17 वर्षीय फिलिस्तीनी लड़की आहेद तमीमी इसरायली जेल में हैं क्योंकि उसने अपने घर को इसरायली सैनिकों से बचाने की कोशिश की थी. उसे ऐसा करते हुए इस वीडिओ में देख सकते हैं
इसरायली सैनिकों ने आहेद के घर पर आँसू गैस छोड़ा था और खिड़कियों को तोड़ा था, उसके 14 वर्षीय भाई मोहम्मद के चेहरे को रबर बुलेट से घायल किया था, (जिसकी वजह से मोहम्मद को 72 घंटों के लिए कोमा में रखा जाना पड़ा). इसके बाद ही आहेद ने जाकर सैनिकों का सामना किया.
आहेद फिलिस्तीन की मुक्ति योद्धा है. उस जैसे ढेर सारे फिलिस्तीनी बच्चे जेल में है, इसरायली सेना द्वारा मारे जाते हैं.
आहेद बचपन से ही ऐसे ही लड़ती आ रही है – कुछ वर्षों पहले के इस वीडियो में छोटी सी आहेद को आप देख सकते हैं -मुट्ठी उठाकर सैनिकों से पूछते हुए, ‘मेरा भाई कहाँ है?’
चे ग्वेरा की चर्चित और प्रसिद्ध तस्वीर बनाने वाले आयरिश चित्रकार जिम फिट्ज़पैट्रिक ने आहेद की यह तस्वीर बनायी और आहेद को ‘असली वंडर वुमन’ कहा . ऐसा कहकर वे वंडर वुमन फिल्म पर टिप्पणी कर रहे हैं जिसकी नायिका गाल गाडोट खुद इसरायली है, और इसरायली सेना में न सिर्फ लड़ चुकी है बल्कि इजराइल द्वारा फिलिस्तीन पर कब्जे का समर्थन करती है.
इस तस्वीर को आप यहाँ मुफ्त में डाउनलोड या प्रिंट कर सकते हैं .
मोदी और नेतन्याहू चाहते हैं कि हम भारतवासी फिलिस्तीन के इतिहास को भूल जाएँ – इजराइल से शस्त्र खरीदें, और फिलिस्तीनियों को आतंकवादी समझें और कहें कि पाकिस्तान का वही हश्र हो जो इजराइल ने फिलिस्तीन का किया है.
फिलिस्तीन पर कब्ज़ा कर के इसरायल को बसाना – यह भी उन्हीं अंग्रेज़ उपनिवेशवादियों का खेल था जिन्होंने भारत पर भी कब्ज़ा किया, भारत के स्वतंत्रता सैनिक इस बात को खूब समझते थे.
मोदी और भाजपा-संघ के लोग चाहते हैं कि हम भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास को भी भुला दें, इसे मुसलमानों के खिलाफ हिन्दू राष्ट्र के लिए संघर्ष मानें न कि अंग्रेज़ उपनिवेशवाद और गुलामी के खिलाफ संघर्ष. उसी तरह वे चाहते हैं कि हम फिलिस्तीनी आंदोलन को मुक्ति संघर्ष नहीं, आतंकवाद समझ लें. पर क्या हम भूल सकते हैं कि गाँधीजी ने ‘हरिजन’ पत्रिका में 26 नवंबर, 1938 को लिखा था-
‘ फिलिस्तीन उसी तरह से अरबों का है, जिस तरह इंग्लैंड, अंग्रेजों का है और फ्रांस, फ्रांसीसियों का है. अरबों पर यहूदियों को थोपना गलत और अमानवीय है. आज फिलिस्तीन में जो कुछ भी हो रहा है, उसे किसी भी नैतिक आचार संहिता द्वारा सही नहीं ठहराया जा सकता. इन आदेशों का अनुमोदन सिर्फ पिछला युद्ध करता है.फिलिस्तीन से स्वाभिमानी अरबों को हटाकर वहां यहूदियों को आंशिक या पूर्ण रूप से राष्ट्रीय गृह के तौर पर बसाना मानवता के खिलाफ अपराध होगा.’
गांधीजी ने उसी पत्रिका में यहूदियों से यह कहा था कि उनके साथ हो रहे उत्पीड़न के साथ उनकी सहानुभूति है, पर फिलिस्तीन को यहूदियों की ‘गृहभूमि’ बनाने की कोशिशों पर उन्होंने यह सलाह दिया था –
‘बाइबल में जिस फिलिस्तीन की बात है वह कोई जमीन का टुकड़ा नहीं है. यह उनके (यहूदियों के) हृदय में है. लेकिन अगर वे फिलिस्तीन को उनके राष्ट्रीय गृह (नेशनल होम) के तौर पर देखना ही चाहते हैं, तो अंग्रेजों की बंदूक के संरक्षण में इसमें दाखिल होना गलत है…वे फिलिस्तीन में अरबों की सदिच्छा के सहारे ही बस सकते हैं.’
आखिर आज भारत में कितने स्कूलों में, अख़बारों में, टीवी पर, हम में से कितनों को यह इतिहास बताया जाता है ?
आहेद के बारे में सोचते हुए ज़रा कश्मीरी बच्चों के बारे में भी सोचें – इस विषय पर मेरा लेख पढ़ें –
https://www.theresistancenews.com/opinion/why-is-the-stone-in-the-hands-of-kashmiri-youth/
जम्मू की 8 वर्षीय गुज्जर लड़की आसिफा के बारे में भी सोचें जिसका बर्बर बलात्कार और हत्या और किसी – बलवा-विरोधी ‘स्पेशल पुलिस ऑपरेशन्स’ के दो वर्दी धारियों ने ‘ गुज्जरों में आतंक फ़ैलाने के लिए ‘ किया. इन आतंकियों के पक्ष में ‘हिन्दू एकता मंच ने तिरंगा लहराते हुए जुलूस निकाला, जिसका नेतृत्व भाजपा के और कांग्रेस के भी कुछ नेताओं ने किया. आसिफा जैसी बच्चियां क्या करेंगी? शायद आहेद जैसा बनना पसंद करेंगी ?
पिछले साल जब मैं अन्य भारत के जनांदोलनों के कार्यकर्ताओं की टीम के साथ कश्मीर गयी थी, तो वहां एक गांव में एक पांचवीं क्लास की बच्ची – मुस्कान – से भेंट हुई. उसने बताया कि ‘आर्मी वाले ईद के दिन हमारी बहनों को बाल पकड़ कर घसीट कर ले गए. आर्मी वाले हंस रहे थे, हमें लगा की वो हमारी इज़्ज़त लूट लेंगे इसलिए हम भाग गए. मैंने उससे पूछा कि तुम भी क्या आंदोलन में जाती हो ? क्या मांग करती हो ? उसने कहा, ‘हम आज़ादी चाहते हैं. मोदी से कहते हैं कश्मीर से निकल जाओ. महबूबा से कहते हैं गद्दी छोड़ दो !’
आहेद के बारे में सोचते हुए कश्मीर घाटी के गांव की उस मुस्कान की बहादुरी याद आ गयी. पता नहीं अब कैसे और किस हाल में होगी.
आहेद को अपने दिल में रखिये – भारत की सरकार से कहिये कि वह इजराइल के साथ रक्षा सौदे करना बंद करें, शस्त्र खरीदना बंद करें. इजराइल और इसरायली सामानों के बॉयकॉट के लिए चल रहे विश्वव्यापी BDS आंदोलन से जुड़िये – ऐसे ही बॉयकॉट ने दक्षिणी अफ्रीका में नस्लवादी अपर्थाइड की रीढ़ को तोड़ा था. आज इजराइल द्वारा कब्ज़ा किये गए फिलिस्तीन में भी नस्लवादी अपर्थाइड चल रहा है. फिलिस्तीनी बच्चों का, लोगों का साथ दीजिये, ऐसा कर के हम भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का भी आदर करते हैं.
[author] [author_image timthumb=’on’]http://samkaleenjanmat.in/wp-content/uploads/2018/02/Kavita-Krishnann.jpg[/author_image] [author_info]कविता कृष्णन भाकपा माले की पोलित ब्यूरो की सदस्य और आल इंडिया प्रोग्रेसिव वीमेन एसोसिएशन (एपवा ) की सचिव हैं[/author_info] [/author]
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