समकालीन जनमत

Tag : गुलमोहर

साहित्य-संस्कृति

खनकने लगी हैं गुल की मोहरें

पीयूष कुमार फिर से दिन आ गए खिल के खिलखिलाते गुलमोहर के। वसंत की अगवानी में सेमल और पलाश की ललाई कम हो गयी थी...
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