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हत्या जिनकी भी हो, पुरजोर विरोध कीजिएः तभी बचेगा समाज, तभी बचेगा देश !

एप्पल कंपनी में मैनेजर के पद पर काम करने वाले विवेक तिवारी को शुक्रवार देर रात गश्त कर रहे उत्तर प्रदेश पुलिस के कॉन्स्टेबल ने लखनऊ में गोली मारकर हत्या कर दी। उत्तर प्रदेश में पिछले 16 महीनों में जबसे आदित्यनाथ की सरकार बनी है, तब से अब तक दो हज़ार से भी ज़्यादा तथाकथित पुलिस एनकाउंटर हुए हैं, जिनमें 58 से ज्यादा लोग मारे गए हैं। इन मुठभेड़ों में सबसे हालिया मुठभेड़ अलीगढ़ की है जहां पत्रकारों के सामने मुस्तकिम और नौशाद नामक व्यक्ति की हत्या कर दी गई थी और उसे ‘लाइव इनकाउंटर’ का नाम दिया गया था।

इन तथाकथित इनकाउंटर को देखें तो पाएंगे कि जिन लोगों की पुलिस ने हत्या की है या पुलिस की गोली के वे शिकार हुए हैं, वे लगभग सारे के सारे मुसलमान, दलित और पिछड़े हैं जिनका उपनाम यादव, राजभर, पासी, सोनकर, मौर्या, कुशवाहा आदि है।

विवेक तिवारी की पत्नी कल्पना तिवारी का अपने पति की हत्या किए जाने पर कहना है कि हम इतने भरोसे के साथ उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार लाए थे, और हमारे साथ ही इतना बुरा हो रहा है। अर्थात कल्पना तिवारी का कहना है कि अब तक चुन-चुन कर जब दलितों, पिछड़ों और मुसलमानों की मुठभेड़ के नाम पर फर्जी हत्याएं हो रही थी तो योगी जी की वह सरकार ठीक काम कर रही थी, क्योंकि उन्हें लगता था कि वे सारे अपराधी हैं, आतंकवादी हैं, देशद्रोही हैं क्योंकि वे सब पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक समुदाय से आते थे। और चूंकि वह ब्राह्मण हैं इसलिए श्रेष्ठ हैं। लेकिन पति की हत्या के बाद उन्हें लगा कि पुलिस ने ‘पहली बार’ एक निरपराध की हत्या कर दी है ! हत्या किसी की भी हो और जिस भी परिस्थिति में हो, गलत है और कल्पना जी के पति की हत्या तो सचमुच बहुत ही भयानक है। इसलिए उसकी निंदा तो करनी ही चाहिए लेकिन हर हत्या का इतनी ही कठोरता से विरोध करना चाहिए।

जबकि आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनते ही कहा था, ‘अपराधी या तो जेल में डाल दिए जाएँगे या फिर ठोंक दिए जाएंगे।’ मुख्यमंत्री के इस बयान पर सुप्रीम कोर्ट में पीयूसीएल के वकील संजय पारिख का कहना है, ‘ऐसी भाषा अपराध को कम करने की बजाय पुलिस को किसी की जान ले लेने की खुली छूट देना होता है।’

विवेक तिवारी की हुई हत्या पर टी. वी. चैनलों ने हंगामा मचा रखा है जबकि योगी के लगभग देढ़ साल के कार्यकाल में हुई दर्जनों हत्याओं को किसी टीवी चैनलवालों ने गंभीरता से नहीं लिया। आज स्थिति इतनी भयावह हो गई है कि एप्पल जैसी मल्टीनेशनल कंपनी में काम करनेवाले शख्स -जो महिन्द्रा की XUV500 पर अपनी एक सहकर्मी के साथ सवार थे, की गोली मारकर हत्या कर दी गई।

और उत्तर प्रदेश के अपर पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था आनंद कुमार की बेहयाई देखिए, जब वह कहते हैं, ‘पुलिस ने इसे हत्‍या का मामला मानते हुए केस दर्ज किया है और दो सिपाहियों को गिरफ़्तार कर लिया है।’ क्या आनन्द कुमार को इस बात की जानकारी नहीं है कि इस तरह की सारी हत्याएं मुख्यमंत्री के उस बयान के बाद शुरू हुई हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि अपराधी या तो जेल में डाल दिए जाएंगे या फिर ठोंक दिए जाएंगे! अर्थात उत्तर प्रदेश पुलिस ने इतने फर्जी मठभेड़ किए हैं कि संपन्न, सवर्ण, बड़ी लक्जरी एसयूवी में बैठे मध्यमवर्ग के आदमी को गोली मार दे रही है!

अगर हर हत्या का विरोध नहीं होगा तो थोड़े दिनों के बाद कौन बचेगा और कौन मारा जाएगा वह हम पर -आप पर नहीं बल्कि जिसके हाथ में बंदूक है, वह तय करेगा और हममें से कोई नहीं बचेगा। इसलिए कीड़े-मकौड़े में तब्दील होने से बेहतर है कि न्याय के साथ खड़े हों, हर समय, हर गलत का विरोध करें! श्रद्धालु और भक्त न बनें वर्ना स्थिति स्कैयर्ड गेम्स के उस मशहूर डायलॉग जैसी हो जाएगी जिसमें कहा जाता है, ‘सब मारे जाएगें, सिर्फ त्रिवेदी बचेगा’। और यहां के हालात तो और बदतर हो सकते हैं-शायद त्रिवेदी भी न बचे!

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