समकालीन जनमत

Tag : आदर्श भूषण

कविता

आदर्श भूषण की कविताएँ युवा पीढ़ी की बेकली की अभिव्‍यक्ति हैं

समकालीन जनमत
कुमार मुकुल लोहा पकड़कर लोहा बनने और कपास छूकर कपास हो जाने की अनुवांशिक अक्लमंदी से भरे हाथ रगड़ खाते हुए भी बचे रहते हैं...
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