कविता मुमताज़ सत्ता की चालाकियों को अपनी शायरी में बड़े सलीके से बेनक़ाब करते हैंसमकालीन जनमतSeptember 20, 2020September 20, 2020 by समकालीन जनमतSeptember 20, 2020September 20, 202002159 संविधान के पन्नों में तंबाकू विल्स की भर-भर के संसद की वो चढ़ें अटरिया, जै जै सीता-जै जै राम ये एक ऐसे शायर का शे’र...