कविताजनमत वीरेनियत 4: सन्नाटा छा जाए जब मैं कविता सुनाकर उठूँसमकालीन जनमतNovember 4, 2019November 4, 2019 by समकालीन जनमतNovember 4, 2019November 4, 201911350 पंकज चतुर्वेदी ‘वीरेनियत-4’ के अन्तर्गत इंडिया हैबिटेट सेण्टर, नयी दिल्ली में शुभा जी का कविता-पाठ सुना। उनकी कविताएँ समकालीन परिस्थितियों से उपजे इतने गहन तनाव...
कविताजनमत वीरेनियत 4: अनसुनी पर ज़रूरी आवाज़ों का मंचसमकालीन जनमतNovember 3, 2019November 3, 2019 by समकालीन जनमतNovember 3, 2019November 3, 201911972 अदनान कफ़ील ‘दरवेश’ कल ‘वीरेनियत’ के चौथे संस्करण में जाने का मौक़ा मिला। दिल्ली की आब-ओ-हवा में इस वक़्त ज़हर की तासीर घुली हुई है।कुहेलिका...
कविताजनमत वीरेनियत 4: जहाँ कविता के बाद का गहन सन्नाटा बजने लगासमकालीन जनमतNovember 3, 2019November 3, 2019 by समकालीन जनमतNovember 3, 2019November 3, 201912030 आशुतोष कुमार दिन वैसे अच्छा नहीं था। दिल्ली आसपास का दम काले धुंए में घुट रहा था। छुट्टियों के कारण बहुत से दोस्त शहर से...