कहानी अल्पना मिश्र की कहानी : स्याही में सुर्खाब के पंखसमकालीन जनमतApril 29, 2018April 29, 2018 by समकालीन जनमतApril 29, 2018April 29, 201803852 जनतंत्र में 'जन' को नकार कर या पूरी तरह नियंत्रित मान लेना सही आकलन नहीं होगा, क्योंकि 'जन ' में अभी भी असहमति का साहस...