जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों के लोकतांत्रिक प्रतिरोध का दिल्ली पुलिस द्वारा बर्बर दमन देश को गृहयुद्ध की आग में झोंकने की सोची समझी साजिश हो सकती है।
यह नई बात नहीं है कि प्रतिरोध को तोड़ने के लिए शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के बीच भाड़े के गुर्गे भेज कर तोड़ फोड़ और आगजनी करवा दी जाए ताकि आंदोलन को बदनाम किया जा सके।
बिना इजाज़त पुलिस का पुस्तकालय और नहान घरों में घुसकर असहाय बच्चों के साथ मारपीट करना, हाथ उठवा कर उनकी परेड कराना ; उन्हें पुलिसिया लाठी चार्ज, आंसू गैस और पत्थरबाजी के बीच आने को मजबूर करना; बीबीसी समेत वहां मौजूद अनेक मीडियाकर्मियों के कैमरे और फोन छीन लेना तथा उनके साथ भी मारपीट करना – ऐसे भयावह दृश्य भारत के इतिहास में पहले कभी देखे नहीं गए। जाहिर है, पुलिस सच्चाई को सामने आने देना नहीं चाहती।
इन घटनाओं का एक ही मतलब है।
संघ -बीजेपी परिवार भावनाओं को उकसाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हो गए हैं। इस मक़सद के लिए वे सरकार की हर मशीनरी का अनुचित इस्तेमाल करने के लिए भी तत्पर हैं।
संघ- बीजेपी ने समझ लिया है कि कृषि, उद्योग, रोजगार और शिक्षा की तेजी से बिगड़ती सूरत को संभालना उसके बस की बात नहीं है । अब केवल हिंदुत्व ही उसे चुनावी जीत दिला सकता है। ऐसे में वह गृहयुध्द की लपट तेज करना चाहती है, ताकि धर्म के नाम पर वोटों का ध्रुवीकरण किया जा सके। अन्यथा इस समय देश और धर्म के आधार पर भेदभाव करने वाला नागरिकता विधेयक लाने की असम में बुरी तरह फेल हो चुके नागरिक रजिस्टर को देश भर में फैलाने की घोषणा की कोई जरूरत न थी।
यह अच्छी बात है कि नौजवानों ने इस खेल को पहचान लिया है। कल रात से दिल्ली के पुलिस मुख्यालय समेत देश भर में हो रहे प्रदर्शनों में हिन्दू, मुसलमान, सिख, ईसाई, किसान, मजदूर, छात्र और शिक्षक एकजुट होकर संविधान की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं। नागरिकता संशोधन विधेयक को रद्द कराना तथा जामिया और अलीगढ़ सहित देश भर में हुए पुलिस दमन की जांच कराना उनकी प्रमुख मांग है। ये दोनों मांगे संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए अनिवार्य हैं।
जसम इन मांगों का समर्थन करता है। वह देश के सभी नागरिकों से इन आंदोलनों में शान्तिपूर्ण ढंग से शामिल होने का आह्वान करता है।
(जन संस्कृति मंच के महासचिव मनोज कुमार सिंह द्वारा जारी ।)