दिल्ली, उत्तराखंड,महाराष्ट्र,उत्तरप्रदेश,बिहार,झारखंड,बंगाल,उड़ीसा,असम, छत्तीसगढ़,आंध्र,कर्नाटक, पांडिचेरी सहित 15 राज्यों में आयोजित हुआ मांग दिवस आंदोलन
नई दिल्ली। एक्टू से सम्बद्ध आल इंडिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन के आह्वान पर आशा, ममता, आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका और विद्यालय रसोईयों ने 31 मई को पूरे देश मे मांग दिवस मनाया।
कोरोना महामारी के इस कठिन दौर में स्कीम वर्कर्स से काम लिए जा रहे हैं लेकिन उन्हें जरूर सुरक्षा किट और जीने लाइक पारिश्रमिक भी नही मिल रहे हैं।आशाओं और फैसिलिटेटर के लिए क्रमशः 1000 रुपये और 500 रुपये मासिक देने की घोषणा हुई है जो हास्यास्पद और अपमानजनक है, इससे रिक्शा और ऑटो के खर्च भी पूरे नही होंगे। ममता,आंगनबाड़ी और विद्यालय रसोईयों के लिये किसी तरह की कोई घोषणा नही हुई है।पूरे देश में बड़ी संख्या में आशा,ममता,आंगनबाड़ी और विद्यालय रसोइया कोरोना संक्रमित हुई हैं,इनके इलाज के लिये कोई संस्थागत व्यवस्था नही है।कईयों की मौतें हुई हैं लेकिन 50 लाख के जीवन बीमा राशि का लाभ इन्हें नही दिया जा रहा है।आशाओं को इसमें कवर करने के बावजूद शर्तों का जो पहाड़ खड़ा किया गया है,उससे उनके परिजनों को यह लाभ नही मिल पा रहा है।
स्कीम वर्कर्स फेडरेशन ने मांग की है कि सभी स्कीम वर्कर्स को कोरोना अवधि में 10000 रुपये का मासिक कोरोना भत्ता दे,10 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कराए,कोरोना ड्यूटी के लिये आवश्यक सुरक्षा सामग्री उपलब्ध कराया जाए और 50 लाख रुपये के जीवन बीमा का लाभ सभी स्कीम वर्कर्स को दिया जाए।
महाराष्ट्र के अधिकांश जिलों के तालुकों पर कार्यक्रम हुए हैं जिसमें हजारों आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं ने हिस्सा लिए,वहीं बिहार के 200 से ज्यादा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर आशाओं ने मांगपत्र के साथ प्रदर्शन किया और प्रभारियों को मांगपत्र सौंपा।
असम, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड आदि राज्यों में आशाओं ने बड़ी संख्या में शिरकत की।आशाओं ने केंद्र व राज्य सरकारों पर आरोप लगाया कि उन्हें मास्क,सैनिटाइजर, ग्लव्स भी नही दिए जा रहे हैं। झारखंड, बिहार ,उड़ीसा ,बंगाल के साथ साथ कई अन्य राज्यों में विद्यालय रसोईयों ने विद्यालय संकुल केंद्रों पर मांगपत्र सौंपे।
छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक में भी स्कीम वर्कर्स ने अपनी मांगों को बड़े पैमाने पर उठाया।
सभी राज्यों में प्रधानमंत्री और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के नाम सम्बोधित ज्ञापन सौंपे गए हैं। मेल से भी संगठन की ओर से प्रधानमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को स्मारपत्र भेजा गया है और राज्य स्तर पर मुख्यमंत्रियों को भी ज्ञापन भेजा गया है।
आल इंडिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन की राष्ट्रीय संयोजक शशि यादव ने कहा है कि सरकार महिला श्रम-दक्षता का दोहन कर रही है और सरकार का स्कीम वर्कर्स के साथ व्यवहार बंधुआ मजदूर जैसा है।स्कीम वर्कर्स को जरूरी जीवन रक्षक उपकरण दिए बिना कोरोना ड्यूटी में लगा रही है,और जीने लाइक पारिश्रमिक भी नही दे रही है।
विदित हो कि सरोज चौबे, गीता मंडल, कैलाश पांडे, जीवन श्रुडे, रामबली प्रसाद और स्वेता , जयश्री दास, उमा नेताम, विजय जी,आरती राय,सुभाष सेन,उदय किरण, राष्ट्रीय स्तर पर आल इंडिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन की अगुवाई कर रहैं हैं।