समकालीन जनमत

Tag : फैज़

ख़बरज़ेर-ए-बहस

वाह फ़ैज़ प्यारे , थरथरा रहे हैं हुक्मरां सुन कर गीत तुम्हारे !

इन्द्रेश मैखुरी
वाह फ़ैज़ साहब,क्या कहने आपके. आपकी शायरी,आपकी नज़्में क्या तूफान मचाये हुए हैं. उत्तर प्रदेश में एक ऐसे बुजुर्ग को शांति भंग का नोटिस दिया...
ख़बरजनमत

फै़ज़ को क्यों और कैसे पढे़ ?

प्रणय कृष्ण
उर्दू काव्यशास्त्र में मज़मून (कंटेंट) और मानी (मीनिंग) में फर्क किया गया है। इसे समझने के लिए हमें ‘गुबारे- अय्याम’ में संकलित ‘तराना-2’ (1982) सुनना/पढ़ना...
जनमत

यह सब हमारे ही समयों में होना था

समकालीन जनमत
मोनीजा हाशमी इस सम्मेलन में महिला सशक्तिकरण के मुद्दे पर अपनी बात रखने वाली थीं. ऐसे समय में जब बलात्‍कारों की सुर्खियां भारत की छवि...
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