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संविधान सम्मान यात्रा का देहरादून और मसूरी में स्वागत, सभा

देहरादून. जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय (एनएपीएम) द्वारा शुरू की गई संविधान सम्मान यात्रा 7 दिसम्बर को देहरादून और इसके बाद मसूरी पहुंची.
यात्रियों का जोरदार स्वागत देहरादून के शहीद स्मारक कचहरी पर हुआ। जन गीत मंच के साथियों ने गीत गाए और सभी ने शहीदों की चिताओं पर पुष्प अर्पित किए। इस मौके पर उत्तराखंड आंदोलन की अनेक साथी भी मौजूद थे.
अग्रवाल धर्मशाला में संविधान सम्मान देश और उत्तराखंड सम्मेलन की शुरुआत करते हुए मीरा संघमित्रा ने यत्र की पूरे अनुभवों को साझा किया.
इसके बाद उत्तराखंड संघर्ष शहीद स्मृति स्थल मसूरी में श्रद्धांजलि और छोटी सभा हुई. भूपेंद्र रावत ने कहा कि यात्रा सुदूर केरल से लेकर राजस्थान के तप्त इलाकों से लेकर अब हिमाचल और उत्तराखंड के ठंडे इलाकों में चल रही है मगर पूरे देश की ताकत साथ जुड़ती जा रही है.
 मेघ सिंह खंडूरी ने कहा संविधान की बचाने की बात बड़ी है हमारे लिए यह नई चेतना है। बीलू बाल्मीकि ने नेताओं पर तंज कसते हुए कहा कि उन्हें मालूम ही नहीं संघर्ष होता क्या है। ऐसे नेताओं से मुक्ति पाकर बाबा साहब के रास्ते पर आगे बढ़ना होगा।  हम दलित आज भी पीड़ित ही हैं।
उत्तराखंड किसान सभा के गंगाधर नौटियाल जी ने कहा कहा कि आरएसएस का आजादी के आंदोलन में कोई योगदान नहीं था। उन्होंने गांधीजी को भी मार दिया। संविधान के मूल्य ही नहीं संविधान के महत्वपूर्ण संस्थानों को यह सरकार समाप्त कर रही है. आज बार काउंसिल, मेडिकल काउंसिल का कोई अर्थ नहीं रह गया है.
महिला मंच की कमला पंत ने कहा उत्तराखंड के महिलाओं की हमेशा दबंग छवि रही जिसका प्रतीक चिपको आंदोलन है। उन्होंने उत्तराखंड में पूरी भागीदारी दी। लेकिन राज्य बनने के बाद सिर्फ दुर्भाग्य ही आई है. पानी भी दूर चला गया और जंगल भी चले गये। पहाड़ों की महिलाएं शहर में आकर बर्तन मांज रही है. यह सब हमारी राजनीति का अंजाम है। टिहरी बांध से उत्तराखंड को कोई फायदा नहीं हुआ लेकिन आज फिर पंचेश्वर बांध बनाया जा रहा है, लोगों के खिलाफ नीतियां बनाई जा रही है. महिलाएं जानती हैं कि क्या नीतियां बननी चाहिए, नीतियां ग्राम सभा को ही बनाना चाहिए, ना कि राज्य या केंद्र सरकार.
हिम धारा से मानसी ने कहा की हम वन पंचायत का मजबूतीकरण कर रहे थे. उत्तराखंड बनते ही वन विभाग की घुसबेठ शुरू हो गई. हाल ही में पंचेश्वर के संघर्ष के लिए यात्रा करते हुए देखा कि चीजें बद से बदतर हो गई है. 1,50,000 MW की जल विद्युत परियोजना हिमाचल, उत्तराखंड और अरूणाचल में योजनाबद्ध है. कोई नदी-नाला नहीं छोड़ा. उस में भूस्खलन अलग से। पानी सूख रहा है जो दिक्कतें हमें उत्तराखंड में आज दिख रही हैं, वे हिमाचल में बहुत पहले से चल रही हैं। हिमाचल प्रदेश 50,000 करोड़ की त्रृण में है. सात पर्यावरण के कानूनों को मोदी सरकार ने रद्द कर दिया है. बांध बढ़ रहे हैं लेकिन राजस्व कम होता जा रहा है. बिजली महंगी 6 रूपया प्रति जबकि कोयले और सोलर से बिजली सस्ती आती है।
उन्होंने कहा कि यह किसका विकास हो रहा है?  ठेकेदारों का, सीमेंट कंपनियों का,  स्टील कंपनी, जेसीबी कंपनी का ? हमें इस की राजनीति विश्व स्तर पर देखनी होगी। जब ये पूंजीवाद हमें नौकरियां नहीं दे पा रहा है, तो हमें जाति और धर्म के नाम पर तोड़ा जा रहा है।
माटू जन संगठन के विमल भाई ने कहा कि आजतक जितने भी बांध बने हैं उनमें से कितनों में पुनर्वास हुआ है ? सरकार को चुनौती है किसी भी बांध में आकर सामने इन बातों का जवाब दे। 2004 में जब जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय ने  “देश बनाओ देश बचाओ” यात्रा निकाली थी तो हम टिहरी शहर पहुंचे थे, जो कि डूबने के कगार पर था। वो वहां का आखिरी आयोजन था। जिसमें पर्यावरण पर्यावरण विद सुंदरलाल बहुगुणा पुनर्वास की लडाई लड़ने वाले शहर बचे हुए लोग थे। ग्राम सभा की बात करते समय हम एससी एसटी कमीशन के पहले अध्यक्ष बी0  डी0 शर्मा जी को याद करेंगे। जो आदिवासी ना होकर के भी देश के आदिवासियों में उनके नेता माने जाते हैं। वे आजीवन आदिवासी किसानों के लिए संघर्षरत रहे।
उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष पी सी तिवारी ने कहा  उत्तराखंड संघर्ष से बना राज्य है। 44 शहादतें हुई। 2 अक्टूबर को मुजफ्फरनगर कांड हुआ अभी तक न्याय क्यों नहीं? बाहर के लोग भी अब ज्यादा जमीन खरीद सकते है। जबकि 79% लोग भूमिहीन हैं। सरकार बड़े बड़े ठेके माफियाओं के साथ है। नैनिसार गांव में मुख्यमंत्री ने जिंदल को गैर कानूनी रूप से कब्जा दे दिया। संघर्ष करने वाले लोगों पर झूठे मुकदमे लगाया और गुंडों से पिटवाया। कल ये लोग शराब को भी गंगाजल बना देंगे।
जनवादी महिला समिति की इंदु नौडियाल ने कहा कि पहाड़ स्त्रियां आकर शहर में बर्तन मांजने घरों में पोछा लगा रही है बिना न्यूनतम मजदूरी के महिलाओं ने उत्तराखंड आंदोलन किया और आज वही भिखारी बनी बैठी है।
कांग्रेस की पूर्व राज्य अध्यक्ष श्री किशोर उपाध्याय सम्मेलन में भागीदारी करते हुए कहा कि 72% जंगल है उत्तराखंड में जिस परिवहन विभाग का कब्जा है लोगों को जंगल के अधिकार दो।  माफिया अरबपति बन गए, लोग गरीब रह गए हैं।
लोक विज्ञान केंद्र के रवि चोपड़ा ने कहा राम और कृष्ण को हमने छोड़ा तो उन्होंने कब्जा कर लिया. यह हत्यारी सरकार है. स्वामी सानंद की हत्या करके अब गंगा पर आगामी सत्र में गंगा पर बिल ला रही है.  जल मार्ग और सबरीमाला के लिए पैसा कहां से आ रहा है यह सब मंडी का का पैसा है गरीब को लूट कर बड़ी कंपनी और अमीरों को दिया जा रहा है.
सभा में मैग्सेसे अवार्ड विजेता  प्रफुल्ला सामंत्र ने कहा कॉरपोरेट लूट में तेजी आई है. हमारी संघर्षों के सामने नई चुनौतियां खड़ी है और यह सरकार गाय गोबर में लपेट कर देश को हिंदू मुसलमान में बांट रही है. आज का आवाहन एकता का है, संघर्ष का है, जीत हमारी होगी ।
उत्तराखंड के वामपंथी वरिष्ठ समाज कर्मी बची राम कंसवाल ने कहा जो लोग आज ऐसे दौर में भी कमर कस के लोगों के हित में और सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ खड़े हैं वह बधाई के पात्र हैं और भविष्य की आशा है। सभा का समापन संविधान संकल्प के साथ हुआ.

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