गर्दनीबाग विस्थापन के सवाल पर संघर्ष जारी रखने का संकल्प
भाजपा-नीतीश सरकार बिहार में चला रही गरीब उजाड़ो अभियान: धीरेन्द्र झा
पटना. गर्दनीबाग झुग्गीवासियों को बिना वैकल्पिक व्यवस्था किए सरकार द्वारा उजाड़ने के विरोध में ‘ गर्दनीबाग झुग्गी-झोपड़ी बचाओ -पर्यावरण बचाओ ’ और भाकपा-माले पटना नगर कमिटी के संयुक्त तत्वावधान में 24 जुलाई से जारी अनशन 25 जुलाई की शाम को समाप्त हो गया.
गर्दनीबाग से भूमिहीनों, गरीबों और दुकानदारों को नीतीश सरकार बिना वैकल्पिक व्यवस्था किए उजाड़ रही है. हाइकोर्ट के निर्देश का सरकार खुल्लम खुला उल्लंघन कर रही है. ये गरीब लंबे समय से इस जमीन पर बसे हैं. इसके खिलाफ माले नेता मुर्तजा अली, ऐपवा की स्थानीय नेता राधा देवी, ललिता देवी, सरस्वती देवी, हेमंती देवी और आइसा के नेता आकाश कश्यप व बाबू साहेब के नेतृत्व में 24-25 जुलाई को अनशन किया गया.
बिहार सरकार द्वारा हाल ही में 278 एकड़ भूखंड में फैले इस क्षेत्र में विभिन्न श्रेणी के सरकारी अधिकारियों/कर्मियों के लिए आवास उपलब्ध कराने का निर्णय किया है. इसमें स्कूल, कब्रिस्तान, गिरिजाघर, जल मीनार, मस्जिद, तालाब आदि से संबंधित 63.25 एकड़ जमीन को अक्षुण्ण रखते हुए शेष जमीन को सरकार हस्तगत कर रही है. इसमें बरसों से रह रहे भूमिहीन-गरीबों के लिए सरकार ने किसी भी प्रकार की राहत प्रदान नहीं की है. सरकार के इस निर्देश का अनुपालन करते हुए प्रशासन ने गरीबों की झोपड़ियां ढाहनी शुरू कर दी हैं. गर्मी और अब बारिश में हजारों परिवार पेड़ के नीचे अपना जीवन गुजर बसर कर रहे हैं. उनके पास अन्यत्र न तो कोई जमीन है और न ही किराये के मकान में वे रह सकते हैं. बिजली व पानी सप्लाई भी बाधित कर दी गई है.
अनशन के दुसरे दिन भाकपा-माले पोलित ब्यूरो के सदस्य धीरेन्द्र झा, विधायक सुदामा प्रसाद और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने जूस पिलाकर अनशन समाप्त करवाया. इस मौके पर पार्टी की केंद्रीय कमिटी की सदस्य सरोज चौबे, शशि यादव, पटना नगर के सचिव अभ्युदय, राज्य कमिटी के सदस्य रणविजय कुमार, समता राय सहित सैकड़ों की तादाद में दलित-गरीब उपस्थित थे.
भाकपा-माले के पोलित ब्यूरो सदस्य धीरेन्द्र झा ने इस मौके पर कहा कि बिहार की भाजपा-नीतीश सरकार राज्य में गरीब उजाड़ो अभियान चला रही है. अब पटना शहर में भी गर्दनीबाग झुग्गीवासियों को बिना वैकल्पिक व्यवस्था किए सरकार उजाड़ने में लगी है. इस सवाल पर जब भाकपा-माले का प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से मिला तो उन्होंने कहा कि आप लोग इस मामले को ज्यादा तूल मत दें. मुख्यमंत्री का यह बयान घोर निंदनीय है. भाजपा-नीतीश राज में अब शहरों में दलितों व गरीबों के लिए कोई जगह नहीं हैं. स्मार्ट सिटी अब केवल अमीरों के लिए बन रहा है. सरकार की इस मंशा को हम कभी पूरा नहीं होने देंगे.
श्री झा ने कहा कि बिहार सरकार द्वारा हाल ही में 278 एकड़ भूखंड में फैले इस क्षेत्र में विभिन्न श्रेणी के सरकारी अधिकारियों/कर्मियों के लिए आवास उपलब्ध कराने का निर्णय किया है. इसमें स्कूल, कब्रिस्तान, गिरिजाघर, जल मीनार, मस्जिद, तालाब आदि से संबंधित 63.25 एकड़ जमीन को अक्षुण्ण रखते हुए शेष जमीन को सरकार हस्तगत कर रही है. इसमें बरसों से रह रहे भूमिहीन-गरीबों के लिए सरकार ने किसी भी प्रकार की राहत प्रदान नहीं की है. सरकार के इस निर्देश का अनुपालन करते हुए प्रशासन ने गरीबों की झोपड़ियां ढाहनी शुरू कर दी हैं. गर्मी और अब बारिश में हजारों परिवार पेड़ के नीचे अपना जीवन गुजर बसर कर रहे हैं. उनके पास अन्यत्र न तो कोई जमीन है और न ही किराये के मकान में वे रह सकते हैं. बिजली व पानी सप्लाई भी बाधित कर दी गई है.
उन्होंने कहा कि गर्दनीबाग का इलाका पटना नगर निगम के तहत आने वाला पुराने इलाकों में एक है. बिहार के अलग राज्य बनने और राजकाज के संचालन हेतु इसी इलाके में पदाधिकारियों व कर्मचारियों के लिए आवास बनाए गए थे. इस जमीन के छोटे भूखंड पर लगभग 50 वर्षों से उन्हीं कर्मचारियों के परिवार व कुछ अन्य गरीब झोपड़ियां बना कर निवास कर रहे हैं. उनके पास अन्यत्र कहीं कोई दूसरी जमीन नहीं है. ये हजारों गरीब परिवार किसी प्रकार अपना जीवन निर्वाह भर कर पा रहे हैं. उन्होंने नीतीश कुमार से पूछा कि क्या गरीबों के प्रदेश में गरीबों को ही रहने का हक नहीं है. उन्होंने गरीबों की महाएकता की जरूरत पर जोर दिया और गर्दनीबाग में गरीबों और वृक्षों को बचाने के लिए संघर्ष को आगे बढ़ाने का आह्वान किया.
विधायक सुदामा प्रसाद ने कहा कि यह कैसा मजाक है कि आदमियों को तो सरकार उजाड़ रही है लेकिन कब्रिस्तान, स्कूल, गिरिजाघर, पानी टंकी आदि के लिए जमीन छोड़ रही है. सवाल यह है कि यदि उक्त जमीन पर आदमी ही नहीं रहेंगे तो ये चीजें फिर किस काम की हैं. उन्होंने कहा कि हमें इस बात से कोई ऐतराज नहीं कि सरकार अपने पदाधिकारियों व कर्मचारियों के लिए गर्दनीबाग के इस भूखंड पर आवास बनाए लेकिन नीतीश कुमार को इसका जवाब देना होगा कि उनके इस तथाकथित स्मार्ट सिटी में दलित-गरीबों-भूमिहीनों के लिए कोई जगह होगी कि नहीं ? उन्होंने कहा कि यदि सरकार स्थानीय लोगों की मांगों पर कार्रवाई नहीं करती है तो हमारी पार्टी इस विषय पर धारावाहिक आंदोलन चलाएगी.