जनमतपुस्तक ‘बैठकर काशी में अपना भूला काशाना’ : मिर्ज़ा ग़ालिबसमकालीन जनमतJuly 16, 2019July 16, 2019 by समकालीन जनमतJuly 16, 2019July 16, 20194 1749 कुमार मुकुल ‘चिराग़-ए-दैर (मंदिर का दीया)’ मिर्ज़ा ग़ालिब की बनारस पर केंद्रित कविताओं का संकलन है जिसका मूल फारसी से सादिक ने अनुवाद किया है। चिराग़-ए-दैर की...
साहित्य-संस्कृतिस्मृति मिर्जा ग़ालिब और उनका ‘ चिराग-ए-दयार ’समकालीन जनमतDecember 28, 2018 by समकालीन जनमतDecember 28, 20183 3072 अभिषेक मिश्र “ हैं और भी दुनिया में सुख़नवर बहुत अच्छे कहते हैं कि ग़ालिब का है अन्दाज़-ए बयां और” मिर्जा ग़ालिब अथवा मिर्ज़ा असदउल्ला बेग...