इन्द्रेश मैखुरी
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल के ब्रिटिश राष्ट्रीयता वाले पुत्र विवेक डोवल ने अपने खिलाफ कारवां पत्रिका में छपे लेख के मामले में दिल्ली की एक अदालत में आपराधिक मानहानि का दावा किया है.अदालत ने इस मामले में सुनवाई के लिए 30 जनवरी की तिथि निर्धारित की है.
पत्रिका में क्या लिखा है, यह सार्वजनिक हो चुका है. जो नहीं जानते,वे अङ्ग्रेज़ी या हिन्दी,किसी भी भाषा में उसे पढ़ सकते हैं. लेख का लब्बोलुआब कुल जमा यह है कि विवेक डोवल, टैक्स हैवेन कहे जाने वाले केमन आइलेंड से हेज फंड चला रहे हैं. केमेन आइलेंड चूंकि काले पैसे के स्वर्ग कहे जाते हैं,इसलिए यहाँ से होने वाली व्यापारिक गतिविधि संदिग्ध मानी जाती है.
विवेक डोवल ने इस लेख के खिलाफ ही आपराधिक मानहानि का वाद दाखिल किया है.
लेकिन सवाल यह है कि उन पर प्रश्न क्यूँ उठाए जा रहे हैं ? इसका सीधा जवाब है कि वे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल के पुत्र हैं. उनकी व्यापारिक गतिविधि यदि संदिग्ध प्रकृति की है तो वह निश्चित ही गंभीर मामला है.
मानहानि का जो दावा विवेक डोवल ने किया है,उसमें वे अपने व्यापार और अपने साझीदारों का व्यापक बचाव करते हैं. अपने पूरे बायोडेटा का विवरण उन्होने अपने दावे में दिया है. अपना बचाव करने का सभी को हक है,इसमें कुछ भी असंगत नहीं है.
लेकिन सवाल तो वहाँ से खड़े होते हैं,जहां से विवेक अपने वाद में न केवल अपने व्यापार का बचाव करते हैं,बल्कि केमन आइलेंड की भी तारीफ करते हैं.वे पैराडाइज़ पेपर और पनामा पेपर में नाम आने की बात को भी गंभीर नहीं समझते. अपने वाद में विवेक के तर्कों को पढ़ कर लगता है कि उनके तर्क यदि सबसे पहले किसी के खिलाफ खड़े हैं तो उनके पिता अजित डोवल के तर्कों के खिलाफ ही खड़े हैं.
अपने वाद में उन्होंने कहा कि केमन आइलेंड तो हेज फंड के सर्वाधिक लोकप्रिय गंतव्य हैं. कम से कम 11000 हेज फंड वहाँ अधिसूचित हैं,जो कि कुल हेज फंड इंडस्ट्री का 60 प्रतिशत हैं. साथ ही वे जोड़ते हैं कि हेज फंड स्थापित करने के लिहाज से केमन आइलेंड तुलनात्म्क रूप से सस्ता और सक्षम स्थल था.
एक व्यापारिक व्यक्ति के लिए ये तर्क पर्याप्त हो सकते हैं. लेकिन विवेक सिर्फ व्यापारिक व्यक्ति नहीं हैं,वे अजित डोवल के पुत्र हैं. वही अजित डोवल जो केमेन आइलेंड जैसे टैक्स हैवेन कहे जाने वाले स्थलों के प्रति अब तक काफी कठोर रुख प्रदर्शित करते रहे हैं.
31 जनवरी 2011 को भाजपा द्वारा बनाए टास्क फोर्स ने – “Indian Black Money Abroad In Secret Banks and Tax Havens Second Report Of The Task Force on the steps to be taken by India”,शीर्षक वाली रिपोर्ट जारी की. यह रिपोर्ट चार लोगों द्वारा लिखी गयी. अजित डोवल,इसमें दूसरे नंबर के हस्ताक्षरकर्ता हैं. 95 पृष्ठों की यह रिपोर्ट काले धन और टैक्स हैवेंस पर कठोर कार्यवाही की वकालत करती है.
विवेक डोवल अपने वाद में कहते हैं कि केमन आइलेंड में हेजफंड स्थापित करने मात्र से तो वह अवैध नहीं हो जाता. लेकिन अजित डोवल वाली रिपोर्ट कहती है कि वैश्विक भूगोल के लिहाज से ये टैक्स हैवेंस आम तौर पर बहुत छोटे हैं पर ये पूरी दुनिया को बंधक बनाए हुए हैं.
विवेक डोवल टैक्स हैवेंस में व्यापार स्थापित करने को सामान्य बात बता रहे हैं. लेकिन अजित डोवल 2011 वाली उपरोक्त रिपोर्ट के बिन्दु संख्या 3 में कह रहे हैं कि स्विट्ज़रलैंड और अन्य टैक्स हैवेंस की यात्रा करने वालों के संदर्भ में सूचना एकत्र की जानी चाहिए. इसकी शुरुआत कैबिनेट मंत्रियों और अन्य हाई प्रोफ़ाइल राजनीतिक व्यक्तियों से की जानी चाहिए. इस रिपोर्ट में तो जिन टैक्स हैवेंस से भारत में ज्यादा लेनदेन होता है,उन पर भी नजर रखने की सिफ़ारिश की गयी है.
विवेक डोवल कह रहे हैं कि केमन आइलेंड तो हेज फंड के सर्वाधिक लोकप्रिय गंतव्य हैं. अजित डोवल के हस्ताक्षरों वाली रिपोर्ट के बिन्दु संख्या 85 में कहा गया है कि भारत को टैक्स हैवेंस और गोपनीय बैंकिंग स्थलों के खिलाफ चलने वाले वैश्विक प्रयासों में शामिल होना चाहिए.
विवेक डोवल तो पाराडाईज़ पेपर और पनामा पेपर में नाम आने को भी सामान्य करार दे रहे हैं. लेकिन सब जानते हैं कि ये दुनिया में काला धन छुपाने वालों की संपत्ति के दस्तावेज़ हैं. इनमें नाम आना मामूली बात नहीं है बल्कि जिनका नाम इन दस्तावेजों में है,वे काले धन के मालिक लोग हैं. उनके साथ व्यापार करना या इन्हें अपना पार्टनर बनाना,निश्चित तौर पर काले धन वालों को सहयोगी बनना है और यह संदेह का सबब तो है ही.
अजित डोवल वाली टास्क फोर्स ने अपनी रिपोर्ट के बिन्दु संख्या 80 में लिखा कि यह उनका सुझाव है कि नेताओं और राजनीतिक पार्टियों के पदाधिकारियों को,मंत्रियों और सांसदों को यह घोषणा करनी चाहिए कि उनकी या उनके परिजनों की या तो कोई संपत्ति विदेश में नहीं है या फिर उन्हें यह बताना चाहिए कि उन्होंने यह कैसे अर्जित की. इसके साथ ही उन्हें यह पत्र भी सरकार को देना चाहिए,जिसमें वे सरकार को अधिकृत करें कि सरकार, दुनिया के किसी देश या बैंक से उनके द्वारा या उनके पुत्र-पुत्रियों द्वारा रखे गए धन का ब्यौरा हासिल कर सके.
क्या ब्रिटिश राष्ट्रीयता वाले अपने पुत्र के मामले में अजित डोवल को अपनी ही लिखी इन पंक्तियों पर गौर नहीं करना चाहिए?
मानहानि का दावा हुआ है. अदालत में चलेगा. हालांकि बीते कुछ सालों में जय शाह से लेकर अंबानी तक अपने खिलाफ खबर छापने वालों पर मानहानि का दावा करना भी एक सामान्य चलन हो चुका है.इसमें गौरतलब सिर्फ इतना ही है कि लिख देने मात्र से यदि कोई अपराधी सिद्ध नहीं हो जाता तो मानहानि का दावा मात्र करने से कोई निर्दोष और विजेता भी नहीं हो जाता.
अजित डोवल और उनके पक्ष में भावनात्मक अभिव्यक्ति करने वालों के लिए डोवल साहब की ही रिपोर्ट का अङ्ग्रेज़ी मुहावरा समर्पित है. उक्त रिपोर्ट के बिन्दु संख्या 80 में इस मुहावरे का उल्लेख किया गया है, “if the salt loses its saltiness wherewith shall it be salted”, यानि नमक अपना नमकपना(खारापन) छोड़ देगा तो फिर वह किस से नमकीन होगा !
तो भाई, बताओ तो कोई नमक में नमकपना था भी या सारी सफेदी दिखावटी थी ?