Friday, September 22, 2023
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चंपारण में अंग्रेजों के ज़माने के कानून ‘ कोर्ट आफ वार्ड्स ’ को ख़त्म करने के लिए गरीबों ने दिया धरना

        
   

 

पटना, 27 फरवरी. चंपारण में अब तक चल रहे अंग्रेजी राज के औपनिवेशिक कानून ‘ कोर्ट आफ वार्ड्स ’ को तत्काल खत्म करने की मांग पर बेतिया राज भूमि अधिकार संघर्ष मोर्चा, भाकपा-माले, अखिल भारतीय किसान महासभा व खेग्रामस ने विधान सभा के सामने गर्दनीबाग में आज धरना दिया.

धरना को खेग्रामस के महासचिव धीरेन्द्र झा, अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव राजाराम सिंह, पूर्व सांसद रामेश्वर प्रसाद, काॅ. केडी यादव, विधायक सत्यदेव राम, खेग्रामस के बिहार राज्य सचिव वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता, शशि यादव, भाकपा-माले राज्य कमिटी सदस्य सुनील यादव, किसान नेता राजेन्द्र पटेल, प्रभुदेव यादव, बेतिया राज भूमि अधिकार संघर्ष मोर्चा के संजय यादव आदि ने संबोधित किया.

धरना के बाद एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री कार्यालय में संयुक्त सचिव राकेश सिन्हा को एक ज्ञापन सौंपा. इसमें धीरेन्द्र झा, रामेश्वर प्रसाद, वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता, विष्णुदेव यादव, संजय यादव आदि शामिल थे.

धीरेन्द्र झा

धरना को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि चंपारण सत्याग्रह शताब्दी का ढोंग करने वाली नीतीश सरकार आज पूरे बिहार में गरीबों की बेदखली का अभियान चला रही है. इसका जीता जागता उदारहण खुद चंपारण है. चंपारण में आज भी अंग्रेजी राज का कानून चल रहा है. अंग्रेजों के समय में बेतिया राज की जमींदारी ‘‘कोर्ट आॅफ वार्डस’’ के अधीन थी, जो आज तक चली आ रही है. बिहार सरकार कह रही है कि उस जमीन को अधिग्रहित करने का अधिकार बिहार सरकार को नहीं है, इसलिए जमीन पर जो गरीब बसे हैं, उन्हें जमीन खाली करनी होगी. गरीबों को अतिक्रमणकारी बताया जा रहा है. शहर के परिधि की बस्तियां को उजाड़कर सरकार उन्हें खाली कर दरअसल लैंड बैंक बनाना चाहती है. जबकि बेतिया राज की महज 10-20 प्रतिशत जमीन पर ही गरीबों का कब्जा है. शेष 80 प्रतिशत जमीन या तो चीनी मिलों, जमींदारों, बड़े भूस्वामियों के कब्जे में है. इस अवैध कब्जे पर सरकार एक शब्द नहीं बोलती. ठीक उसी प्रकार भूदान की जमीन की आज सरकार उलटी व्याख्या कर रही है. यहां पर गरीबों को जमीन से बेदखल करने के लिए सरकार कह रही है कि जमींदारों को तो जमीन दान करने का अधिकार ही नहीं था. इसलिए भूदान की जमीन गरीबों की बसावट असंवैधानिक है. बेतिया राज की बीस एकड़ जमीन पर केंद्रीय मंत्री राधामोहन सिंह ने भी कब्जा जमा रखा है.

राजाराम सिंह

धरने और ज्ञापन के माध्यम से बिहार सरकार से 10 सूत्री मांग राखी गई –

1. बिहार सरकार द्वारा चंपारण सत्याग्रह का सम्मान करते हुए औपनिवेशिक शासन काल के कानून ‘कोर्ट आॅफ वार्ड्स ’ का अंत किया जाए.

2. बेतिया राज की जमीन को भूमि सुधार कानून के दायरे में लाया जाए और भूमिहीनों को वास भूमि और खेती की जमीन पर कानूनी अधिकार दिया जाए. दुकानदारों को उनकी दुकान की जमीन व्यक्तिगत तौर पर 99 साल की लीज या बंदोबस्त की जाए.

3. अभी बेतिया राज की मोतिहारी चीनी मिल वाली जमीन की केंद्रीय मंत्री राधमोहन सिंह द्वारा की जा रही लूट पर रोक लगाई जाए. इसके लिए मोतिहारी चीनी मिल गेस्ट हाउस बगीचा की जमीन की खरीददारी का दावा करने वालों द्वारा की जा रही चाहरदीवारी निर्माण पर रोक लगाई जाए.  इसकी जांच हो.

4. बड़े सामंतों, भूमाफियाओं, चीनी मिलों, बड़े राजनेताओं द्वारा बड़े पैमाने पर हड़पी गई बेतिया राज की जमीन की लूट देखते हुए बेतिया राज की परिसंपत्तियों की अद्यतन स्थिति पर बिहार विधनसभा में श्वेत पत्र लाया जाए.

5. पुलिस-प्रशासन द्वारा तोड़े गए बेतिया बुद्धा काॅलनी के 87 घरों के पुननिर्माण के साथ मुआवजा दिया जाए. 29 व 30 नवम्बर 2017 को घर तोड़े जाने का विरोध करने वालों पर हुए मुकदमों को वापस लिया जाए.

6. बेतिया राज की जमीन पर सैकड़ों मुहल्ले व गांव बसे हुए हैं. जैसे बेतिया शहर और पास के नौरंगाबाग, पीउनीबाग, उतरवारी पोखरा, सागर पोखरा, पूर्वी करगहिया, पश्चिमी करगहिया, जयप्रकाश नगर, बुद्धा काॅलनी, आईटीआई काॅलनी, कृष्णा नगर, लालू नगर, मनसा टोला, भरपटिया, बानू छापर हजमा टोला, बगहा के सुखवन, हरनाटांड़, नरकटियागंज के हरदिया, शिवगंज, जोगापट्टी के नवलपुर, कोड़ा बेलदारी, नौतन के खाप टोला, मोतिहारी के भवानीपुर जिरात, छतौनी, रघुनाथपुर आदि. सभी जगहों पर लोगों के आधार कार्ड, बिजली कनेक्शन, वोटर लिस्ट, बैंक एकाउंट व अन्य सारे कागजात उसी पते से हैं. कुछ गांव-मुहल्ले सैकड़ो-पचासो वर्षों से है, वहां सरकारी योजनाओं से नाला, सड़क, स्कूल, सामुदायिक भवन आदि बने हैं. मंदिर-मस्जिद बने हुए हैं. लेकिन वहां के वाशिंदों को अब तक कानूनी भू-अधिकार नहीं है. ऐसी सभी जगह के लोगों को कानूनी भू-अधिकार दिया जाए. इसके लिए जरूरी हो तो शहरी वास-आवास संबंधी नए कानून का निर्माण किया जाए. अभी की स्थिति यह है कि चंपारण के सभी शहरी क्षेत्रों समेत दूसरे जिलों में भी गरीबों के वास-आवास, शौचालय निर्माण में वास भूमि के कागजात के अभाव में बाधा आ रही है. इसे देखते हुए भी इस संबंध में आवश्यक कानून बनाया जाए. ताकि लोगों के वास भूमि पर उनका कानूनी अधिकार हासिल हो.

7. रेलवे की जमीन पर बगहा शहर के कैलाश नगर व अन्य मुहल्लों के हजारों परिवार की वास भूमि पर कानूनी भू-अध्किार दिया जाए. वहां सरकारी स्कूल व शौचालय तक नहीं बन पा रहा है. जबकि वहां रेल लाइन अलग बन चुका है और जमीन की प्रकृति बदल चुकी है. इसके लिए बिहार सरकार केंद्र सरकार को प्रस्ताव पारित कर तत्काल भेजे.

8. आज भी चंपारण में भूमि संकेन्द्रण और बड़ी-बड़ी जमींदारी व अधिक संख्या में भू वादों को देखते हुए चंपारण लैंड ट्रिब्यूनल का गठन किया जाए.

9. भूमि सुधार के लिए डी बंद्योपाध्याय आयोग की सिफारिश लागू की जाए.

10. बंद पड़ी मोतिहारी चीनी मिल के मजदूरों-किसानों के बकाया का भुगतान किया जाए. 10 अप्रैल 2017 को आत्मदाह की घटना में शहीद मजदूर परिवार के परिजनों को एक-एक एकड़ जमीन दी जाए.

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