पटना। भाकपा-मालेे विधायक दल के नेता महबूब आलम, फुलवारी विधायक गोपाल रविदास, पटना महानगर के सचिव अभ्युदय सहित माले नेताओं की एक उच्चस्तरीय जांच टीम आज पटना सिटी के कंगनघाट पहुंची और वहां के गरीबों को उजाड़े जाने के कारणों की पड़ताल की.
माले नेताओं के हस्तक्षेप के बाद फिलहाल बुलडोजर वापस लौट गए हैं. माले विधायकों ने घटनास्थल से ही कमिश्नर व डीएम से बात करके सही स्थिति से उन्हें अवगत करवाया. प्रशासन ने तब 25 मई का अल्टीमेटम दिया है. इसके खिलाफ जनता में भारी आक्रोश है. आक्रोशित जनता ने कंगन घाट से पटना सिटी तक मार्च किया और फिर सिटी चौक को घंटो जाम रखा. उन्होंने 25 मई को जबरदस्त आंदोलन का ऐलान किया है.
जांच टीम में स्थानीय नेता नसीम अंसारी, राजनाराण सिंह और उमा भी शामिल थे.
माले विधायक दल नेता महबूब आलम ने कहा कि भाजपा-जदयू का बुलडोजर गरीबों के खिलाफ खड़ा है, इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा. संबलपुर थाना नंबर 169/170 की जिस जमीन पर बुलडोजर चला है, वह जमीन पूरी तरह से वहां के निवासियों की है. तमाम लोगों के पास कागज है, दाखिल-खारिज किया जा चुका है, रसीद भी कट रहा है. यहां तक कि रजिस्टर 2 में भी नाम चढ़ गया है. ऐसी स्थिति में प्रशासन उनके घरों को किस आधार पर तोड़ सकता है ?
इसके पहले थाना नंबर 110 की जमीन पर कुछ साल पहले शवदाहगृह बनाने के लिए सरकार ने जमीन का अधिग्रहण भी किया और स्थानीय निवासियों को मुआवजा भी दिया गया. इसका मतलब है कि सरकार उस जमीन पर वहां के लोगों के मालिकाना हक को स्वीकार करती है, फिर अचानक वह मालिकाना हक मानने से इंकार क्यों कर रही है ?
माले नेताओं ने कहा कि प्रशासन का रवैया पूरी तरह गलत है. यदि उसे अतिक्रमण ही लग रहा था तो उसे न्यायिक प्रक्रिया में जाना चाहिए था, लेकिन अचानक घरों को तबाह करने के काम से जाहिर होता है कि राज्य की सत्ता में बैठी सरकार को न तो गरीबों की चिंता है और न संविधान व कानून की.