बिहार. भोजपुर के सहार व अगिआंव प्रखंड के विभिन्न गांवों के सैकड़ो बालू मजदूर अपने हाथों में लाल झंडा व कुदाल, बेलचा लेकर नारे लगाते हुए बारुहिं बाजार की ओर चले आ रहे थे । देखते हीं देखते बाजार लाल झंडों से पट गया और हजार की संख्या में बालू मजदूरों, महिला, नौजवानों ने भाकपा – माले व खेग्रामस के नेतृत्व में सकड़ी – नासरीगंज मुख्य सड़क व बालू घाट को अनिश्चितकाल के लिए जाम कर दिया ।
बालू मजदूर जो मुख्य नारे लगा रहे थे -सभी बालू मजदूरों को काम दो, बालू घाट से जेसीबी मशीन हटाओ – मजदूरों से बालू उठाओ, बालू माफ़िया – प्रशासन गठजोड़ मुर्दाबाद, सभी अबैध बालू घाट बंद करो, बालू घाट पर मजदूरों को सुरक्षा का प्रबंध करो, दुर्घटना होने पर कानून के तहत मुआवजा दो, मशीनीकरण के नाम पर गरीब – मज़दूरों की रोजी – रोटी छीनना बंद करो बालूघाट से माफियाओ का राज समाप्त करो.
अनिश्चितकालीन जाम क्यों ?
यह जाम भोजपुर सहित पूरे बिहार में बालू माफियाओं को मिल रही सरकारी संरक्षण व प्रशासन गठजोड़ के खिलाफ बालू घाट पर मजदूरों से बालू उठाव के लिए है।
बिहार देश मे सबसे गरीब राज्य में प्रथम आता है और उद्योग के नाम पर कुछ भी नही है। बालू एक प्राकृतिक स्रोत है जहां बालू मजदूर मजदूरी कर अपने जीवन चलाने, बाल – बच्चे का भविष्य सवारने के लिए काम करते हैं लेकिन सरकार व प्रशासन के मिली भगत के वजह से माफ़ियाओं का पूर्ण कब्जा है।
नीतीश कुमार के 13 साल में सुई का एक कारखाना भी नही खुला जहां लोगों को रोजगार मिल सके परंतु 2010 मे जब दुबारा उन्हें भारी बहुमत से जीत मिली तब इन्होंने बड़े पैमाने पर जहां मजदूर बालू उठाव का काम करते थे वहां जेसीबी व फोकलें मशीनों से बालू उठाव शुरू करा दिया. जो मजदूर बिहार के कोने कोने से आकर सालों डेरा डाल कर बालू मे रोजगार पाते थे उनके हाथ से यह रोजगार छिनने लगा.
इसके खिलाफ मजदूर भी अपने रोजगार के हक के लिए लम्बी लड़ाई लड़ने लगे तब जा कर आंदोलन के दबाव मे 2013- 14 मे कानून बना कि सूर्योदय से लेकर सुर्यास्त तक मशीन नही चलेगी । लेकिन बालू माफ़ियाओं ने इस नियम को ताक पर रख कर मजदूरों के जगह पर मशीनों से बालू उठाव का काम जारी है। इसलिए जाम 24 घंटों तक जारी है।
सहार के इस क्षेत्र में दसियों बालूघाट हैं. अगर सरकारी नियम लागू किया जाय तो हजारों हाथ को रोजगार मिलेगा।
आंदोलन को मिल रहा है आम – अवाम का समर्थन
जाम स्थल पर आंदोलनकारी मजदूरों दिन – रात डटे हुए है। अगल – बगल गांव के लोग घर – घर से खाना , पानी , नाश्ता लेकर खिला रहें हैं ।रात में जाम स्थल पर ही जनकवि निर्मोही और उनके साथी क्रांतिकारी गीत गा कर उत्साह बढ़ाने का कम कर रहें हैं।
प्रशासन से वार्ता विफल
24 घाटे में दो बार एक दिन के एक बजे और रात के 12 बजे अधिकारियों जिसमे खनन विभाग के प्रवर्तन पदाधिकारी राजेन्द्र राम, सीईओ सहार अशोक कुमार चौधरी, अगिआंव इंस्पेक्टर बूंदी मांझी सहित सात थाना प्रभारी व आंदोलनकारी नेताओं के बीच वार्ता हुई. अधिकारियों की अधूरी जानकारी व मांगे पूरे नही होने के कारण विफल रहा और जाम 27 घंटे तक जारी रहा।
जाम स्थल को संबोधित करते हुए भाकपा – माले नेताओं ने कहा कि जदयू – भाजपा सरकार बालू माफियाओं को संरक्षण दे रही है. हर वर्ष मज़दूरों – नौजवानों को रोजगार देने का वादा करती है। एक तरफ दलितों – गरीबों , मजदूरों – किसानों को मनरेगा में काम नही दे रही है और दूसरे तरफ बालू घाट पर मशीन लगा कर उनके काम का अधिकार भी छीन जा रहा है और उनके बच्चों को शिक्षा – रोजगार से वंचित कर जीने के अधिकार को समाप्त कर रही है। बालूघाट पर पोकलेन मशीन लगा कर हजारों मजदूर को बेरोजगार बना दिया गया है. माफियाओं को सरकारी संसाधनों को लूट को खुली छूट दे दी गयी है। अगर माफियाओं पर रोक नही लगाया, मजदूरों की मजदूरी नही बढ़ेगी, मज़दूरों से बालू उठाव नही हुआ तो किसान – मज़दूरों ,छात्र -नौजवानों को व्यापक एकता से बालूघाट को नही चलने दिया जाएगा।
आंदोलन का नेतृत्व करी नेताओं में भाकपा माले केंद्रीय कमेटी सदस्य व इंकलाबी नौजवान सभा के राज्य अध्यक्ष मनोज मंज़िल, जिला कमेटी सदस्य व सहार प्रखंड सचिव उपेंद्र भारती, बिहार बालू मजदूर व नाविक कल्याण संघ के महासचिव गोपाल सिंह, माले वरिष्ठ नेता सिद्धनाथ राम, अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रखंड अध्यक्ष राम किशोर राय, खेग्रामस प्रखंड सचिव रामदत्त राम, पंचायत समिति सदस्य रामानन्द ठाकुर, अगिआंव प्रखंड कमेटी सदस्य नागेंद्र यादव, दसई राम, बेनीशंकर यादव, अजय मेहता, इनौस नेता जितेंद्र पासवान, नवीन कुमार, गणेश ठाकुर, अंतु राम, महेश पासवान, इंद्रदेव सिंह, मुन्ना सिंह, शिव जी साह, जितेन्द्र यादव, टेंगारी राम, संजय राम, जितेंद्र सिंह सहित कई प्रमुख थे।