कविता किसने आखिर ऐसा समाज रच डाला हैसुधीर सुमनAugust 10, 2021August 11, 2021 by सुधीर सुमनAugust 10, 2021August 11, 20210748 सुधीर सुमन “नहीं निकली नदी कोई पिछले चार-पाँच सौ साल से/ एकाध ज्वालामुखी ज़रूर फूटते दिखाई दे जाते हैं/ कभी कभार/ बाढ़ें तो आईं ख़ैर...