राष्ट्रीय कन्वेंशन में जंतर मंतर पर जुटे देश भर के सफाई कर्मचारी
नई दिल्ली. जंतर मंतर पर 16 नवम्बर को देश भर के सफाई कर्मचारियों ने राष्ट्रीय कन्वेंशन का आयोजन किया. इसमें बिहार, कर्नाटक, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली सहित अन्य राज्यों से सफाई कर्मचारियों ने भागीदारी की. सफाई कर्मचारियों के अलावा भकपा (माले) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य, एपवा की राष्ट्रीय सचिव कविता कृष्णन जैसे नेताओं ने भी सफाई कर्मचारियों की मांग का समर्थन करते हुए कन्वेंशन में भागीदारी की.
प्रख्यात पत्रकार भाषा सिंह ने भी कन्वेंशन में अपनी बार रखी. एक्टू की जेएनयू इकाई की अध्यक्ष उर्मिला चहान, बीबीएमपी गुतिग पोउराकर्मिकार संघ एक्टू की महासचिव निर्मला, अंगुल जिला सफाई कर्मचारी संघ (एक्टू) के मिथुन जेना, ऑल इंडिया म्युनिसिपल वर्कर्स फेडरेशन (एक्टू) के अध्यक्ष श्याम लाल, ऑल इंडिया म्युनिसिपल वर्कर्स फेडरेशन (एक्टू) के छत्तीसगढ़ के नेता मनोज कोसरी, पुणे महानगर पालिका कामगार यूनियन के अध्यक्ष उदय भट्ट कन्वेंशन के मुख्य वक्ता थे.
उर्मिला एक्टू जेएनयू की अध्यक्ष है और खुद भी सफाई कर्मचारी है. उन्होंने कहा कि जेएनयू में 2014 में यूनियन के बैनर से हमने लंबा संघर्ष चलाया ताकि किसी सफाई कर्मचारी को सीवर में न उतरना पड़े और जानवरों की लाशें न उठानी पड़ें. लेकिन जेएनयू में हमारे साथ काम करने वाले लोगों में से तीन लोगों की मौत सफाई का काम करने के दौरान हुई बीमारियों के कारण हो गई. हमारी लड़ाई जारी है और सफाई कर्मचारियों के सम्मान व अधिकार की लड़ाई चलती रहेगी.
बीबीएमपी गुतिग पोउराकर्मिकार संघ एक्टू की महासचिव निर्मला ने कहा कि कर्नाटक में 15 साल की लंबी लड़ाई के बाद ठेकेदारों के जरिये सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति समाप्त हुई. ठेकेदार महिला सफाई कर्मचारियों का यौन शोषण भी करते थे. हमारे आंदोलन के बाद नगर निगम सफाई कर्मचारियों की सीधी भर्ती करने लगा है. लेकिन आज भी सफाई कर्मचारियों को जाति के कारण भेदभाव झेलना पड़ता है. सामाजिक सम्मान के लिए हमारी लड़ाई जारी है.
प्रख्यात पत्रकार भाषा सिंह ने सफाई कर्मचारी आंदोलन की तरफ से बोलते हुए कहा कि मै सफाई कर्मचारियों के मुद्दों और उनकी मांगों को सामने लाने और इस कन्वेंशन के जरिये इन्हें राजनीतिक मुद्दा बनाने के लिए मैं एक्टू को बधाई देती हूं. आज लगभग हर दिन सीवरों और गड्ढों में सफाई कर्मचारियों की मौत हो रही है लेकिन इन मौतों को रोकने की कोई योजना न तो केन्द्र सरकार के पास है और न ही किसी राज्य सरकार के पास.
एक्टू के राष्ट्रीय महासचिव राजीव डिमरी ने कहा कि पूरे देश के सफाई कर्मचारियों की बातों से साफ है कि स्वच्छ भारत अभियान एक ढोंग है और सरकार की बाकी योजनाओं की तरह केवल जुमला है. मोदी ने हर दिन सीवरों में हो रही मौतों के बारे में एक शब्द नहीं कहा है. यह सरकार सफाई कर्मचारियों के अधिकारों और सम्मान की गारंटी करने के मामले में पूरी तरह नाकाम रही है. सफाई कर्मचारियों का गुस्सा एकदम जाहिर है और अगले चुनाव में मोदी को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी.
सांस्कृतिक संगठन संगवारी ने क्रांतिकारी गीत पेश किये. क्लिफ्टन डी’रोज़ारियो ने कन्वेंशन की अध्यक्षता की. कन्वेंशन इस प्रस्ताव के साथ समाप्त हुआ कि ऐसे ही कार्यक्रम विभिन्न राज्यों में आयोजित किये जायेंगे. एक अन्य प्रस्ताव में पारित किया गया कि 8 और 9 जनवरी को केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा बुलाई गई दो दिन की हड़ताल में सफाई कर्मचारी भी भागीदारी करेंगे और हड़ताल को सफल बनाने के लिए सफाई कर्मचारियों का आह्वान किया.