोशल स्टडीज जैसे प्रतिष्ठित संस्थान की स्वायत्तता को भी नष्ट करना चाहते हैं, जिसका बिहार के तमाम प्रगतिशील-लोकतांत्रिक लोगों को जोरदार विरोध करना चाहिए।
संगठनों ने संजय पासवान के अखबारों में छपे बयान का हवाला देते हुए यह कहा है कि अपने बयान में संजय पासवान ने यह स्वीकार किया है कि एक जाति विशेष का होने के नाते उन्होंने डाॅ. दिवाकर को दीप प्रज्ज्वलन के लिए आमंत्रित किया। क्या भाजपा-आरएसएस हर आयोजन में जाति का ख्याल रखकर दीप प्रज्ज्वलित कराती है? क्या संघ-भाजपा की यही संस्कृति है, जिसके प्रति पूर्वाग्रह का आरोप संजय पासवान ने डीएम दिवाकर पर लगाया है?
संगठनों का कहना है कि संजय पासवान को कार्यक्रम में विघ्न के लिए नहीं, बल्कि डाॅ. डीएम दिवाकर के प्रति जाति सूचक शब्दों के इस्तेमाल, दीप प्रज्ज्वलन के लिए की गई जबर्दस्ती और डाॅ. दिवाकर द्वारा प्रतिवाद किए जाने पर उन्हें गालियां देने के लिए माफी मांगनी चाहिए। संजय पासवान का व्यवहार सत्ता के मद में चूर भाजपा के अन्य नेताओं से जरा भी भिन्न नहीं हैं। कार्यक्रम के दौरान बनाया गया वीडियो भी इसका साक्ष्य है।