नई दिल्ली। साउथ एशिया पीजेंट फेडरेशन (एस ए पी एफ) ने 28 मार्च को काठमांडू में राजशाही समर्थक ताकतों द्वारा की गई हिंसा और लूटपाट की कड़ी निंदा करते हुए नेपाली जनता और ख़ासकर नेपाल के किसानों – मजदूरों, बुद्धिजीवियों, व्यवसायियों से नेपाल में लोकतंत्र की रक्षा के लिए एकजुट होने की अपील की है।
एस ए पी एफ ने जारी बयान में कहा कि राजशाही के दौर में सामंती शोषण और दमन के खिलाफ दशकों तक चले संघर्ष के बाद नेपाली जनता ने राजशाही को उखाड़ कर लोकतंत्र की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। नेपाल के मजदूर किसानों के प्रतिनिधि कम्युनिस्ट संगठन नेपाल में लोकतंत्र स्थापना के संघर्ष में सबसे आगे रहे हैं। लोकतंत्र स्थापना के बाद नेपाली समाज आगे बढ़ा है और नेपाल के मजदूर किसानों का नेपाल की सरकार के गठन में राजनितिक भूमिका बढ़ी है।
नेपाली मजदूर किसानों की इस बढ़ी राजनितिक भूमिका से नेपाल की सामंती ताकतें और दलाल पूजीपति वर्ग घबराया हुआ है. इसी लिए उसके साथ मिल कर दुनिया की साम्राज्यवादी और विस्तारवादी दक्षिणपंथ की ताकतें नेपाल में लोकतंत्र को पलटने के प्रयास में लगी हैं।
जरूर नेपाल में कम्युनिस्टों के बीच बिखराव और खींचातान ने लोकतंत्र की नींव को मजबूत करने वाले देश के किसानों मजदूरों को कुछ निराश भी किया है. नेपाल में राजशाही समर्थक ताकतों को मजदूर किसानों में बढ़ रही इसी निराशा का फायदा मिल रहा है। कुछ समय से अपदस्थ राजा की राजनीतिक गतिविधियां और 28 मार्च को काठमांडू में हुई हिंसा व लूटपाट इसी निराशा से पैदा माहौल का नतीजा है।
साउथ एशिया पीजेंट फेडरेशन नेपाली किसान, मजदूर, बुद्धिजीवी, व्यवसायी और वहां की तमाम वामपंथी, प्रगतिशील ताकतों से एक होकर नेपाली लोकतंत्र के पक्ष में मजबूती से खड़े होने की अपील करता है।