छठे राज्य सम्मेलन से मनरेगा मजदूर सभा का गठन, खेग्रामस को राज्य के समस्त ग्रामीणों का प्रतिनिधि संगठन बनाने का लिया गया लक्ष्य
पटना. पटना के गर्दनीबाग के गेट पब्लिक लाइब्रेरी में 9-10 नवंबर को आयोजित खेग्रामस के छठे राज्य सम्मेलन में भूमि-आवास और शिक्षा-रोजगार के सवालों पर आंदेालन तेज करने तथा आगामी सम्मेलन तक खेग्रामस को बिहार के समस्त ग्रामीणों का प्रतिनिधि संगठन बनाने का संकल्प लिया गया. तकरीबन 1000 डेलीगेट के सेशन में अलग से मनरेगा मजदूर सभा का भी गठन किया गया.
खेग्रामस ने अगले सत्र के लिए 145 सदस्यों की राज्य परिषद और 45 सदस्यों की कार्यकारिणी का गठन किया है. विधायक सत्यदेव राम संगठन के सम्मानित अध्यक्ष, वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता राज्य अध्यक्ष और गोपाल रविदास सचिव के बतौर चुने गए हैं.
मनरेगा सभा के अध्यक्ष के काॅमरेड पंकज सिंह और सचिव काॅमरेड दिलीप सिंह चुने गए. काॅ. धीरेन्द्र झा इस सभा के मुख्य संरक्षक होंगे. साथ ही वैद्यनाथ यादव, जितेन्द्र राम, मनमोहन, युगल किशोर ठाकुर, मेवालाल राजवंशी, मो. करीम सहित 30 सदस्यों की मनरेगा सभा की राज्य कमिटी का भी गठन किया गया.
इसके पूर्व राज्य सचिव द्वारा प्रस्तुत कामकाज की रिपोर्ट पर प्रतिनिधि साथियों ने प्रतिनिधि सत्र में खुलकर बातचीत की और कई संशोधनों के साथ कामकाज की रिपोर्ट को पारित किया. इस मौके पर काॅमरेड स्वदेश भट्टाचार्य भी सम्मेलन में मौजूद रहे.
सम्मेलन से 10 सूत्री प्रस्ताव भी पारित किए गए और आगे इस पर राज्य व्यापी आंदोलन चलाने का फैसला किया गया.
सम्मलेन के पहले प्रस्ताव में भाजपा-आरएसस द्वारा पूरे देश में एनआरसी थोपने के प्रयासों का जोरदार विरोध किया गया. कहा कि यह देश में भूमिहीनों -गृहविहीनों को ही तंग-तबाह करने के उपाय हैं. सम्मेलन से भूमिहीनों-गृहविहीनों के राष्ट्रीय रजिस्टर बनाने की मांग की गई और आवास के अधिकार को मौलिक अधिकार में भी शामिल करने की मांग की गई.
अयोध्या भूमि विवाद मसले पर भाकपा-माले के बयान का समर्थन किया गया है. भूमि अधिकार, वनाधिकार कानून के तहत वनवासियों के अधिकार को सुनिश्चित करने की मांग की गई.
अंबानी-अडानी परस्त मोदी सकरा रके श्रम कानूनों को संशोधनों को खारिज करते हुए 8 जनवरी 2020 को मजदूर वर्ग की साझी हड़ताल को सफल बनाने का आह्वान किया गया.
सरकार से वैकल्पिक आवास की व्यवस्था करने, दलित-गरीाबों को उजाड़ने तमाम नोटिस अविलंब वापस लेने, नदी-तालाब-पईन-नहर आदि जल निकायों के संरक्षण को लेकर कानून बनाने आदि की मांग की गई.
प्रस्ताव में कहा गया है कि आज आधारकार्ड-पॉस मशीन के आधार पर राशन से गरीबों को वंचित किया जा रहा है. यहां तक कि राशन सूची से नाम भी काट दिया जा रहा है. इस पर अविलंब रोक लगाई जानी चाहिए. मनरेगा लागू करने वाले में बिहार फिसड्डी राज्यों की सूची में शामिल है. योजना अफसरों और ठेकेदारों की लूट की योजना बन गई है. जाॅबकार्ड इन्हीं के कब्जे में है. मनरेगा में बड़ा घोटाला हो रहा है. मजदूर के बदले मशीन से काम करवाया जा रहा है. जिन्होंने कभी एक टोकरी मिट्टी नहीं काटा व ढोया, उसके नाम पर रूपये निकल रहे हैं और मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है. हम इस प्रक्रिया पर रोक लगाने तथा मनरेगा मजदूरों को कम से कम 200 दिन काम व 500 रु. दैनिक मजदूरी देने की गारंटी करने की मांग करते हैं.