इलाहाबाद । 29 अप्रैल को कौमी आवाज, नेशनल हेराल्ड जैसे अखबारों के संपादक रहे जफर आगा साहब की स्मृति में करेली के ए एम ऑक्सफोर्ड स्कूल के प्रांगण में प्रगतिशील लेखक संघ, जनवादी लेखक संघ और जन संस्कृति मंच के साझा बैनर तले सभा आयोजित की गई।
स्मृति सभा की अध्यक्षता जन संस्कृति मंच के पूर्व महासचिव और विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रणय कृष्ण और संचालन प्रलेस की सचिव संध्या नवोदिता ने की।
आगा साहब को याद करते हुए प्रोफेसर अली अहमद फातमी ने उनके साथ अपने स्कूल के दिनों को याद किया और कहा कि वह जितने अच्छे पत्रकार थे उतने ही बेहतर इंसान भी।
इलाहाबाद छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष अभय अवस्थी ने इलाहाबाद के पत्रकारों धर्मवीर भारती की परंपरा को याद करते हुए कहा की जफर आगा साहब को जब भी याद किया जाएगा तब वे इलाहाबाद की धरती के पत्रकारिता के चमकीले सूरज के रूप में देखे जाएंगे ।
उनके सहपाठी मित्र शाहिद असगरी ने अपने बचपन के साथ बिताए दिनों को याद करने के साथ-साथ उनकी तार्किक और भविष्यदृष्टि की चर्चा की।
जनमत के संपादक के के पांडेय उनके कामों की चर्चा करते हुए कहा कि जिस वक्त पत्रकारिता अपने सबसे बुरे दौर में है और उसके आदर्श गर्त में चले गए हैं ऐसे समय में उनकी दुनिया से रुखसती तथ्यपूर्ण, सच कहने वाली पत्रकारिता की परंपरा की दुनिया में धक्के के रूप में आई है।
पत्रकार मुमताज ने उन्हें सेकुलर और नागरिक अधिकारों पर सचेत मनुष्य और प्रतिबद्ध पत्रकार बताया।
प्रसिद्ध पत्रकार कमर आगा साहब ने कहा कि जफर जैसे लोग इलाहाबाद में जो आजादी के आंदोलन के दौरान हासिल मूल्यों के वाहक थे।
जफर पर 14-15 मुकदमे थे। उन पर राजद्रोह का मुकदमा चला और इसमें उन्हें सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली ।
पूर्व विधायक अनुग्रह नारायण सिंह ने उनके कामों की चर्चा की और कहा वह सही खबर के लिए खतरा मोल लेने वाले इंसान थे।
परवेज जी ने उन्हें भावुक तरीके से याद किया और पत्रकार व बड़े भाई के साथ साथ गंगा जमुनी तहजीब का बड़ा नुमाइंदा बताया।
जफर आगा के पारिवारिक जनों में जैनब ने उन्हें अपने उस बुजुर्ग की तरह याद किया जो उनके जीवन में लाइटहाउस की तरह दिखते हैं।
प्रलेस, इलाहाबाद के अध्यक्ष सुरेन्द्र राही ने उन्हें याद करते हुए कहा कि वह तहलका के भी फाउंडर मेंबर थे और ऐसे लोग किसी भी संस्थान के लिए आंख, नाक, कान होते हैं। स्मृति सभा में शामिल अविनाश मिश्र, जफर बख्त व विद्यालय प्रबंधक मुस्ताक ने भी जफर आगा को याद किया। मुस्ताक ने यह जानकारी साझा की, कि इस स्कूल की नींव जफर आगा साहब ने ही रखी थी।
स्मृति सभा की सदारत कर रहे प्रणय कृष्ण ने फिलस्तीन के कवि महमूद दरवेश के हवाले से उन्हें नाउम्मीदी में उम्मीद पैदा करने वाले इंसान के रुप में याद करते हुए कहा कि वह मुस्लिम समुदाय के सचेतक भी हैं।
आधुनिकता के उनके पैकेज में नागरिक अधिकार, सेक्युलरिज्म सब शामिल है। उन्होंने उन्हें विश्वविद्यालय के सीनियर अल्युमुनाई के बतौर भी याद करते हुए अपनी श्रद्धांजलि दी।
सभा में प्रो बसंत त्रिपाठी, अविनाश मिश्र, एडवोकेट सुलेमान, असगर नियाजी, गायत्री गांगुली, शिवानी, शायर अनवर अब्बास, स्कूल के मैनेजर साहब, जफर साहब के परिवार जन समेत बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे। अंत में दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।